बाल-विवाह का प्रचलन हावी है मध्य प्रदेश में

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भूमिका कलम, भोपाल

मध्यप्रदेश सरकार बालिकाओं के लिए जारी तमाम योजनाओं के कारण इतनी गुमान में है कि पिछले 10 वर्षों में बाल विवाह के आंकड़े ही नहीं रखे गए। इसके साथ ही पुलिस सहित स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग ने तो इस कुप्रथा को रोकने में अपनी किसी भी जिम्मेदारी से ही पल्ला झाड़ लिया है। इस गैरजिम्मेदार व्यवहार का खुलासा तब हुआ जब पिछले 10 वर्षों में राज्य के हर जिले में हुए बाल विवाहों की जानकारी सूचना के अधिकार में मांगी गई। वहीं बच्चों के अधिकारों का हनन करने वाली सामाजिक कुप्रथा के बारे में केंद्र द्वारा कराए गए सर्वे के आंकड़े चौकाने वाले हैं, जिसके अनुसार देश में 57.3 लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र से पहले कर दिया जाता है

प्रदेश के हर जिले में हुए बाल विवाह की जानकारी के अनुसार पिछले दस वर्षों में केवल 77 बाल विवाह हुए हैं। आश्चर्यजनक रूप से इस जानकारी के अनुसार इस समयावधि में 35 जिलों में कोई बाल विवाह हुआ ही नहीं। इन्हीं तथ्यों के दूसरे पहलू को देखें तो नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे में भारत में 47.4 फीसदी महिलाओं का विवाह 18 साल से कम उम्र में होना बताया गया है, जहां मध्यप्रदेश भी  इस कुप्रथा के लिए चौथे स्थान पर है जहां 57.3 फीसदी बाल विवाह हो रहे हैं। जिला स्तरीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2007-08) के हवाले से प्रदेश को देखें तो पता चलता है कि चार जिलों बड़वानी, धार, झाबुआ और रायसेन में 65 से 80 प्रतिशत बालिकाओं का विवाह उनके बालिग होने के पहले ही कर दिया जाता है। इसी सर्वे के राज्य स्तरीय परिणामों के अनुसार मध्य प्रदेश में कम से कम 44.5 फीसदी बाल विवाह हो रहे हैं।

 ऐसे झाड़ा विभागों ने जिम्मेदारी से पल्ला

 विभागों के बीच तालमेल और राज्य के लिए बाल विवाह के मामलों की गंभीरता जानने के लिए समाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे द्वारा सूचना के अधिकार में आवेदन लगाकर पिछले 10 सालों में हुए बाल विवाहों की जानकारी मांगी गई। रोली के अनुसार सामाजिक तौर पर जिम्मेदार महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और पुलिस विभाग में इस जानकारी के लिए आवेदन लगाया गया। शिक्षा विभाग ने आवेदन यह कहते हुए लौटा दिया कि वे इस प्रकार की जानकारी नहीं रखते। महिला बाल विकास विभाग को इस कानून में मुख्य भूमिका निभाता है उसने आवेदन पुलिस मुख्यालय को अंतरित कर दिया, क्योंकि उनके पास बाल विवाह संबंधित कोई आंकड़े थे ही नहीं। स्वास्थ्य विभाग ने हमेशा की तरह आवेदन का कोई जवाब नहीं दिया।

आंकड़ों की जमीनी हकीकत

पुलिस मुख्यालय द्वारा दिए गए आंकड़े और चौंकाने वाले रहे जिसके अनुसार पिछले दस सालों में 24 जिलों में कोई बाल विवाह नहीं हुए और विभाग के पास 11 जिलों में बाल विवाह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही 15 जिलों में पिछले 10 वर्षों के दौरान 77 मामले बाल विवाह के दर्ज किए गए।

जिला डीएलएचएस-3 के अनुसार (प्रतिशत)             पुलिस द्वारा दी गई जानकारी

 झाबुआ            75                               0

रायसेन            68.8                            0

धार               67.7                         1

डिंडोरी                 62                                        0

होशंगाबाद           62.8                               0

सिहोर             62.6                              1

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