‘भारत की मलाला’ साबित हो रही है दिल्ली की दुष्कर्म पीड़िता

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फ्रेडरिक एंजेल्स ने एक ऐसे युग की कल्पना की थी, जिसमें किसी महिला के उसकी इच्छा के सिवाय दुनिया की कोई भी शक्ति किसी किसी पुरुष के सामने समर्पम करने के लिए उसे बाध्य नहीं कर सके। तमाम विवादों से परे एंजेल्स की परिकल्पना को किसी भी व्यवस्था में महिलाओं की लिए आदर्श स्थिति कही जा सकती है। भारत अभी इस आदर्श स्थिति से सदियों दूर हैं। देश की राजधानी दिल्ली में एक छात्रा के साथ सामूहिक रेप इस बात का गवाह है। बहहाल इस घटना ने देश को झककोड़ दिया है, ठीक वैसे जैसे अफगानी लड़की मलाला की घटना ने  दुनिया को झकझोरा था।

दिल्ली में चलती बस पर एक पैरामेडिकल की छात्रा के साथ गैंग रेप की घटना के बाद से उठे तूफान ने अब राष्ट्रपति भवन को भी अपनी आगोश में समेट लिया है। यूं तो कल भी हजारों की संख्या में लोगों राष्ट्रपति भवन के सामने प्रदर्शन किया था, लेकिन आज प्रदर्शन के दौरान पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ गया। हर प्रदर्शनकारी की जुबान पर बस एक ही मांग है, दोषियों को तत्काल फांसी दो, और देश को महिलाओं के लिए महफूज करो। पिछले कुछ अरसे से भारतीय समाज महिलाओं के प्रति कुछ ज्यादा ही दरिंदा हो गया है। गर्भ के अंदर कन्या भ्रूणहत्या तो देश में बड़े पैमाने पर हो ही रहा है, सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं में भी ताबड़तोड़ बढ़ोतरी होते जा रही है। दिल्ली की यह घटना तो पूरी तरह वहसीयाना है।

छह दुष्कर्मियों ने लड़की के साथ न सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसे बुरी तरह से मारा पीटा भी। मारपीट से लड़की का आंत तक छक्षिग्रस्त हो गया है। अभी भी वह जीवन और मौत से जूझ रही है। उसकी भयानक स्थिति का अंदाजा दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की मनस्थिति से लगाया जा सकता है। उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वह लड़की से जाकर मिले। डाक्टर बता रहे हैं कि उसके पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया है, उसका शरीर सूज रहा है। उसे लगातार एंटिकबायेटिक दवाइयां दी जा रही हैं। चूंकि लड़की खुद पैरामैडिकल की छात्रा है, इसलिए वह इलाज के हर स्तर को समझ रही है और डाक्टरों की टीम के साथ पूरा कोआपरेट कर रही है। उसकी हिम्मत और हौसले के सब लोग कायल हो गये हैं। उसे इसकी जानकारी दे दी गई है कि सारे दोषी गिरफ्तार हो चुके हैं। यह सुनकर उसे संतोष हुआ है, क्योंकि पहली मर्तबा होश में आने के बाद उसका पहला सवाल यही था कि क्या सभी पकड़े गये।

इसे पूरे मामले में दिल्ली पुलिस भी काबिले तारीफ है। उसने तेजी के साथ सारे आरोपियों के गिरफ्त में ले लिया। हालांकि सूरक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली पुलिस से भी चूक हुई है, इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। देश की राजधानी में इस तरह की घटना पेश आनी ही नहीं चाहिये थी।

इस रेप की गूंज संसद में भी जबरदस्त तरीके सुनाई दी। राजीव शुक्ला की दांत खिसोरती हुई तस्वीर को छोड़ दिया जाये तो, लगभग सभी सांसदों के चेहरे पर शिकन थी। कई महिला सांसद तो डबडबाई हुई थीं। संसद के अंदर और बाहर भी महिला सांसदों ने खुलकर इस घटना का विरोध किया।

देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली में मुखतलफ शहरों और देहातों से बड़ी संख्या में युवक और युवतियां अपनी आंखों में एक बेहतर मुस्तकबिल का ख्वाब लेकर आते हैं। शिक्षा ग्रहण करते हैं रोजगार करते हैं। दिल्ली में बड़ी संख्या में स्थानीय लड़कियां भी दिनभर सक्रिय रहती हैं। ऐसे में रेप की इस घटना से सबके सकते में आ जाना स्वाभाविक ही है। बहरहाल पूरा देश लड़की के साथ खड़ा है। यह लड़की भारत की मलाला साबित हो रही है, फर्क सिर्फ इतना है कि मलाला पर तालिबानियों ने गोलियां बरसाई थी, यहां पर हैवानों ने इसके अस्मत को तार-तार किया है। अब यह लड़की भारत में महिलाओं के हकों की प्रतीक बन गई है। देश के हर शहर और कस्बे में महिलाओं को महफूज करने की मांग हो रही है। यह इंकलाब ही तो है जो प्रेसीडेट की चौखट तक पहुच गया।

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