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दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में होगा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का महाधिवेशन

तेवर आनलाईन, पटना

लगभग दो दशकों के बाद, इस वर्ष बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन अपना अधिवेशन बुलाने जा रहा है। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह मे यह महाधिवेशन संपन्न होगा, जिसमें देश के बड़े-बड़े साहित्यकार भाग लेंगे। यह निर्णय सम्मेलन-भवन, कदमकुआं में  सम्मेलन की कार्यसमिति की बैठक मे लिया गया।

सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया है कि, इस सिलसिले मे दुर्गापूजा के बाद सम्मेलन की स्थायी-समिति की बैठक बुलाई जायेगी और उसमें इस प्रस्ताव की स्वीकृति के साथ-साथ इस संबंध में की गयी तैयारियों की भी समीक्षा की जायेगी। अधिवेशन के पूर्व प्रदेश के जिन ज़िलों में साहित्य सम्मेलन प्रदेश-सम्मेलन से संबद्ध नही हैं, उनके संबंधन की प्रक्रिया पूरी कर दी जायेगी और जहां ज़िला सम्मेलन नहीं हैं, वहां इसकी स्थापना कर दी जायेगी, ताकि सभी ज़िलों के प्रतिनिधियों को अधिवेशन मे शामिल होने का अवसर मिल सके।

इस अधिवेशन के साथ ही अब पूर्व की भांति प्रत्येक वर्ष साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन हुआ करेंगे, जिसमें हिन्दी भाषा, साहित्य और देवनागरी लिपि के विकास और देश-व्यापी प्रचार और प्रसार के विभिन्न उपायों पर चर्चा और उसके कार्यान्वयन की नीतियां तय होंगी। कार्य समिति की अगली बैठक में अधिवेशन की पूरी कार्य-सूची तैयार कर ली जायेगी।

1919 में स्थापित बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का  इसकी स्थापना काल से ही प्रत्येक वर्ष विभिन्न ज़िलों मे अधिवेशन हुआ करता था, जो बाद में बन्द हो गया। लगभग 25 वर्षों के बाद 90 के दशक मे सम्मेलन भवन, पटना मे इसकी पिछली बैठक हुई थी। किंतु यह सिलसिला आगे नही बढ सका। नयी कार्य-समिति में उत्साह है। इसलिये इसकी आशा की जा स्कती है कि यह परंपरा एक नये रूप मे फ़िर से स्थापित होगी और आगे भी चलती रहेगी। बैठक में, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, पं शिवदत्त मिश्र, कवि बाबूलाल मधुकर, प्रधानमंत्री राम नरेश सिंह, साहित्यमंत्री बलभद्र कल्याण, अर्थमंत्री योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह, कलामंत्री राज कुमार प्रेमी, पुस्तकालयमंत्री उमेन्द्र प्रसाद सिंह, डा मधु वर्मा, चन्द्रदीप प्रसाद, अमरनाथ प्रसाद, सुधीर कुमार मंटु तथा आचार्य आनंद किशोर शास्त्री उपस्थित थे।

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