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विजय शर्मा के पहले उपन्यास “दिमाग में घोंसले” पर संगोष्ठी

तेवरआनलाईन, कोलकाता

पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज ने कथाकार विजय शर्मा के पहले उपन्यास “दिमाग में घोंसले” पर एक संगोष्ठी आयोजित की है। प्रसिद्ध आलोचक प्रो. रविभूषण इसकी अध्यक्षता करेंगे। उपन्यास के लेखकर श्री विजय शर्मा उपस्थित रहेंगे। राजीव हर्ष (संपादकीय प्रभारी, राजस्थान पत्रिका, कोलकाता) विशिष्ठ अतिथि होंगे।

आलेख पाठ श्री परशुराम (आलोचक), श्री नूर मोहम्म्द नूर (कवि, समीक्षक और कथाकार), श्री अशोक सिंह (महासचिव पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज) द्वारा किया जाएगा।

आमंत्रित वक्ताओं में श्री दिनेश चंद्र वाजपेयी (पश्चिम बंगाल के पूर्व पुलिस महानिदेशक), श्रीमती सरला माहेश्वरी (पूर्व सांसद और लेखिका), श्री अनय (कथाकार), श्री प्रफुल्ल कोलख्यान (कवि और आलोचक), श्री एकांत श्रीवास्तव (कवि), श्री अरविन्द सिन्हा (फिल्म निर्देशक), डा. नीलम सिंह (कवियत्री), श्री गौतम सान्याल (अध्यक्ष हिन्दी विभाग, बर्दवान विश्वविद्यालय), डा. राजश्री शुक्ला (अध्यक्ष हिन्दी विभाग, कोलकाता विश्वविद्यालय) शामिल हैं।

इस संगोष्ठी का संचालन श्री प्रियंकर पालीवाल (लेखक, कवि और टिप्पणीकार) करेंगे। संगोष्ठी का आयोजन 29 अगस्त, 2010 को सायं 5 से 8 बजे तक वाई एम सी हाल (चौरंगी), 25, जवाहरलाल नेहरू रोड, कोलकाता -87 में किया जा रहा है। पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज के अध्यक्ष हैं राज मिठौलिया और संयोजक हैं श्री केशव भट्ठड़। इस संबंध में विशेष जानकारी के लिए इनके मोबाईल नंबर क्रमश: 09239205969 व 09330919201 पर संपर्क कर सकते हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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