मध्यप्रदेश में फीकी पड़ रही हीरे की “चमक”

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– 3 साल में 1598 कैरेट तक कम हुआ हीरा उत्पादन

-एनएमडीसी खदानों पर रोक और बंद खदानों से घटा उत्पादन

 भूमिका कलम, भोपाल  

देश में हीरा उत्पादन में अपनी साख रखने वाले मध्यप्रदेश में पिछले सालों हीरा उत्पादन में काफी कमी आई है, जिसके चलते राज्य को राजस्व की भी भारी कमी उठानी पड़ी। पिछले सालों में कुछ खदानों के बंद होने और एनएमडीसी (राष्ट्रीय खनिज विकास निगम) की खदानों पर वन विभाग द्वारा रोक लगाए जाने से पिछले 3 वर्षों में राज्य के हीरा उत्पादन में लगभग 1600 कैरेट की गिरावट दर्ज की गई।

हीरा उत्पादन में कमी वर्ष 2006-07 से ही शुरू हो गई थी लेकिन इस वर्ष की तुलना में 2007-08 में हीरा उत्पादन में अचानक 75 फीसदी की कमी देखी गई। इसके बाद के वर्षों में भी उत्पादन में लगातार कमी जारी है। अप्रैल 2006 से राज्य में काफी मात्रा में हीरा उत्पादन का काम ठप्प होना इसका मुख्य कारण है। उत्पादन में आ रही जबरदस्त कमी के लिए वर्ष 2006 में राज्य में बंद हुई खदानों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। एनएमडीसी की खदानों के बंद होने से पहले तक राज्य में 70-80 हजार कैरेट के आस-पास हीरा उत्पादन किया जाता था। राज्य के पन्ना जिले में हीरा उत्पादन के क्षेत्र में 2 बड़ी खदानें काम कर रही हैं। इनमें मध्य प्रदेश सरकार के भूतत्त्व और खनन विभाग द्वारा संचालित खदान और एनएमडीसी द्वारा संचालित यंत्रीकृत हीरा खदान शामिल हैं। हीरा उत्पादन से जुड़े विशेषज्ञ अभी भी पन्ना जिले में 976.05 हजार कैरेट हीरे के शेष होने की बात कर रहे हैं।

1.43 करोड़ रुपये का नुकसान  

एनएमडीसी की खदानों पर वन विभाग द्वारा रोक लगाए जाने और राज्य में पिछले कुछ वर्षों में बंद हुई हीरा खदानों और गैर कानूनी तरह से चल रही हीरा खदानों की वजह से उत्पादन कम हुआ है।  उत्पादन में कमी के चलते पिछले 3 वर्षों में  राज्य को लगभग 1.43 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।

उम्मीद अभी बाकी है… 

माइनिंग विभाग के आला अधिकारियों की मानें तो वन विभाग के साथ मामला सुलझने पर जल्द ही हीरा उत्पादन बढ़ जाएगा। वर्ष 2008-09 में राज्य में केवल 592 कैरेट हीरे का ही उत्पादन किया गया था, जिससे सरकार को केवल 9 लाख रुपये ही राजस्व के रूप में  प्राप्त हुए थे इसके पहले के वर्षों में राज्य में क्रमश: वर्ष 2006-07 में 2180 कैरेट और वर्ष 2007-08 में 601 कैरेट हीरे का उत्पादन किया गया था। इससे सरकार को क्रमश: 1.52 करोड़ रुपये और 71 लाख रुपये ही बतौर राजस्व प्राप्त  हुआ था।

इनका कहना :

पिछले 2-3वर्षों में राज्य में हीरा उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। वन विभाग द्वारा एनएमडीसी की खदानों पर रोक लगाया जाना इसका प्रमुख कारण है। विवाद सुलझने की स्थिति में अगले वर्षों में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।  एस के मिश्रा, एमडी, स्टेट माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड।

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