विश्व बैंक के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करेगी बिहार सरकार: नीतीश कुमार
-बाढ़ पीड़ितों के लिए विश्व बैंक ने बिहार को 220 मिलियन डालर दिये
-राज्य के लिए विश्व वैंक ग्रुप प्रोजेक्टस में प्रस्तावित 1 बिलियन की ओर पहला कदम
तेवर आनलाईन, पटना
पिछले 50 वर्षों में भारत में सर्वाधिक फ्लड प्रभावित क्षेत्रों में तबाही व बर्बादी से निजात दिलाने में मदद के लिए प्रस्तावित फंड के हिस्से को देते हुये विश्व बैंक ने अगले कुछ वर्षों में बिहार सरकार को समर्थन देने का संकेत दिया है।
विश्व बैंक ग्रुप के प्रेसिडेंट राबर्ट बी जऑलिक और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के बाद राज्य में ऐसा करने का निर्णय हुआ। पहले चरण में दोनों बिहार कोसी रिकवरी प्रोजेक्ट के नये समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह बने, जो कुल 220 मिलियन अमेरिकी डालर का है।
राज्य के लिए प्रस्तावित नये प्रोजेक्टों की श्रृंखला में बिहार कोसी रिकवरी प्रोजेक्ट पहला है, जिसमें अगले कुछ वर्षों में बिहार को समर्थन देने के लिए एक बिलियन अमेरिकी डालर उपलब्ध कराया जाएगा।
कार्यकारी निदेशकों का बैंक बोर्ड को इसे अप्रूव करना है,आगामी प्रोजेक्टस कृषि, सड़क के साथ साथ फ्लड मैनजमेंट और तबाही की तैयारी पर केंद्रित होंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “एक अदभुत क्षण राज्य में कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास की ओर ले गया, पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है। ग्रामीण बिहार की बहुत बड़ी आबादी प्रत्येक वर्ष बाढ़ से प्रभावित होती है। विश्व बैंक और बिहार सरकार पिछले पांच साल में बने अपने संबंधों को मजबूत करने का इच्छुक है। डिजास्टर मैनेजमेंट के साथ-साथ आर्थिक विकास के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विश्व बैंक के साथ अपने विस्तारित संबंधों का हम स्वागत करते हैं। ”
“दो साल हो गये और बिहार के लोगों को बाढ़ की भंयकर कीमती चुकानी पड़ रही है, राहत पहुंचाने के तमाम उपायों के बावजूद बहुत सारे लोग अस्थायी स्थानों पर रह रहे हैं, अपनी आजिविका भी नहीं कमा पा रहे हैं, सड़कों और पुलों की तबाही के बाद पृथक हो चुके हैं,” ज्ओलिक ने कहा। उन्होंने आगे कहा, “प्रत्येक साल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की एक बहुत बड़ी आबादी के साथ यह प्रोजेक्ट बिहार में हमारे संबंधों के नये चरण में प्रवेश को चिन्हित करता है।”
कोसी बेसिन में 2008 की बाढ़ ने बिहार के पांच जिलों में करीब 3.3 मिलियन लोगों को प्रभावित किया था। करीब 1 मिलियन लोग उजड़ गये थे और 460,000 लोगों रिलिफ कैंपों में अस्थायी रूप से रखा गया था। परिस्थितिवश हजारों परिवार अपनी कृषि खो चुके हैं। इनके घर और आधारभुत सुविधाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हैं। पहले से ही गरीब एक बहुत बड़ी आबादी, जो कुछ था वो भी खो चुकी है और गरीबी में कुछ और धंस गई है।
नये प्रोजेक्ट का उद्देश्य बिहार में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए 100,000 घर, 90 पुल और 290 किमी ग्रामीण सड़क बनाने का है। इस प्रोजेक्ट पर कुल 259 मिलियन अमेरिकी डालर खर्च किया जाना है, जिसमें बिहार का योगदान 39 मिलियन अमेरिकी डालर का होगा। प्रत्येक घर की कीमत 55,000 रुपये (1200 अमेरिकी डालर) होगी। शौचालय व और सौर उर्जा से जलने वाली बत्ती के लिए अलग से क्रमश: 2300 रुपये और 5,000 हजार रुपये पड़ेंगे। यदि किसी के पास जमीन नहीं है तो बिहार सरकार लोगों को जमीन खरीदने के लिए अतिरिक्त पांच हजार रुपये उपलब्ध कराएगी।
इकोनोमिक अफेयर, वितमंत्रालय, के संयुक्त सचिव वेनु राजमोनी ने कहा,” प्राकृतिक आपदाएं व्यापक जान माल का नुकसान करती हैं। भारत सरकार ने जरूरत के वक्त प्रभावित राज्यों में लोगों की मदद के लिए हमेशा समर्थन दिया है। गुजरात भूंकप और सूनामी प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण और पुर्नवास के लिए विश्व बैंक की मदद ली गई थी। कोसी बाढ़ के बाद बिहार सरकार निर्माण और पुनरवास का व्यापक कार्य कर रही है, लेकिन राज्य के विकास की रणनीति में डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट को प्राथमिकता देनी है। “