विकास का पोल पग-पग पर खोल रहा है पटना शहर

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सचिवालय के पास भी दो वर्षों में नहीं बन पाए हैं नाले और सड़कें

 मुकेश कुमार सिन्हा, पटना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार के तमाम दावों का पोल बिहार का कोई पत्रकार
या अखबार भले ही न खोले, लेकिन इन दावों का पोल पटना शहर पग पग पर खोलता नजर
आ रहा है. सुशासन, विकास, सड़क निर्माण और त्वरित कार्रवार्ई जैसे तमाम दावे की पोल राजधानी पटना के सचिवालय से सटे इलाके खोल रहे हैं .यह इलाका है विश्वेश्वरैया भवन से सटे रेलवे लाइन के किनारे से लेकर मोहनपुर पंप हाउस तक का इलाका है. जहां दो वर्ष पहले  सड़क निर्माण का काम ठेकेदारों के माध्यम से शुरु किया गया. लेकिन दो-ढाई किलोमीटर की यह सड़क अबतक नहीं बन पाई है. काम के नाम पर सिर्फ रेलवे लाइन के किनारे के गड्ढे को मिट्टी से भरकर सड़क के साइज में चौरस कर दिया गया है.किनारे में कंक्रीट और छड़ से दिवारें खड़ी कर आधे अधूरे नाले भी बनाए गए हैं.खास बात यह है कि न्याय और विकास की बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुशासन की सरकार में राजधानी के बीचोबीच सचिवालय से सटे इस महत्वपूर्ण स्थान पर भी दो सालों में भी सड़क निर्माण पूरा नहीं हो सका है और न तो इसकी चिंता सरकार को है न ही उस ठेकेदार को है.
 अब जरा इस लेट लतीफी का परिणाम भी देखिए. सड़क पर अबतक सिर्फ मिट्टी ही भरी गई है .दो तीन वारिश भी हो चुकी है . ऐसे में जब भी वर्षा होती है तब सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है। दोपहिया या पैदल चलने वाले लोग ऐसे में बार बार पिछल कर गिरते हैं और दुर्धटनाएं हो जाती हैं.  इससे भी बदतर स्थिति तो यह है कि नाले आधे अधूरे बने हैं इस बजह से नाले में
गंदे पानी जमा हो गए हैं और बदबू देते हैं .यहां तक कि अब तक इस नाले को मोहनपुर स्थित गंदे पानी के पंप हाउस से भी जोड़ा नहीं गया है. नतीजतन पानी का जमाव लगातार नाले में बढ़ रहा है. और बरसात का मौसम आते ही यह ओवरफ्लो कर सकता है. नाले के एक ओर निर्माणाधिन सड़क है तो दूसरी और पुनाईचक से लेकर मोहनपुर तक घनी आबादी है. नाला निर्माण के क्रम में तब सैकड़ों घरों का नाला ब्लाक कर दिया गया था. तब लोगों को लगा था कि नाला निर्माण एक दो महीने में पूरा हो जाएगा. लेकिन दो वर्षों बाद भी नाला
निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका .

इस बीच कई घरों की नाला निकासी को नवनिर्माणाधिन नाले से जोड़ भी दिया गया है. अब इन तमाम घरों में रहने वालों को यह डर सताने लगा है. कि बरसात में इस नाले से पानी ओवरफ्लो कर उनके घरों तक न पहुंच जाए. नाले और सड़क को लेकर मुहल्लेवासियों में सरकार और ठेकेदार को लेकर आक्रोश है. कुछ युवा तो सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर दिलाने के लिए सचिवालय गेट पर धरना प्रदर्शन की योजना भी बना रहे हैं तो कुछ लोग इसे लेकर ठेकेदार के खिलाफ शिकायत की योजना भी बना रहे हैं. ठेकेदार की गलती और सरकार की लापरवाही के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पर भी असर पड़ रहा है .यह और बात है कि अखबार और पत्रकारों को भी यह समस्या अभी नहीं दिख रही है. लेकिन जब राजधानी के बीचोबीच सचिवालय से सटे इन छोटी छोटी समस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन होंगे तो अखबार और पत्रकारों के लिए भी एक बड़ी खबड़ होगी. शायद अखबार और पत्रकार इसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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