भाकपा (माले) के चुनावी घोषणा पत्र का सार

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बिहार विधान सभा चुनाव 2010 के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्रों और अपील पर अनिता गौतम की कलम से उनका सार। इस अंक में भाकपा (माले) 

 बिहार के मतदाताओं के नाम भाकपा (माले) की अपील और घोषणा-पत्र।

जदयू –भाजपा गठजोड़ : लूट और झूट का नया रिकार्ड।

राजद खेमा : पुरानी शराब और बोतल भी पुरानी।

कांग्रेस : थोथा चना बाजे घना।

अगर लालू प्रसाद अपनी भूमिका फिर से वापस पाने की फिराक में हैं, तो कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन को फिर से हासिल करने की कोशिश में बेसब्री से लगी है। राहुल गांधी पार्टी में नया खून लाने की बातें करते हैं, मगर बिहार में कांग्रेस आज अन्य सारी पार्टियों से आने वाले दलबदलुओं की पसंदीदा शरणस्थली बन गई हैं।

भाकपा (माले) : नये बिहार का नया रास्ता

बिहार की जनता के लिए भाकपा (माले) की घोषणाएं।

  • भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई : सार्वजनिक पद ग्रहण करने से पहले संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा और प्रत्येक छह महीने के अंतराल पर पुर्नघोषणा करते रहें।

 

  • लोकतांत्रिक अधिकार और लोकतांत्रिक बहस : विधानसभा के अंदर और बाहर बहस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध।

 

  • बीपीएल, मनरेगा, जनवितरण प्रणाली, भूमि सुधार और बटाईदारी के अधिकार, कृषि एंव संबंधित क्षेत्रों का विकास।   

 बिजली और विधुतिकरण, सड़क एंव सार्वजनिक परिवहन, स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता एवं सफाई, साक्षरता एवं शिक्षा, औद्योगिकरण, शहरी विकास, भूमि अधिग्रहण, खनन, आपदा प्रबंधन, पंचायती राज, सहकारी समितियां, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, असंगठित मजदूर, महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक, बच्चे ( बाल श्रम को खत्म करना तथा 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा देना) छात्र, नौजवान, शहरी गरीब, फुटपाथ दुकानदार, करघा-हस्तकलाएं और कारीगर, आवास, कल्याण एवं मुस्लिम का अधिकार, अनुसूचित जाति/ जनजाति और आरक्षण , जनसंहारों, दंगों, आपदाओं, तथा विस्थापन के शिकार लोगों का पुर्नवास।

  •  मद्य निषेध : नीतीश सरकार ने मद्य निषेध विभाग को हकीकत में शराब के उपभोग को बढ़ावा देने वाले विभाग में बदल दिया है। भाकपा (माले) इस प्रवृति को तुरंत उलटने की मांग करती है। और वह जन गोलबंदी के जरिये शराब विरोधी आंदोलन को तेज करने के लिए कृतसंकल्प है।
  • सूचना अधिकार, भाषा एवं संस्कृति, खेलकूद।
  • पर्यटन : बिहार में अधिकांश पर्यटन चंद प्रख्यात बौद्ध स्थलों एवं धार्मिक तीर्थ यात्रा के स्थलों तक सीमित है। बिहार में ऐतिहासिक महत्व के स्थलों एवं प्राकृतिक सौंदर्य स्थलों में पर्यटन के विकास की संभावना का खास इस्तेमाल ही नहीं हुआ है।

आखिर में भाकपा (माले) ने अपने मांग पत्र को अमल में लाने के लिए अपनी पूरी ताकत से लड़ने का संकल्प भी लिया है।

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