जनता के गले पर कांग्रेस का हाथ
केन्द्र में बैठी कांग्रेस की सरकार ने फिर से आम जनता पर मंहगाई का वज्रपात कर दिया है। पेट्रोल, डीजल, क़िरोसिन और घरेलू इंधनों के मूल्य में बढ़ोत्तरी कर केन्द्र सरकार ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि उसका आम लोगों के साथ कोई लेना-देना नहीं है। वस्तुत: यह सरकार अमीरों एवं पूंजीपतियों का एक ऐसा दीमक है जो धीरे=धीरे आम जनता या फिर यों कह ले की गरीब जनता के अस्तित्व को समाप्त कर जायेगा। चुनाव मे कांग्रेस ने जो दावा किया था कि आम आदमी के साथ कांग्रेस का हाथ रहेगा ..वो केवल एक छ्लावा भर था। वो मात्र एक स्लोगन था , जिसका सही समय पर सही प्रयोग किया जा रहा था।
आज पेट्रोल, डीजल, क़िरोसिन और घरेलू इंधनों के मूल्य मे बढ़ोत्तरी कई और पदार्थों के दाम को आसमान तक ले जाने वाली है। इससे आम जन की क्या दुर्गती होगी ये समझा जा सकता है। दूध के दाम, मांस तथा मछली के दाम, दाल, चावल, गेहूं के दाम साथ ही साथ अन्य खाद्य वस्तुओं पर भी इस मूल्य वृद्धि के दूरगामी परिणाम नजर आने वाले हैं। आज देश की आम जनता सकते में है और उसे इस बात का भी पूरा-पूरा अहसास है कि आने वाले दिन उसके लिए एक बडी आफत लाने वाली रहेगी। पर उनके इस आफत पर बड़ी बड़ी अर्थशास्त्रीय भाषाओं का ताला जड़ दिया जायेगा इस बात की भी पूरी संभावना है।
कहते है कि यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों में बाँट दिया जाय तो कोई भी काम आसानी से पूरा किया जा सकता है । ये सरकार आज उसी नीति को अपना कर महंगाई को छोटे छोटे चरणों में बांट कर बहुत ज्यादा बढ़ा चुकी है। मंहगाई अगर इसी तरह कुछ छोटे छोटे चरणों मे बढ़ता रहा तो भारत मे केवल दो वर्ग वाला ही रह जायेगा एक अमीर और एक गरीब । महात्मा गाँधी का ऐसा मानना था कि “गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है” । आज तो इस बात के प्रमाण बिलकुल साफ नजर आ रहे है। वैसे केन्द्र सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है । और जब जनता अपनी उपेक्षा का हिसाब लेना शुरू करेगी तो यह दादागिरी धरी की धरी रह जायेगी।
केन्द्र में बैठी सरकार इस सच को भी समझने का प्रयास करे कि लोकतंत्र एक विशेष धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है और ऐसी असाधारण संभावनाएँ भारत के इतिहास मे कई बड़े परिवर्तन भी ला चुकी है। केन्द्र सरकार आज महंगाई तथा और भी कई अन्य मुद्दों पर अपना रवैया तानाशाही का रखे हुए है। उसे आम लोगों के जीवन मे हो रही परेशानियों को दूर करने में कोई भी रूचि नहीं है। आज के भारतवर्ष में वही लोकतंत्र है जहां धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर । आज सरकारी व्यवस्था भष्ट्राचार के मकडजाल मे उलझी बैठी हुई है और कहीं न कहीं उस व्यवस्था का सबसे बड़ा शिकार आम आदमी ही बन रहा है। हां.,,बाबा रामदेव सरीखे लोगों को इससे कुछ फर्क पडने वाला नहीं..वैसे कहां है आजकल रामदेव????