पटना में विमान परिचालन के लिए पेड़ों की बलि

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निशिकांत,  पटना

पटना वासियों को पर्यावरण संतुलन चाहिए या एयरपोर्ट ? पटना पर अब पर्यावरण का खतरा मंड़रा रहा है। यहां के पेड़ विकास के नाम पर कट रहे है। पटना एयरपोर्ट को चालू रखने के नाम पर संजय गांधी जैविक उद्यान के करीब हजारों पेड़ों को छाटा जा चुका है और अभी हजारों पेड़ों को छाटा जाना बाकी है। एयरपोर्ट आथरेटी आंफ इंडिया ने राज्य सरकार को बारह साल पहले ही सूचित कर रखा है कि रनवे को विस्तारिकरण के लिए जमीन चाहिए इसके आलावा हवाई अड़्डा के पास जितने भी पेड़ व भवन है उनकी ऊंचाई को कम किया जाय। आसपास के पेड़ों को काट दिया जाय। एयरपोर्ट आथारिटी आँफ इंड़िया का कहना है कि राज्य सरकार को तीन हजार पेडों को काटना होगा क्योंकि सुरक्षित विमान परिचालन के लिए रास्ते में आने वाली हाईमास्ट होर्डिंग से बाधाएं उत्पन्न हो रहीं है। एयरपोर्ट आथरिटी के धमकी से अजीज आकर एक बार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां तक कह दिया था कि पटना के पेड़ नहीं कटेंगे हवाई अड्डा को जहां ले जाना है ले जाय। हम राजधानी के लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। लेकिन यह वक्तव्य कुछ ही दिनों तक रहा। यहां के पेड़ों को कहीं पर काट दिया गया तो कहीं पर छांट दिया गया। मजे की बात है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहल पर जदयू सदस्यों के लिए एक-एक वृक्ष लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में संजय गांधी जैविक उद्यान में पेड़ों की कटाई–छटाई को देखकर निराशा होती है।

इसके अलावा चिड़ियांखाना के बाहर 2900 सौ पेड़ों पर अभी भी खतरा मंड़रा रहा है जिसे हटाने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने सुझाव दिये थे। पेड़ों को काटने के लिए पर्यावरण व वन मंत्रालय के भुवनेश्वर उड़ीसा क्षेत्रीय कार्यालय की अनुमति जरूरी है। क्षेत्रीय कार्यालय ने नौ जुलाई को इस संबंध में बैठक है। वन मंत्रालय ने एयरपोर्ट आथोरिटी को कहा कि वह वह सही तरीके से आकलन कर बताए कि कितने पेड़ों को काटना है। इसके बाद तय हुआ कि डेढ़ सौ मीटर की सेंट्रल लाइन मे 1400 पेड़ आते है। इनमें सिर्फ 600 पेड़ ही ऐसे है जिनकी ऊंचाई एयरपोर्ट आथारिटी आफ इंड़िया के मानदंड़ से अधिक ऊंचाई पर है।  दक्षिण दिशा की तरफ जितने पेड़ थे उन्हें छाटा गया है। चिड़ियाखाना में राजधानी के अधिकतर लोग सुबह-सुबह ताजी हवा खाने के लिए लोग आते हैं। कुछ लोग निरोग रहने के दृष्टी से चिड़ियाघर में टहलने आते है। इतना ही नहीं राजधानी के पर्यावरण को संतुलित रखने में जैविक उद्यान कारगर है।

17 जुलाई 2000 को हुई विमान दुर्घटना के बाद एयरपोर्ट आथोरिटी आफ इंडिया  राज्य सरकार को पटना हवाई अड्डा को राजधानी से बाहर ले जाने की धमकी देते रही है। नागरिक उड्डयन मंत्री शहनवाज हुसैन एवं राजीव प्रताप रूढ़ी के समय से यह धमकी मिल रही है।  राज्य के साथ यह भी दुर्भाग्य ही है कि केंद्र में विपक्ष की सरकार रह रही है। इस कारण भी इस तरह के मामले को ज्यादा तुल दिया जाता है।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने सुरक्षित यात्रा को लेकर खासा रूख अपनाया है। विमान परिचालन में आ रही बाधा को दूर करने की सलाह भी दी थी। चिड़ियाघर के पेड़ो की छंटाई करने के अलावा पटना की पहचान कहें या राज्य सरकार की नाक कहें जाने वाली सचिवालय टावर को भी हटाना होगा। विमान मार्ग में आने वाले भवनों की ऊंचाई कम करने, एयरपोर्ट के आसपास से बूचड़खाने हटाने, आसपास के लोगों को विमान दुर्घटना की स्थिति में राहत पहुंचाने का प्रशिक्षण देने, वर्तमान एयरपोर्ट के रनवे का ज्यादा उपयोग करने के लिए उसका विस्तार करने सहित कई सुझाव दिए जा चुके है।

सवाल उठना लीजिमी है कि सेर्फ पेड़ों को छाटने से विमान सुरक्षित लैंड कर सकेंगे ? क्योंकि हवाई अड्डा के दक्षिण तरफ रिहायशी इलाका है। यहां पर पांच तल्ले से लेकर आठ मंजिले तक के बिल्ड़िंग बने हुए है। कई अपार्टमेंट भी बने है। उनका नक्शा कैसे पास हुआ यह कोई नहीं जानता। एयरपोर्ट आथारिटी से एनओसी लिया गया कि नहीं इस संबंध में आथारिटी  के अधिकारी भी बताने में असहज महसूस करते है। हवाई अड्डा के नजदीक अनीसाबाद बाईपास इलाके में ऐसे करीब बीसों बिल्ड़िग बनें है। कई बनने के कागार पर हैं। कई मार्केट कॉम्पलेक्स बन रहे है। ये बिल्ड़िग किसके अनुमति से बन रहें है। यह सवाल उठना लाजीमी है। क्योंकि बड़े-बड़े बिल्डिंग विमान परिचालन में बाधक हैं। हवाईअड्डा के पश्चिम तरफ पड़ने वाला बिड़ला कॉलोनी के लोग जब भी मकान का निर्माण करवाते है तो आथोरिटी से अनुमति मिलने के बाद ही उसमें हाथ लगाते हैं। लेकिन हवाई अड्डा से महज दो सौ गज की दूरी में बनने वाले मकान कभी भी बड़ी दुर्घटना के लिए काफी है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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