खबरिया चैनलों पर बाबाओं का तामझाम

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अनिता गौतम
प्रात: की खबरों के चैनलों को आप एक के बाद बदलते जाइये। आपको हैरानी होगी जब अमूमन सभी चैनलों पर विभिन्न वेश-भूषा में बाबाओं (भविष्यवक्ताओं) का कब्जा मिलेगा। पूर्वकाल में भविष्य वाचने वाले प्राय: पुरुष हुआ करते थे, क्योंकि महिलाओं का वजूद कभी मां, पत्नी, बेटी और बहन के रूप में उन्हीं से जुड़ा होता था। परन्तु अब बच्चों को डराने वाले लिबास में महिलाएं भी भविष्य बताती मिल जाएंगी। हमारा भारत सर्वधर्म समभाव का देश है, परन्तु ये भविष्य बताने वाले सिर्फ हिन्दुओं को डराते हुये मिलेंगे। अत्यंत संतुलित भाषा एवं शब्दों का गोलमोल इस्तेमाल कोई इनसे सीखे।

मंगल ग्रह पर पानी की खोज हो अथवा चंद्र ग्रहण एंव सूर्य ग्रहण। ये बाबा अलग-अलग चैनलों पर विराजमान होकर हिन्दुओं को भयभीत करते मिल जाएंगे। कोई कुरान या बाइबिल पढ़ने की सलाह दे न दे , हनुमान चालीसा का पाठ करें , ओम नम: शिवाय का जाप करें, काली गाय को चावल खिलाये , उजले कुत्ते को रोटी खिलाये वगैरह वगैरह का उपदेश देते आवश्य मिल जाएंगे।

बारह राशियों से जुड़े लोगों के अलग-अलग भविष्य वाचने में ताश के पत्तों से लेकर ग्लोब, शीशे के डायनमिक जार एवं अनूठे अंदाज में नचाकर आंखों और उंगलियों का इस्तेमाल आपको संशय में डाल देगा कि कहीं आप इंद्रजाल कामिक्स के मायाजाल में तो नहीं उलझ रहे हैं।

बहरहाल इन चैनलों का उद्देश्य भले ही अपनी टीआरपी बढ़ाना हो परन्तु जनहित में काम करने की वकालत करने वाले इन चैनलों को एक बारगी यह जरूर सोचना चाहिए कि वह सुबह का समय हो अथवा शाम का , दर्शक सभी धर्म और मजहब के हैं ,  अत: एक वर्ग विशेष के भविष्य को लेकर ही इतनी चिंता क्यों ? चंद्र ग्रहण से लेकर मृत्यु तक सारी घटनायें प्राकृतिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग हैं फिर इनमें “बाबाओं” का कैसा दखल ? धर्म की आड़ में लोगों की आस्था को आहत करना कितना उचित है ?

हिन्दू, मुस्लिम, सिख इसाई हम सब हैं भाई-भाई का नारा बुलंद करने वाले देश में भविष्य वक्ताओं द्वारा सिर्फ हिन्दुओं को ही उनका भविष्य चमकाने का संदेश और सलाह क्यों ? क्या कोई कानून या संविधान नहीं है , जो इनको इनका दायरा बताये ? इनसे आग्रह करें कि वे विकसित देशों का पीछा करते हुये जिस तरह से तकनीकी ऊंचाइयों को छू रहे हैं उसी प्रकार अध्यात्मिक क्षेत्र में भी पहल करें , परन्तु झूठ और फरेब के सहारे नहीं।

18 COMMENTS

  1. aap ne jo khabaria chanel ke bare me jo likha hai bil kul sach likha hai hindu samaj ke bhole pan ka faye da utha te hai ye khabria channel , media ka kam hai samaj ko jagruk karna magar ye aap ne munafa ke chackar me unme aur andhbiswas barah te hai , bhawish bata ne ke badle rojgar aur sehat ke bare me dikha te to sabhi samaj ke logo ko fayda hoga

  2. The News Channels can be seen in the morning spreading superstitions in the name of astrology. Astrology does not even take into account all of the major bodies in our solar system, let alone all those in our galaxy or the hundreds of billions of other galaxies in the universe. Most astrologers make their planetary computations using only the planets known to the ancients; they don’t take into account those discovered by modern science (Uranus, Neptune, and Pluto); and no astrologers take into account the nearest stars, which are far nearer to us than those in the zodiac constellations, which themselves are at wildly varying distances. The predictions made by astrologers often goes wrong. If one takes his horoscope to different astrologers, they make different predictions. They even make different horoscopes given the same set of data regarding the birth of a person. These facts force people conclude that Astrology is not a science and that it is only a means to befool people for the astrologers’ benefit.

  3. अनिता जी आपके विषय पर जस्टिस काटजू ने कितना सही कहा है कि इ-मीडिया अंधविश्वास फैला रहा है साम्प्रदायिक हो चला है खासकर महिलायें महिलाओं की भावनाओं को कैश करती नजर आती है वो भी सेलीब्रेतिज होती है क्यूंकि कहीं और तो इनकी डीमांड होती नहीं है सो ये धर्म की दुकानों पर आ बैठती है

  4. अनीता जी आप का लेख पढ़ा और अब आपके ब्यक्तित्व से रु बरु हुआ हूँ ,,,आपकी सोच अन्य महिलाओं से बहुत ऊपर है ,,आपकी तरह मित्र होना ही हमारा सौभाग्य है !
    लेख अच्छा लिखने के लिए पुनः dhnywad .

  5. प्रशंसनीय आलेख है अनीता जी…. मीडिया जब मीडिया की खिचाई करती है , तो लगता है, मीडिया में सेल्फ रेगुलेशन की क्षमता है… सम्प्रति, खबरिया चैनलों ने अंधविश्वास बदने की जो मुहीम छेड़ा हुआ है, शोचनीय है… देश और समाज को जागृत करनेवाले चैनलों का यह सस्तापन उस तथ्य को पुख्ता करता है कि बेकार की खबरे( अंधविश्वास)भी एक बेहतर प्रोडक्ट हैं, जिसे wigyapit कर बेचा जा सकता है ; भले ही उसका दुष्प्रभाव खतरनाक क्यों न हो !!!

  6. Realy Anita ji aapne jo babao ke tam jham ke bare me bataker savi ko aankhe khol diya hai aap jaise mahila samaj me aage aker india ka vikash kare.

  7. मै सहमत हूं आपके आलेख से। जिन न्यूज चैनलों के ऊपर लोगों को जागरूक करने का दायित्व होता है वही अंधविश्वास फैलाने के अगुवा बने हुए हैं।

  8. बेहद साफ बात है कि,सभी चेनल्स कारपोरेट घरानों के हैं जिंनका उद्देश्य महज मुनाफा कमाना है उनका जनहित से कोई सरोकार नहीं है और सरकारे अप्रत्यक्ष रूप से कारपोरेट घरानों का ही हितसाधन कर रही हैं । ढोंग-पाखंड-आडंबर को ये लोग ‘धर्म’ और ‘ज्योतिष’ बता कर जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं। जबकि वे सारी की सारी बातें खुराफात हैं जिंका प्रतिवाद मैं अपने ब्लाग-‘क्रांतिस्वर’ के माध्यम से करता रहता हूँ। उसमे वास्तविक ‘धर्म’ और’ज्योतिष’ का भी जनहित के परिप्रेक्ष्य मे उल्लेख रहता है। ‘जनहित मे’ ब्लाग के माध्यम से ‘स्तुतियों’ को भी सार्वजनिक किया है। जो इन चेनल्स को देखते और उन पर विश्वास करते हैं उनकी चिंता करना व्यर्थ है।

  9. apko isse kya Aapati ho rhi hai..dekhne wale kush hein.or dikhane wale bhi khush.. Aapko kyu jalan ho rhi hi..

  10. Anita Gautam ji, Nadeem Raza ji aur Dr. M. Faiyazuddin bhai,

    स्टारस् का प्रभाव मनुष्यों या अन्य प्राणियों पर पड़ने को असर आप स्वयं भी महसूस कर सकते हैं ! इसमें किसी के कहने-सुनने कि जरुरत नहीं है और किसी बाबा-बाबियों की भी जरुरत नहीं !
    पृथ्वी के बहुत नजदीक सौर्य मंडल का चन्द्रमा है ! चन्द्रमा की पृथ्वी से दुरी का प्रभाव हम रोज देखते तो हैं पर कभी ध्यान नहीं देते ! आप जानते हैं कि हमारे समुद्रों में उठने वाले ज्वार-भाठा का संबंध पृथ्वी की चन्द्रमा से वास्तविक दुरी पर निर्भर करता है ! पृथ्वी के जिस तरफ चन्द्रमा रहता है, उस ओर ज्वार आया रहता है और उसके ठीक विपरीत तरफ भाठा का प्रभाव दीखता है ! यानि चन्द्रमा जो सौर मंडल का एक मुख्य ग्रह भी नहीं है, और मुख्यतया पृथ्वी का एक सैटेलाईट मात्र है, कि पृथ्वी से वास्तविक दुरी के कारण समुद्रों में दो-दो तिन-तिन मीटर जल स्वयं और इनकी ऊँची लहरें उठने लगती हैं ! जब समुद्र की टनों-टन वज़न की जल को दो-दो तिन-तिन मीटर उपर खिंच लेता है, तो वैसे में मनुष्य या अन्य प्राणी जिसका शरीर का ९०% भाग जल ही है, पर प्रभाव क्यों नहीं डाल सकता ?

    एक अन्य उदहारण भी आपके समक्ष रखता हूँ ! पद्म श्री डॉ. सी.पी.ठाकुर जो कभी लोक नायक जयप्रकश नारायण के भी डाक्टर रह चुकें हैं की लन्दन के एक मेडिसीन से संबंध रखने वाले शोधपत्रिका (जर्नल ) में एक शोध पत्र छपा था जिसका आशय था कि आम तौर पर लोग ऐसा ख्याल रखते हैं कि अँधेरी रातों में चोरी-डकैती या अन्य अपराध अधिक होते होंगे ! पर वास्तविकता यह है कि स्थिति इसके ठीक विपरीत है ! डॉ. ठाकुर ने लिखा है कि हॉस्पिटल रेकोर्ड बताता है कि शुक्ल पक्ष, विशेष करके पूर्णिमा के दिन क्राइम अधिक होता है ! इसका तात्पर्य है कि चन्द्रमा जब पृथ्वी के नजदीक होता है और दोनों के बीच चुम्बकीय प्रभाव अधिकतम होता है, तब लोगों को ज्यादा उद्वेलित करता है !

    अब यहाँ सोचनेवाली बात यह है कि चन्द्रमा जो सौर मंडल का मुख्य ग्रह है भी नहीं उसका प्रभाव मनुष्य या जानवर पर इतना पड़ता है तो सौर्य मंडल के प्रमुख ग्रहों का भी कुछ न कुछ तो प्रभाव हमपर पड़ता ही होगा !

    अब मैं आपको अपनी एक आपबीती सुनाता हूँ ! मैं २० अप्रैल २००२ को एक ऐसे स्थान गया जहाँ लोगों की जीवनी पहले से ही लिख कर रखी हुई है ! और अगर आपकी जीवनी यहाँ मिलेगी तो उसमे (१) आपका नाम लिखा होगा, (२) आपके माता जी और पिता जी का नाम लिखा होगा (३) अगर आप शादी-शुदा हुए तो आपके जीवन साथी का नाम लिखा होगा (४) आपका जन्मदिन लिखा होगा, और (५) आपकी कुंडली (होरोस्कोप) बनी होगी ! इन छह तथ्यों के मिलने के बाद तो लोगों को विश्वास होता है कि इसमें जो लिखा है वह उन्हीं के बारे में है ! वैसे तिन तथ्यों का मिलान होना भी मुस्किल होता है ! ऐसे मिले जीवनी में मिलने के वक़्त से अंतिम समय तक आपके जीवन की मुख्य घटनाओं का समयबध्द जिक्र होता है ! और जीवन के जो कष्ट उसमे बताये होते हैं उसके निवारण के उपायों को भी बताया होता है ! मेरी जीवनी भी वहां मिल गयी और उसके बताये अनुसार चल भी रहा है ! मैंने उसके बाद करीब सौ-दो सौ से अधिक लोगों को बताया और उनमें से कईयों की भी जीवनी वहां मिली ! आश्चर्य की बात यह है की उनमे से आजतक किसी ने यह नहि कहा की उनकी अमुक जानकारी गलत निकली ! यहाँ बताता चलूँ कि उक्त जीवनी अगस्त मुनि द्वारा हजारों साल पहले लिखित रूप में बनाया गया था और जो आज भी मौजूद है और ताड़ के पत्तों पर इन्स्क्राइब्ड है ! प्राचीन तमिल भाषा में पोएटिक फॉर्म में है ! परन्तु जीवनी सिर्फ उन्हीं की मिलती है जिनका मिलना बदा होता है ! इसमें व्यक्ति विशेष की जाति और धर्म आड़े नहीं आता !

    डॉ. फैयाजुद्दीन साहेब कुंडली और कुछ नहीं बल्कि किसी के जन्म के वक़्त उस स्थान विशेष के अनुसार सौर मंडल के नौवों ग्रहों के तात्कालीन स्थान है, का विवरण मात्र है ! अब यहाँ देखने वाली बात यह है कि जब आपकी पहले से जन्म समय की बनी जन्म कुंडली और इस ताड़ के पत्तों पर लिखे जीवनी में मिली कुंडली मिल जाती है, तो यह तो प्रिसिजन का इन्तेहाँ बन जाता है ! इसका मतलब यह हुआ कि अगस्त मुनि ने जो हजारों साल पहले गणना कर निकाला कि अमुक नाम का व्यक्ति जो अमुक-अमुक माता-पिता के संसर्ग से अमुक तारीख और समय को अमुक स्थान पर जब सौर मंडल में नौवों ग्रहों की ऐसी स्थिति होगी तब वह पैदा लेगा और लेता है !

    आपने लिखा है कि “Most astrologers make their planetary computations using only the planets known to the ancients; they don’t take into account those discovered by modern science (Uranus, Neptune, and Pluto); and no astrologers take into account the nearest stars, which are far nearer to us than those in the zodiac constellations, which themselves are at wildly varying distances. The predictions made by astrologers often goes wrong.” But Faiyazuddin bhai … Here is evidence (written one) that planets known to the ancients are sufficient to perfectly calculate our future , & there is hardly any need to take any account of discovery of new planets. Yes, mortal astrologers often go wrong, I do agree with you. Because, they all calculate their predictions on the basis of horoscope of the person concerned. Whereas the calculations made by this ‘Tadpatra” considers one more factor as important as solar planets position for future reading, about which modern astrologers hardly know or care.
    You are saying that … “These facts force people conclude that Astrology is not a science and that it is only a means to befool people for the astrologers’ benefit.” But, bhai … Here is written evidence that predictions made by Agasthya Muni are perfection par excellence.

  11. बेहद साफ बात है कि,सभी चेनल्स कारपोरेट घरानों के हैं जिंनका उद्देश्य महज मुनाफा कमाना है उनका जनहित से कोई सरोकार नहीं है और सरकारे अप्रत्यक्ष रूप से कारपोरेट घरानों का ही हितसाधन कर रही हैं । ढोंग-पाखंड-आडंबर को ये लोग ‘धर्म’ और ‘ज्योतिष’ बता कर जनता को — हैं। जबकि वे सारी की सारी बातें खुराफात हैं

  12. apaka lekha padha thik laga par hindhu ka bisawash asata par hi hai our pahle se hi chala aa rha hai esame hamara apaka bicchar kam nahi karega esaliye jo ho raha hai hone diya jaye

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