लुबना (फिल्म स्क्रीप्ट, भाग 7)
Scene -15
Characters – रतिया, मनकु, सरोज, व सुखु
Ext/Day/ In front of hut
(सरोज एक चटाई पर बैठकर दौरी बना रही है, उसके बगल में बैठा सुखु बांस के छोटे-छोटे तिनकों पर बड़ी सफाई से चाकू चलाकर उसे आकार दे रहा है, साथ में बीड़ी भी रहा है। कुछ दूरी पर मनकु एक लकड़ी के पीढ़े खुला बदन बैठा है, और रतिया उसके पीछे से उसके शरीर पर सरसो का तेल मल रही है)
सुखु
(बीड़ी धूंकते और बांस छिलते हुये रतिया से)…
…दो हाथ इधर भी मार दो….
रतिया
(मुस्कराते हुये) मुफ्त में कुछ न होवे….?
सुखु
सारा राजपाट लाके के दे देम…जरा ऐने तो आओ..
सरोज
(कुछ गुस्से से)….शरीर जरना होयेल हे..बाकि राजपाट लावे ला तैयार हे
रतिया
(मुनका की मालिश करत हुये) मरदों को दुसरों की लुगाई बहुत भाता है….अपनी लुगाई की कद्र कहां करते ….
मुनका
लुगाई लुगाई होती है…. (सरोज की ओर देखते हुये) क्यों, ठीक कहा ना ??
(सरोज हाथ में दौरी उठाकर मुनका के पास आती है, और उसके सिर पर दो दौरी मारती है। रतिया खिलखिलाकर हंसने लगती है। मुनका भी ठहाका मारने लगता है।)
सरोज
…..उस श्मसानी ने लुबना को जूठा कर दिया….
रतिया
रहने दो…मुप्त में उसे भी मजा मिल गया…कल जैसा प्रसाद चला था उससे तो मनकु भी अपनी बहन को नहीं पहचानता….
मनकु
(चिल्लाते हुये) मुंह संभाल के बोलो…..
सुखु
चिल्ला क्यों रहे हो…..लुगाई तो लुगाई होती है…
(मनकु झेंप जाता है, सुखु ठठा के हंसने लगता है।हंसी में रतिया भी उसका साथ देती है।)
कट टू….
Scene -16
Characters –शंभू, और कफन दुकानदार
Ext/Day/ कफन की दुकान
(शंभू दातुन करते हुये श्मसान के पास एक कफन की दुकान के पास गुजरता है। दुकानदार उसका अभिवादन करता है)
दुकानदार
(दुकान पर बैठे- बैठे ही) राम राम शंभू…
शंभू
(दुकानदार की ओर देखते हुये) जय महाकाल….सब ठीक चल रहा है ना…
दुकानदार
(शिकयती लहजे में) ठीक क्या चलेगा …!!
शंभू
क्यों, कफन की बिक्री कम हो गई क्या…?
दुकानदार
तुम तो जानते ही हो …जितना ल्हास आएगा हमारी-तुम्हारी आमदनी उतनी ही बढ़ेगी….
लकड़ी वाले तो एक बार में लकड़ी का पूरा दाम ले लेते हैं…धूप और अगरबत्ती वालों के साथ भी यही बात है…हमारे धंधे को बल तो तुमसे मिलता है…
शंभू
साफ-साफ कहो…….
दुकानदार
कल तीन ल्हास पर छह कफन बेचे…लेकिन एक भी वापस नहीं आया….
शंभू
ऐसा कैसे हो सकता है…?.धूसर सारा काम जानता है…कफन की कमाई में से ही तो महाकाल को भांग और गांजा चढ़ता है…खैर मैं पूछूंगा…आगे से फिकिर करने की जरूरत नहीं है…
दुकानदार
तुमरे रहते हम काहे फिकर करे…
शंभू
जय महाकाल….(दुकान से आगे बढ़ जाता है।)
To be continued