जो सरकार किसान विरोधी उसे जाना ही होगा: दीपंकर भट्टाचार्य

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पटना। किसानों के हाथ से खेती छीनकर कारपोरेटों को हवाले कर देने वाले कृषि बिलों के खिलाफ किसान संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर पटना में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य और अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह सहित सैंकड़ों की संख्या में माले व किसान महासभा के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और अपना प्रतिवाद दर्ज किया।

इसके पहले राजधानी पटना में किसान कार्यकर्ताओं ने बुद्धा स्मृति पार्क से डाकबंगला चैराहा तक मार्च किया और फिर चौराहे को जाम कर सभा आयोजित की गई।  कार्यक्रम में मुख्य रूप से उक्त नेताओं के अलावा माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, मीना तिवारी, किसान नेता उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, शंभूनाथ मेहता, अभ्युदय आदि शामिल थे।

माले महासचिव ने अपने संबोधन में कहा कि आज किसान विरोधी काले बिलों की वापसी की मांग पर पूरे देश में प्रतिवाद हो रहा है। कहीं बंद है, तो कहीं सड़क जाम है। ये बिल किसानों के लिए बेहद खतरनाक हैं। राज्य सभा में जिस प्रकार से बहुमत नहीं रहने के बावजूद जबरदस्ती बिल पारित करवाया गया, वह लोकतंत्र की हत्या है। इसे देश कभी मंजूर नहीं करेगा।

आगे कहा कि मोदी सरकार द्वारा खेती की नीलामी व कॉरपोरटों की दलाली हमें मंजूर नहीं है। आज देश के किसानों के समर्थन में मजदूर, छात्र-नौजवान व आम नागरिक सड़क पर उतर आए हैं। किसान विरोधी सरकार इस देश में राज नहीं कर सकती है। हमें कंपनी राज मंजूर नहीं है। पहले देश में अंग्रेजो का कंपनी राज चलता था, अब ये सोंचते हैं कि अंबानी-अडानी का कंपनी राज चलेगा, ऐसा नहीं हो सकता है। जब तक ये बिल वापस नहीं होते, लड़ाई जारी रहेगी। बिहार विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा बनेगा और चुनाव में किसानों के आक्रोश की अभिव्यक्ति होगी।

अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि आज देश के सभी किसान संगठन सड़क पर हैं। मजदूर संगठनों के साथी हमारे साथ हैं। हम मोदी सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी कानूनों को देश में नहीं चलने देंगे। आज एक-एक कर मोदी सरकार कंपनियों के हाथों देश को बेच रही है। यह हमें मंजूर नहीं है। इस सरकार ने एमएसपी पर कानून नहीं बनाया लेकिन किसानों की खेती छीन लेने पर आमदा है। यह चलने वाला नहीं है।

पटना जिले के पालीगंज में कृषि बिल के विरोध में आयोजित प्रर्दशन का नेतृत्व आइसा के महासचिव संदीप सौरभ और माले की राज्य कमिटी के सदस्य अनवर हुसैन व अन्य नेताओं ने किया। मसौढ़ी में गोपाल रविदास के नेतृत्व में मुख्य चैराहा को माले व किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने घंटों जाम कर दिया।

आरा में किसान महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य व माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य राजू यादव और तरारी में माले विधायक सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया। अगिआंव में माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य मनोज मंजिल के नेतृत्व में विशाल मार्च हुआ। सिवान में किसान नेता अमरनाथ यादव ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। जहानाबाद में रामबलि सिंह यादव आदि नेताओं ने मार्च किया। अरवल में माले के जिला सचिव महानंद ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया।

पूर्णिया के रूपौली में किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ रूपौली में चक्का जाम किया गया।

दरभंगा में लहेरियासराय टावर पर कृषि बिल के खिलाफ प्रतिवाद हुआ, जिसमें किसान महासभा के जिलाध्यक्ष शिवन यादव व अन्य माले नेताओं ने भगा लिया। प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन किया गया और मिर्जापुर चैक को जाम किया गया। मधुबनी में जिला समाहरणालय के समक्ष सड़क जाम किया गया। दरभंगा में एनएच 57 को जाम कर प्रतिवाद दर्ज किया गया। समस्तीपुर और बेगुसराय  में भी एनएच 57 को कई स्थानों पर जाम किया गया।

गया के टेकारी में किसान विरोधी बिल के खिलाफ मोदी का पुतला दहन किया गया। गया में गांधी मैदान से टावर चैक तक मार्च निकाला गया। मुजफ्फरपुर के गायघाट में किसान नेता जितेन्द्र यादव ने प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व किया।लगभग सभी जिलों में माले व किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम में हजारों की तादाद में हिस्सा लिया और मोदी सरकार को तीनों किसान विरोधी कानून वापस लेने की चेतावनी दी है। सुपौल, खगड़िया, नालंदा, रोहतास, गोपालगंज, वैशाली, नवादा, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, चंपारण, भागलपुर आदि जिलों में आज के आह्वान पर किसान सड़क पर उतरे। वैशाली में किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष विशेश्वर यादव ने मार्च का नेतृत्व किया।

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