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अदालत घाट हादसा : अब अदालत पर टिकी लोगों की नजर

पटना,  आस्था के पर्व छठ के मौके पर सोमवार को पटना के अदालत घाट पर मची भगदड़ और एक चचरी पुल टूट जाने से 17 लोगों की मौत के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के चार सहयोगियों सहित नौ लोगों के खिलाफ स्थानीय अदालत में एक शिकायत पत्र दायर किया गया है। पटना की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रीति वर्मा की अदालत में समाजसेवी रामजी योगेश द्वारा दर्ज शिकायत पत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मेादी, नगर विकास एवं आवास मंत्री प्रेम कुमार, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, पटना के आयुक्त, पटना के जिलाधिकारी, पटना नगर निगम के अभियंता और चचरी पुल का निर्माण करवाने वाले ठेकेदार पर गैर इरादतन हत्या, प्रशासनिक लापरवाही और अपराधिक षडयंत्र का आरोप लगाया गया है।

इस शिकायत पत्र पर आगामी 30 नवंबर को सुनवाई होगी।

उल्लेखनीय है कि छठ के सायंकालीन अर्घ्य के बाद अदालत घाट के पास भगदड़ मच गई थी, जिसके कारण पुल टूट गया जिसमें अनअधिकारिक रूप से 17 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। लापरवाही के आलम ने कितने हंसते खेलते जीवन को लील लिया। गौरतलब है कि छठ महापर्व का बिहार में विशेष महत्व है और इस पर्व के समय सारा देश बिहार के लिए अधिकाधिक सुविधा की उम्मीद रखता है। पर दुर्भाग्य ही कहा जा सकता कि ऐन छठ के मौके पर सूबे के मुखिया अपनी पाकिस्तान यात्रा पर थे और उनकी अनुपस्थिति में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी बिहार की कमान संभाले हुए थे। मानों यह कहावत चरितार्थ करते हुए कि ‘जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसूरी बजा रहा था’। गौरतलब है कि बिहार में जेडीयू और भाजपा की मिली जुली सरकार काम कर रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा से बनते बिगड़ते संबंधों को किसी गवाही की जरुरत नहीं है , फिर उपमुख्यमंत्री पर इतना भरोसा भी इस दुखद घटना का एक पहलू है।
मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी  गृह विभाग के प्रधानसचिव  को दी थी, जिनकी निगरानी में काम शुरू कर चुके हैं।

बहरहाल इस घटना की जिम्मेवारी किसी पर भी तय हो पर जिन लोगों की अकाल मौत का गवाह बना वह घाट क्या उसे बदला जा सकता है। स्थानीय लोगों की माने तो उस पुल का निर्माण ही पूरी तरह से गलत था। जिस संकरे रास्ते को पुल के रूप में चिह्नित किया गया था पूरी प्रक्रिया वहीं से संदेह के घेरे में थी। धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की संभावना सदैव बनी रहती है पर हद तो इस बात पर थी कि किसी महापर्व पर मातम के लिए के उस राज्य का शासन और प्रशासन जिम्मेवार हो।

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7 Comments

  1. Anita ji hadse ki tasvir na lagakar kisi aadmi ki tasvir lagayi hai , ap v kitne sanvedanshil hai pata chalta hai ese chamchayee ki had hi kahege

  2. संजय जी, यह किसी आदमी की नहीं बल्कि एक मीडिया मैन की तस्वीर है जो प्राय: किसी भी गंभीर हादसों के बाद अपने साजो सामान के साथ पहुंचते हैं सिर्फ और सिर्फ अपनी टी आर पी की खातिर, जिसे लिखना आसान नही था, तो इस तस्वीर के माध्यम से दिखाने और समझाने की कोशिश की ।

  3. कल्पना करता हूँ,जब ओ उनके बूढ़े माँ-बाप,उनकी पत्नी और अच्छे-अच्छे बच्चे गंगा घाट के किनारे पूरा परिवार महापर्व का आनंद ले रहे होंगे भक्तिमय छठ का गीत गुंजयमान होगा महिलाएं अपने मुख से छठी मैया का गाना गा रही होंगी, बच्चे छुर्छुरी-पटाके से आनंद ले रहा होगा अपने लोग साथ में गुप्प मार रहे होंगे,उधर व्रती महिला गंगा जी में खड़ी होकर उपासना में लीन होंगी और उनके साथ-साथ कितने लोग धुप आरती में मग्न होंगे …………..अचानक चीख पुकार हाहाकार चारो तरफ लोग भाग रहे आदमी बच्चे को रोंदकर अपनी जान बचाने को भाग रहा होगा बच्चों की चीख कोइ सुनने वाला नहीं होगा बूढी माँ को को कोइ सहारा देने वाला नही होगा, गंगा मैया भी असहाय हो सब देख रही होंगी …..कितना डरावना मंजर होगा …..कल्पना से मात्र रुंह कांप उठती है …आप इस महापर्व में जो बच्चे गँवा चुके जिन्होंने अपनों को खोया ….आईये उनके लिए प्रार्थना करें कि जगत-जननी जगदम्बा उहें इस महापीड़ा को सहने कि छमता प्रदान करें …………जय हो !!!

  4. बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना ….अगले दिन आपका ऑनलाइन ना होना चिंता बढ़ा रहा था ।आपने कुछ सटीक बातें लिखी है जब रोम जल रहा ………..! सबसे बड़ी बात ये थी कि इतनी बड़ी श्रधा और इतने लोगों का एकत्रीकरण मगर आपात स्थित हेतु बिहार की राजधानी शून्य लोग तड़प रहे थे और पुलिस डंडा भंज रही थी …मुर्दों के लाश से जिन्दा लोग निकल रहे थे ……………………..जय हो !

  5. यह एक प्राकृतिक घटना है इसे किसी व्यक्ति पर आरोप लगाना मुनासिब नही मरना जीना तो ईश्वर के हाथ मे है मरने बालों के लिए कोई ना कोई बहाना होना निश्चित है ॥

  6. अनिता जी, आपके लेखन में सचमुच बहुत दम है. और खास यह कि आप बिल्कुल सजग, सतर्क और तटस्थ पत्रकार हैं, यह मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ. आपकी तटस्थ और निर्भीक पत्रकारिता को सलाम….!

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