बिहार में शिशु बालिकाओं की मौत पर लगाम लगाने पर इनाम

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में स्वास्थ्य विभाग एवं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षात्मक बैठक की। समीक्षा बैठक में संबंधित विभाग के सभी बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी। समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री द्वारा संबंधित विभागों के पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये।

समीक्षा बैठक के उपरांत स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक के संदर्भ में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में स्टंटिंग की समस्या है। स्टंटिंग को कम करने के लिये स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग द्वारा समेकित रूप से कार्रवाई की जायेगी, जिसमें बाल विवाह पर रोक, गर्भवती माताओं को पूरक आहार,  छह माह से दो साल तक के बच्चे को पूरक आहार के लिये राशि राज्य योजना से उनके बैंक खाता में हस्तांतरित की जायेगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोश में दी जाने वाली अनुदान राशि में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। इस योजना के तहत वर्तमान में 11 रोगों के लिये सहायता दी जाती है। उन्होंने बताया कि आकस्मिकता की स्थिति यथा- हृदयाघात, स्ट्रोक सड़क दुर्घटना आदि के लिये चिकित्सा के उपरांत अनुदान राशि की प्रतिपूर्ति का निर्णय लिया गया। साथ ही कैंसर की चिकित्सा हेतु टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुम्बई में जाने वाले रोगियों की सुविधा हेतु मुम्बई में उद्योग विभाग, बिहार के निवेश आयुक्त कार्यालय, मुम्बई के माध्यम से चिकित्सा सहायता प्रारंभ कराने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि बालिका शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु नवजात बालिकाओं को एसएनसीयू में भर्ती करने के लिये आशाओं को प्रेरित करने हेतु 500 रूपये प्रोत्साहन राशि एवं माताओं के लिये 200 रूपये क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान राज्य योजना मद से करने का निर्णय लिया गया। साथ ही एसएनसीयू में भर्ती हुये नवजात बालिका एवं बालक के माताओं को राज्य योजना मद से निःशुल्क भोजन का प्रावधान किया गया। उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2018 तक टीकाकरण का आच्छादन 90 प्रतिशत करने तथा राज्य को देश के शीर्ष पांच राज्यों में लाने का निर्णय लिया गया। दिसम्बर 2017 तक कालाजार का उन्मूलन करने का निर्णय लिया गया। इस कार्यक्रम के तहत मात्र बिहार में मुख्यमंत्री रिलिफ फंड से श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में 6,600 रूपये का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में रोगी की मृत्यु होने के उपरांत शव को ले जाने हेतु वाह्य सेवा प्रदाता से शव वाहनों की संख्या में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है। मुख्य सचिव ने बताया कि जनवरी 2018 तक निगम द्वारा सभी आवश्यक दवायें उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। निगम के द्वारा दवाओं एवं उपकरणों की निर्बाध आपूर्ति बनाये रखने हेतु निगम को तत्काल 50.00 करोड़ रूपये रिवोलविंग फंड उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। चिकित्सकों की कमी को दूर करने लिये दुर्गम क्षेत्रों में काम करने वाले संविदा चिकित्सकों को अलग से प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया।

मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की समीक्षा बैठक के संदर्भ में बताया कि आर्सेनिंक तथा फ्लोराईड प्रभावित क्षेत्र/वार्डों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य दो वर्षें में पूरा कर लिया जायेगा। ट्रीटमेंट के लिये मीडिया के बदलने की व्यवस्था सुनिश्तिच की जायेगी। ट्रीटमेंट के लिये मीडिया बदलने के लिये एजेंसी तैयार कर पूर्व से रखा जायेगा तथा इसके लिये तिथि निर्धारित की जायेगी। उन्होंने बताया कि जल गुणवता प्रभावित वार्डों में समुदाय स्तर पर निगरानी के लिये ग्राम पंचायत के स्तर पर समिति बनाई जायेगी। जल गुणवता प्रभावित क्षेत्रों में शोधन संयंत्र युक्त जलापूर्ति योजना में पांच वर्षों के बाद भी रख-रखाव सुनिश्चित कराने के लिये विभाग नीति तैयार करेगा। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा आच्छादित सभी जलापूर्ति योजनाओं में समुदाय द्वारा वाटर टैरिफ संग्रह किया जायेगा। वाटर टैरिफ का निर्धारण पड़ोस के ग्राम पंचायत में लागू दर के अनुरूप किया जायेगा। आयरन प्रभावित क्षेत्र में वाटर टैरिफ का निर्धारण विभाग के द्वारा किया जायेगा। वाटर टैरिफ की दर 30 रूपये से 60 रूपये प्रतिमाह हो सकता है। उन्होंने बताया कि चापाकलों के रख-रखाव के लिये विकेन्द्रिकृत व्यवस्था लागू की जायेगी।

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