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जमीनी स्तर पर जनता पार्टी को किया जाएगा मजबूत : जयप्रकाश बंधु

पटना। जनता पार्टी तेजी से अपनी जमीन को मजबूत करने में लगी हुई है। इसे लेकर पार्टी के अंदर गहन चिंतन मनन का दौर चल रहा है। इस दौरान कुछ मौलिक सवाल भी उठ रहे हैं। उन सवालों का जवाब देते हुये जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश बंधु ने जनता पार्टी से जुड़े लोगों को ऑनलाइन संबोधित करते हुये कहा कि जनता पार्टी के संविधान के बारे में कुछ साथियों द्वारा देखने और पढ़ने की इच्छा व्यक्त किया गया है। किसी भी पार्टी का संविधान कुछ खास अनुच्छेदों को छोड़कर लगभग एक हीं तरह का होता है। वैसे जनता पार्टी के संविधान में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की अध्यक्षता में बहुत बार संबोधन किया गया जिसके कारण कई खण्डों और अनुच्छेदों को कितने ही बार उल्लेखित और परिभाषित किया गया है।

उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि जनता पार्टी के संविधान को पार्टी के बेवसाइट पर आने वाले समय में डाल दिया जाय। मूल प्रति को अलग और संसोधनों को अलग करके ताकि सभी लोगों को व्यवस्थित जानकारी मिल सके। उन्होंने जोर देते हुये कहा कि एक बात और मैं कहना चाहूंगा कि जनता पार्टी के संविधान की हीं पुर्णरुप से नकल भारतीय जनता पार्टी का संविधान है। बस जनता पार्टी के संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात है और भाजपा के संविधान में पंथनिरपेक्षता की बात कही गई है। ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर जनता पार्टी के संविधान में और भाजपा के संविधान में हल्का सा अंतर है। जहां तक विभिन्न सहयोगी संगठनों की बात है तो युवाओं के लिए जनता युवा मोर्चा है, महिलाओं के लिए जनता महिला मोर्चा है। किसानों के लिए जनता किसान मोर्चा है, छात्रों के लिए जनता छात्र परिषद है बुद्धजीवी मोर्चा है अधिवक्ता मोर्चा है, आर्थिक सलाहकार समिति है नीति निर्धारक समिति है विदेशी मामलों के लिए समिति है, लगभग वही सबकुछ है जो अन्य पार्टियों में होता है। हां, भाजपा का संविधान लगभग लगभग जनता पार्टी के हीं संविधान की नकल है। फिर भी पार्टी से जुड़ने वाले लोगों के अवलोकन हेतु इसे साइट पर डालने की कार्य योजना है। उन्होंने कहा कि अब जनता पार्टी की प्रासंगिकता को स्थापित करने की कार्य योजना पर बहस होंगे और पार्टी को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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