वो दाने दाने के लिए तड़प कर मरी

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जयनगर, इसे आप क्या कहेंगे. समाज का जीते मर जाना या कुछ और। इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है कि एक बूढ़ी औरत दाने दाने के लिए छटपटाती रही, पर उस निराश्रित बेवा को किसी को किसी ने एक गिलास पानी तक नहीं पिलाया। इससे ज्याद तकलीफ की और क्या बात हो सकती है कि अस्पताल के किनारे वह औरत मरी पड़ी रही, पर दो गज कफन तक उसे सम्मान से नहीं मिल पाये। वह चली गई हम पर थूकते हुये, हमे धिक्कारते हुये। वह चली गई हम सब से सवाल पूछते हुये कि क्या ऐसे ही रिश्ते बचाकर रखे है हमने।

आज जब एक बूढ़ी बेवा की मौत से कुछ सवाल उठ रहे हैं,तो अनुमंडल प्रशासन के हाकिम इस मौत पर खामोश हैं। हाकिमों को यह भूख से हुई मौत का मामला नहीं लगता। सही साहब , आज तक भूख से मरने की जो सरकारी परिभाषा है, उसके हिसाब से तो कोई भूख से मरा नहीं अब तक।

भूख अपने आप में सबसे बड़ी बीमारी है। जब भी किसी को एक सप्ताह तक खाना नहीं मिलेगा तो आंत में इंफेक्शन तो होगा ही, कोई दूसरी बीमारी होगी और मौत के बाद जब लाश का पोस्टमार्टम किया जाएगा, तो मौत की वजह कुछ और ही होगी।

24 घंटे से वृद्ध महिला की लाश जयनगर अस्पताल में पड़ी रही, तमाम तमाशबीन उसे देखते रहे। अस्पतालकर्मी उसे ठोकर मारकर आगे बढ़ते रहे। मगर उसका क्रियाक्रम करने वाला कोई नहीं था। समस्तीपुरी जिला के ताजपुर की वृद्ध महिला सुकुमारी (60) को जयनगर रेलवे स्टेशन परिसर से बेहोशी की हालत में जीआरपी ने 25 मई को जयनगर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था। इलाज तो हो रहा था, मगर खाना-पीना उसे ठीक से नहीं मिल रहा था। भूख के कारण करीब दो हफ्ते के बाद वह मर गई। मरने के बाद अस्पताल प्रशासन ने जीआरपी पुलिस को लाश ले जाने को कहा। मगर जीआरपी ने लाश को पहचानने से इंकार कर दिया। । 24 घंटे बीत जाने के बाद भी लाश का अंतिम संस्कार न हो सका। जयनगर प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र की यह नियमित कहानी है। यानि जीवन के बदले आसान मौत। 10 साल से एक ही जगह जमे अस्पताल प्रभारी डा. शैलेंद्र विश्वकर्मा से जब वृद्ध महिला की मौत के बारे में जानने की कोशिश की गई तो वे छुट्टी पर बताये गये।

फिलहाल कारण कुछ भी हो जब सरकार ने अस्पताल में भोजन की व्यवस्था की है ऐसे रोगियो के लिए, मगर आज तक जयनगर अस्पताल में कभी मरीजों को भोजन नसीब नहीं हुआ। वृद्ध महिला की मौत पर अस्पताल के प्रबंधक प्रभात कुमार ने बताया कि इसकी सूचन पुलिस, अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी को दी गई,मगर सभी ने कहा अस्पताल प्रशासन इसका इंतजाम स्वंय करे, वहीं वृद्ध की मौत भूख व सही इलाज न होने की बात भी उन्होंने स्वीकारी।

लक्की राउत, जयनगर
(साभार गणादेश)

2 COMMENTS

  1. Thats some good basics there, already know some of that, but you can always learn . I doubt a “kid” could put together such information as dolphin278 suggested. Maybe he’s just trying to be “controversial? lol

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