दे ही दिया पाकिस्तान को खिल्ली उड़ाने का मौका ?
नवीन पाण्डेय
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारी तैयारी कैसी है, इसकी पोल पट्टी एक बार फिर बुरी तरह खुल गई है। ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने के बाद भारत के पास जो रणनीतिक बढ़त आई है, नौकरशाही की बड़ी चूक ने उसको कलम कर दिया है। मोस्ट वांटेड आतंकियों की जो लिस्ट भारत ने पाकिस्तान को सौंपी है, उसमें महाराष्ट्र के ठाणे में रहने वाले वजाहुल कमर खान का नाम भी डाल दिया गया. वजाहुल कमर खान को एटीएस ने 10 मई 2010 को मुंबई के कुर्ला इलाके से 2003 के मुलुंड ट्रेन धमाकों के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके अलावा तीन अन्य आतंकी मामलों में वजाहुल के खिलाफ पोटा कोर्ट में केस चल रहे हैं। वजाहुल अपनी मां, पत्नी और पांच बच्चों के साथ ठाणे के वागले एस्टेट में रहता है। ये लिखे जाने के चंद घंटे पहले से सारे टेलीविजन चैनलों में उसकी बाइट चला रहे हैं और गृहमंत्री पी चिदंबरम बगलें झांकते दिखाई दे रहे हैं। जिस शख्स पर अपने ही देश में मुकदमा चल रहा है, नौकरशाहों ने उसका नाम मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में डालकर बैठे बिठाए पाकिस्तान को मुद्दा थमा दिया। मामले की पोल खुलने के बाद गृह मंत्रालय की तो किरकिरी हो ही रही है, सबसे बड़ी चोट आतंकवाद के खिलाफ हमारे कामकाज के तरीके पर पड़ी है। चंद घंटे बाद ही पाकिस्तान के अधिकारी टेलीविजन चैनलों पर आएंगे और कुटिल
मुस्कान के साथ उस सूची में शामिल नामों को झटके में खारिज कर देंगे। सरकार इसमें प्रशासनिक लापरवाही की सफाई देकर बचने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे शायद ये समझ नहीं आ रहा है, इस घटना ने पाकिस्तान को बहुत बड़ा बचाव का हथियार दे दिया है। अब पाकिस्तान बड़े आराम से विश्व बिरादरी के कह सकता है कि देखिए, जिस शख्स को भारत, पाकिस्तान में होने का दावा कर रहा है, वो उसके ही देश में बैठा है। इसी तरह दाऊद इब्राहिम सहित अन्य
मांगे गए आतंकी भी भारत में ही हो सकते हैं। पचास आतंकियों की इस लिस्ट को अब पाकिस्तान बड़े आराम से खारिज करके उल्टा भारत को सलाह दे सकता है कि पहले अपने ही देश में ढूंढ लो, कहीं ऐसा तो नहीं वजाहुल की तरह वो भारत में ही छिपे बैठे हों।
पाकिस्तान को पहले भी इस तरह की दर्जनों सूचियां सौंपी जा चुकी है, वो उनके रद्दी की टोकरी में डाल चुका है, लेकिन अमेरिका ने जिस तरह से लादेन को पाकिस्तान में ढूंढ कर मार गिराया, उसके बाद पाकिस्तान बचाव की मुद्रा में है और भारत इसका फायदा उठाकर उसे दबाव में ले सकता था। लेकिन दुनिया के सामने जो मामला उठाया जाना है, उसमें भी कितनी लापरवाही बरती जा रही है, वजाहुल के मामले ने साफ कर दिया है। ऐसे में सरकार आतंकवाद से क्या
खाक लड़ेगी। चंद घंटों के शुरुआती आंकलन में जो बात निकल कर सामने आई है वो बता रही है, लिस्ट तैयार करने में लापरवाही के साथ ‘ कट पेस्ट’ किया गया। लिस्ट को मुंबई पुलिस, एनआईए और सीबीआई की सहमति के बाद गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने अंतिम रूप दिया था। अगर महाराष्ट्र के अधिकारियों ने गलती कर भी दी, तो क्या दिल्ली में बैठे अधिकारियों को उसे क्रास चेक नहीं करना चाहिए था। ये कुछ ऐसा ही है, जैसे आरटीओ में सालों पहले मरे व्यक्ति के नाम पर दलाल लाइसेंस तैयार करवा देते हैं। ऐसे में आतंकवाद के मुद्दे पर ये सरकार कितनी गंभीर है, आसानी से समझा जा
सकता है।
( नवीन पाण्डेय दिल्ली में टेलीविजन न्यूज चैनल के वरिष्ठ पत्रकार हैं)