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सजग रहकर नशाखुरानी गिरोह से बचाव करें

दिलीप कुमार, सीपीआरओ (हाजीपुर)

अगले महीने से विभिन्न सम्प्रदायों के पर्व त्योहारों का मौसम शुरू हो रहा है। इस दौरान देश के विभिन्न भागों से लोग अपने परिजनों के बीच खुशियां मनाने घरों को लौटते हैं । प्रायः यह देखा गया है कि पर्व त्योहारों के दिनों में ट्रेनों में नशाखुरानी की घटनाओं में अचानक तेजी आ जाती है । यात्रियों को नशाखुरानी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से पूर्व मध्य रेल द्वारा स्टेशनों एवं ट्रेनों में जगह-जगह पर नशाखुरानी से संबंधित पोस्टर, पम्पलेट लगाया जाता रहा है। इसके अलावा विभिन्न स्टेशनों पर नुक्कड़ नाटक द्वारा भी नशाखुरानी के प्रति यात्रियों जागरूक किया जा रहा है ।

रेल यात्रा के दौरान नशाखुरानी एक गंभीर समस्या बनकर सामने आयी है । रेलवे में नशाखुरानी के अनेक गिरोह सक्रिय हैं । प्रायः प्रतिदिन किसी-न-किसी ट्रेन में नशाखुरानी गिरोह के सदस्य छल-कपट करके भोले-भाले यात्रियों को अपने जाल में फंसाते हैं । अच्छी-अच्छी बातें करके उन्हें अपना बनाते हैं और फिर जहरीली चीजें खिलाकर उन्हें बेहोश कर देते हैं । उसके बाद उनका सारा सामान लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं । प्रशासन द्वारा ऐसे गिरोह पर अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं फिर भी आश्चर्य की बात यह है कि ऐसी घटनाएं प्रायः रोज हो रही हैं । नशाखुरानी गिरोह के सदस्य घटना को जिस स्टेशन अंजाम पर देते हैं, वहां पर संबंधित यात्री को इस बात की खबर भी नहीं हो  पाती । वह बेहोशी की हालत में होता है । बाद में गंतव्य स्थान पर पहुंचने  के  बाद जब ऐसे यात्री गाड़ी से नहीं उतरते हैं तो यह बात सामने आती है कि उन्हें नशाखुरानी का शिकार बनाया गया है। प्रशासन द्वारा ऐसे यात्रियों को तत्काल सहायता दी जाती है और इनका इलाज स्थानीय चिकित्सालयों में कराया जाता है । इसके बावजूद कुछ मामलों में नशाखुरानी के शिकार यात्री की मौत भी हो जाती है । 

        राजकीय रेल पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल द्वारा आपस में समन्वय स्थापित करके नशाखुरानी पर अंकुश लगाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है । लेकिन अपराध होने के स्थान और प्रथम सूचना रपट दर्ज होने के स्थान के बीच काफी दूरी रहने और घटना का पता काफी देर से चलने के कारण ऐसे मामलों के अनुसंधान में काफी व्यवधान आता है और कई बार अपराधी पकड़ में नहीं आते हैं

ऐसे मामलों में अंकुश लगाना निश्चित रूप से रेल प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी है, लेकिन रेल यात्री अपने स्तर पर सजग रहकर नशाखुरानी गिरोह से बचाव कर सकते हैं। बचाव के कई तरीके हो सकते हैं। यदि संभव हो तो रेल यात्रा समूह में करें। यात्रा के दौरान समूह का कम-से-कम एक सदस्य बारी-बारी से जाग कर सामान एवं आस-पास के यात्रियों पर नजर रखें। अधिक मात्रा में नगदी धन, जेवरात आदि लेकर यात्रा करना असुरक्षित होता है। इसलिए यात्रा प्रारंभ करने के समय यात्रियों को बैंक ड्राफ्ट बना लेना चाहिए और ड्राफ्ट को सुरक्षित ढंग से रखना चाहिए ।

रेल यात्रा कम-से-कम सामान लेकर करना चाहिए और अपने सामान को सीट के नीचे रखने के बाद उसे चेन के साथ लाक कर देना चाहिए । ग्रामीण यात्री यात्रा के दौरान अपने घर की बड़ी-बड़ी योजनाओं पर चर्चा करते देखे जाते हैं । ऐसी चर्चाओं से आस-पास बैठे असामाजिक लोग आकर्षित हो जाते हैं। इसलिए यात्रा के दौरान कम्पार्टमेंट में किसी अपरिचित यात्री के रहने पर घर बनाने, बिटिया की शादी करने या इसी तरह की बड़ी योजनाओं की चर्चा नहीं करनी चाहिए। यदि कोई अपरिचित यात्री अनावश्यक रूप से आपसे घनिष्ठता बढ़ाने का प्रयास करता हो तो खास तौर पर सावधान हो जाना चाहिए। ऐसे यात्री यदि ज्यादा परेशान करें तो इसकी सूचना स्टेशन प्रबंधक, ट्रेन टिकट निरीक्षक या जीआरपी/आरपीएफ को दिया जा सकता है ।

यात्रा के दौरान किसी अपरिचित या कम परिचित यात्री द्वारा दिया गया खाने-पीने का सामान जैसे – चाय, बिस्कुट, भगवान का प्रसाद आदि नहीं खाना चाहिए। जहरखुरानी गिरोह के सदस्य एक ही पैकेट में जहरीला पदार्थ मिला हुआ और बिना मिलावट का बिस्कुट/प्रसाद आदि रखते हैं । यदि वे स्वयं या अपने परिवार के साथ इसे ग्रहण कर रहें हो तब भी उनके झांसे में आने से बचना चाहिए। कई बार किसी दूसरे यात्री को अपने लिए चाय या पानी लाने के लिए कहना भी खतरनाक हो जाता है। शौचालय जाते समय पानी की बोतल और खाद्य पदार्थ अटैची में बंद करके ही जाना चाहिए।

नशाखुरानी गिरोह के सदस्य अकेले या मिलकर काम करते हैं । कई गिरोह में महिलाएं और बच्चे भी सहयोगी भूमिका में होते हैं। कुछ यात्री सोचते हैं कि परिवार के साथ सफर कर रहे लोग छल-कपट नहीं करेंगे । लेकिन वास्तव में कई गिरोह मेल-जोल की शुरूआत बच्चों और महिलाओं के माध्यम से ही करते हैं। नशाखुरानी गिरोह के सदस्य बड़े ही शातिर होते हैं। वे कई जिलों और हजारों गांवों के नाम कंठस्थ किये होते हैं। परिचय  बढ़ाने के लिए वे स्वयं को सहयात्रियों के जिले का वासी अथवा उनके गांव-जवार में रिश्तेदारी होने की बात करता है जिससे इसकी घनिष्ठता सहयात्रियों के साथ बढ़ जाती है। ऐसे लोगों से भी सावधानी रखनी चाहिए। यदि किसी अपरिचित यात्री की गलती से आप की कमीज या पोशाक पर पानी या किसी तरह का छिंटा/दाग लग गया हो तो हड़बड़ी में उसे धोने के लिए नहीं निकलना चाहिए । अपना सामान किसी परिचित सह यात्री को सुपुर्द करके ही अपने स्थान से हटना चाहिए । अकेले यात्रा कर रहे यात्रियों को अपने समान को चेन से लाक करने और खाने-पीने की समाग्री को अटैची में रखने के बाद ही शौचालय या किसी और स्थान पर जाना चाहिए ।

रेलयात्रा एक मजेदार अनुभव होता है। पर्व-त्यौहार के समय घर वापस जाना भी एक सुखद अहसास होता है। लेकिन थोड़ी सी असावधानी से आदमी मुसीबत में पड़ जाता है। ऐसे में ये हम सब का कर्तव्य है कि यदि हमारे कोई सगे-संबंधी, माता-पिता, पति, पुत्र या भाई-बहन यात्रा करने वाले हैं तो उन्हें भी नशाखुरानी के खतरे के बारे में आगाह करें । सावधानी ही नशाखुरानी से सबसे विश्वसनीय बचाव है।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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