-डॉ. व्यथितानंद
घूम रहा था
भीड़ में अकेला
थी माथे पर एक पोटली
जिसमें भरा पड़ा था-
झमेला ही झमेला।
देखा बायें-दायें
घूमा, ऊपर-नीचे
गया
मंदिर-मस्जिद
चर्च-गुरुद्वारा
ढूंढा भारवाहक
मिले गुरु दर गुरु
नहीं मिला
कोई चेला।
-डॉ. व्यथितानंद
घूम रहा था
भीड़ में अकेला
थी माथे पर एक पोटली
जिसमें भरा पड़ा था-
झमेला ही झमेला।
देखा बायें-दायें
घूमा, ऊपर-नीचे
गया
मंदिर-मस्जिद
चर्च-गुरुद्वारा
ढूंढा भारवाहक
मिले गुरु दर गुरु
नहीं मिला
कोई चेला।