पुस्तक समीक्षा – आवारगी नोनस्टोप

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पुस्तक समीक्षा

अनन्त आलोक//

हंसी की फुलझड़ियां

राग दरबारी के लिए श्रीलाल शुक्ल को 2009 का संयुक्त रूप से मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार यह निर्विवाद साबित करता है, कि कभी साहित्यिक विधा ही न माना  जाने वाला व्यंग्य आज एक स्थापित साहित्यिक विधा हो गई है।

जीवन में हास्य विनोद का महत्व आज एक ओर सहज स्वीकार किया जा रहा है तो दूसरी ओर कुछ लोग मजबूरी में भी इसे अपने जीवन का एक अभिन्न अंग समझने व स्वीकारने लगे हैं। आज जिंदगी की ट्रेन इतनी तीव्र गति से भाग रही है कि हमारे पास मुस्कराने की भी फुरसत नहीं है। यही कारण है कि आज हास्य विनोद की दुकाने खूब फल फूल रही है। जहां आपको हा- हा- हा के हिसाब से कीमत चुकानी पड़ती है; लेकिन आज भी हमारे समाज में ऐसे अनेकों कवि एवं व्यंग्यकार मौजूद है जो आपको एकदम निशुल्क हंसी की फुलझड़ियां देते हैं।

ऐसे ही कवि और व्यंग्यकार हैं ‘आवारगी नोनस्टाप’ के कवि आवारा जी। इनके इस काव्य संग्रह में नोनस्टोप कविताएं आपको नोनस्टोप हंसाने के लिए पुस्तक के पन्नों से बाहर झांकती नजर आएंगी।

फैशन की प्रर्दशनी में शरीर की नुमाइश करती आज की युवा पीढ़ी पर व्यंग्य करते हुए आवारा जी कहते है जिस्म आज भी टाइट है उसका इस तरह / बांध दी हो बोरियां कस कर जिस तरह। शाश्वत सत्य प्रेम को आज के युवाओं ने किस कदर मजाक बना कर रख दिया है,  आवारा जी की बानगी देखिए पार्कों में मिलते हैं आज के तोता मैना / शोपिंग मॉलों में मिलते हैं, आज के तोता मैना / फिक्र नहीं हैं।इनको घोंसला बनाने का / मैना को शौक है नये नये तोते पटाने का।

आवारा जी मेरी नजर में एक निर्भीक स्पष्टवादी कवि हैं। उच्छंखलता को आधुनिकता का पर्याय मानने वाली आज की  नारी पर पर आवारा जी व्यंग्य बाण छोड़ते हैं शर्म भी बेशर्म है इस शहर में आवारा / घूंघट डालती हैं वो ट्रांस्पेरेन्ट साड़ी पहन कर ।नेताओं पर व्यंग्य करते हुए आवारा जी कहते हैं दिल्ली में बैठन लागे डाकू चोर हजार / गोल घर से गोल हुए नेता सेवक समझदार।इसी प्रकार के व्यंग्यों से सुसज्जित आवारा जी का काव्य संग्रह कुल मिलाकर एक अच्छा संग्रह बन पड़ा है। स्वाध्याय एवं स्वसंपादन से और निखार आएगा और इनके  कलम की स्याही और चमक बिखेरेगी ऐसी उम्मीद एवं कामना करते है।

पुस्तक का नामः आवारगी नोनस्टोप

कवि : हास्य कवि आवारा जी

प्रकाशकः उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ , उ0 प्र0

मूल्य : 51 रूपये मात्र

अनन्त आलोक

संपर्क सूत्र –साहित्‍यालोक‘, आलोक भवन, ददाहू, 0 नाहन,

जि0 सिरमौर, हि0प्र0 173022 Email : anantalok1@gmail.com

Blogs – <http://sahityaalok.blog>

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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