भारत तक पहुंच सकती है मिस्र की तपिश

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मिस्र में पिछले चार दिनों से प्रदर्शनों का दौर जारी है। आगजनी व तोड़फोड़ की घटनाओं के बीच सेना अपने पूरे साजो समान के साथ सड़कों पर उतरी हुई है। लोग राष्ट्रपति होस्नी मुबारक से अव्यवस्था के कारण इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। अपने कैबिनेट को बर्खास्त करने की बात कह कर होस्नी मुबारक ने लोगो के गुस्से को ठंडा करने की कोशिश तो की लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा भी ने मिस्र में घट रही घटनाओं के प्रति चिंता जताया है। इधर भारत में भी मिस्र की घटनाओं में लोग खासे रुचि ले रहे हैं।

मिस्र में इंटरनेट, मोबाईल और एसएमएस को यूरोप की ओर डाइवर्ट कर दिया गया है। वहां के लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है, इस बीच यूनाईटेड नेशन सेक्रेटरी जनरल बान की मून ने धमकाया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी तरह से इज्जत की जानी चाहिये। होस्नी मुबारक प्रशासन की ओर से सभी मोबाईल आपरेटरों को निर्देश दिया गया है कि मिस्र में अपनी सेवाएं बंद रखें। पिछले चार दिनों से वहां बवाल मचा हुआ है, लोग सड़कों पर उतर कर हंगामा मचा रहे हैं और पोलिटिकल प्रोसेड्योर ठीक करने की मांग कर रहे हैं। पिछले तीन दशक से होस्नी मुबारक मिस्र की लगाम थामे हुये हैं, लेकिन अब मामला उनके हाथ से फिसलता हुआ लग रहा है। लोगों में बहुत गुस्सा है। अभी हाल ही में ट्यूनिशिया में जिने ऐल अबीदिन बेन अली का तख्ता पलट हुआ है। पिछले 25 साल से वह ट्यूनिशिया पर काबिज था। मिस्र में होस्नी के खिलाफ प्रदर्शनों का दौर अली के पतन के बाद से शुरु हुआ है।   

मिस्र में प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारी ट्यूनिशिया के प्रदर्शनकारियों से एसएमएस के जरिये टिप्स ले रहे थे, इसके अलावा अपने लोगों को सही दिशा में हंगामा करने के लिए भी मोबाईल और इंटरनेट का इस्तेमाल शानदार तरीके से किया जा रहा था। युवाओं के समूह इसमें खासतौर पर सक्रिय थे। जिस अंदाज में आधुनिक इनफार्मेशन तकनीकी का इस्तेमाल मिस्र में किया जा रहा था वो अभूतपूर्व था। सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से मिस्र के लोग अपने विरोध के लिए अन्य मुल्क के लोगों से नैतिक समर्थन भी मांग रहे थे। चहुंमुखी इनफोर्मशन प्रवाह को देखते हुये ही मुबारक प्रशासन ने नेटवर्किंग सेवाओं को कंट्रोल करने का निर्णय लिया।   

अव्यवस्था,पुलिस दमन, और भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस तरह से मिस्र  के लोगों में गुस्सा है उसे देखते हुये कहा जा सकता है कि यह उबाल अभी थमने वाला नहीं है।

मजे की बात है कि मिस्र में होने वाले प्रदर्शनों में भारत के लोग भी खूब रुची ले रहे हैं, और यहां के लोगों को भी यह अहसास हो रहा है कि उनकी भी स्थिति कमोवेश मिस्र के लोगों जैसी ही है। आने वाले समय में भारत में कुछ इसी तरह के प्रदर्शनों की अकुलाहट यहां के लोगों में दिखालाई दे रही है। ध्यान देने योग्य हैं कि 1977 में तहरीर चौक पर ब्रेड राइट के बाद वहां के लोगों में  राजनीतिक चेतना आई थी. भारतीय राजनीति में में भी 1977 को माइल स्टोन माना जाता है। इसी समय कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया गया था. ऐसे में कहा जा रहा है कि मिस्र के लपटों की तपिश देर सवेर भारत में जरूर महसूस की जाएगी. नेट पर चैट बाक्सों में रोचक तरीके से मिस्र और भारत की तुलना की जा रही है।

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