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मंडप’ में दिनेशलाल यादव निरहुआ और आम्रपाली दुबे

आजमगढ़ से चल रही है निरहुआ और आम्रपाली की फिल्म ‘मंडप’ की शूटिंग

सांसद और एक्टर दिनेशलाल यादव निरहुआ और आम्रपाली दुबे ‘मंडप’ में नजर आने वाले हैं। मंडप उनकी आने वाली फिल्म है। उनकी इस फिल्म की शूटिंग इन दिनों जोर शोर से निरहुआ के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में चल रही है। इस फिल्म के निर्माता रौशन सिंह, सह निर्माता शर्मिला आर सिंह और निर्देशक आनंद सिंह हैं। फिल्म ‘मंडप’ पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बनने वाली अनोखी फिल्म होगी। इस फिल्म का निर्माण भव्य स्तर पर किया जा रहा है। फिल्म में यश राज कैंप जैसी बनने वाली है, जो भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए बेहद खास होने वाली है।

इस बारे में निरहुआ ने कहा कि मंडप एक शानदार फिल्म होगी। हम अभी इसकी शूटिंग अपने संसदीय क्षेत्र में कर रहे हैं। यहां की जनता बेहद सहयोगी है, जिनका समर्थन हमें हर स्तर से मिल रहा है। उन्हें मुझसे उम्मीदें हैं, चाहे बात क्षेत्र के विकास को लेकर हो, या बात मनोरंजन को लेकर। जनता का प्यार मुझे अभिनेता के तौर पर भी खूब मिलता और नेता के तौर पर भी। उन्होंने कहा कि फिल्म ‘मंडप’ की पटकथा दर्शकों को फिल्म से जोड़े रखने वाली है। अभी हम इस फिल्म की शूटिंग पर फोकस कर रहे हैं। सबों से बस इतना कहूंगा कि हमेशा की तरह आप हमारी फिल्म को प्यार और स्नेह दीजिएगा। यह फिल्म भोजपुरिया दर्शकों को समर्पित होगी।

वहीं, फिल्म के निर्देशक आनंद सिंह ने कहा कि फिल्म ‘मंडप’ पूरी तरह से कमर्शियल फिल्म है। यह फिल्म समाज और सरोकार वाली है। फिल्म की कहानी पर हमने खूब मेहनत की। उम्मीद है सभी को जरूर पसंद आएगी। एस आर के म्यूजिक प्रा. लि. प्रस्तुत फिल्म ‘मंडप’ में निरहुआ और आम्रपाली के साथ संजय पांडेय, सुशील सिंह, समर्थ चतुर्वेदी, ऋतु चौहान, सूजन सिंह, श्रद्धा नवल और विद्या सिंह मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म की कहानी मनोज पांडेय ने लिखी है। पीआरओ रंजन सिन्हा हैं। म्यूजिक ओम झा का है। डीओपी साहिल जे अंसारी हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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