नब्बे के हुये नामवर
जब आइना झूठ बोलेगी
तो नामवर पैदा होगा
आलोक नंदन
नई दिल्ली । नब्बे बहार देखने के बाद हिन्दी साहित्य के सुविख्यात समालोचक नामवर सिंह ने अपने...
ब्रह्म नहीं कुछ (कविता)
आदि शक्ति हो या अन्धेश्वर
मन की तार तरंग तुम्हारी
भक्ति भाव से पूज ले बन्दे
ब्रम्ह नहीं कुछ हम ब्रम्हेश्वर
काला पीला हरा बैंगनी
नहीं किसी का रंग...
‘सार्थक’ पहल के साथ जेएलएफ में राजकमल प्रकाशन
गुलाबी शहर में साल की शुरूआत में ही आयोजित होने वाला सबसे बड़ा साहित्य महोत्सव- जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में राजकमल प्रकाशन अपने नए और...
मुझे है यक़ीं , तेरे प्यार पे (कविता)
उत्तम पाल.
मुझे है यक़ीं , तेरे प्यार पे ,
ये दिल है अब तो , खुमार पे।
तुझे भूलना मुमक़िन नहीं ,
मेरा इश्क़ है , इंतज़ार...
दारू की तलब
आलोक नंदन
रात के बारह बज रहे थे। बोतल खाली हो चुकी थी, लेकिन प्यास अभी पूरी तरह से बुझी नहीं थी। खाली बोतल को...
बेटी (कविता)
ऐ श्रृष्टि रचाने वाले, दुनिया को बसाने वाले।
बस इतना तू बता दे मुझको, ऐ इंसान बनानेवाले।
मैं ही जननी हूँ फ़िर भी, मुझसे ही नफरत...
लुप्त (हिन्दी काव्य)
शिव कुमार झा 'टिल्लू'
दड़क गए शिखर मेरु के
हिलकोरें सागर की लुप्त हुईं
रवि आभा जब मलिन दिखा-
नीरज पंखुड़ियाँ लुप्त हुईं
वात्सल्य स्नेह में भी छल है
संतति...
शहीदों का सम्मान (कविता)
वेंकटेश कुमार.
... न करते वो वलिदान,
तो आजादी एक सपना होता !
लालकिले पर फहराता झंडा,
पर नहीं वो अपना होता !!
गर अपनाते उनके आदर्शो को,
संसार में...
मात खाती जिंदगी (कविता)
मात खाती जिंदगी मुझसे सवाल करती है
और मैं उसे यकीन दिलाता हूं
उस विजय का
जिसके लिए
कई लोगों ने अपनी जिंदगियों को दांव पर लगाया है
जब...
क़स्बाई लड़कियाँ (नज्म)
खुलती हैं रफ़्ता-रफ़्ता मोहब्बत की खिड़कियाँ,
कितनी हसीन होती हैं क़स्बाई लड़कियाँ।
काजल भरी निगाह में शर्मो-हया के साथ,
धीरे से आये सुर्ख़ लबों पर हरेक बात।
रंगीन...