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समालोचना की धरती रही है बिहार : डॉ रामवचन राय

डॉ ध्रुव कुमार की पुस्तक " लघुकथा : सृजन एवं समीक्षा " का लोकार्पण

पटना,30 दिसंबर। बिहार विधान परिषद के उप सभापति डॉ रामवचन राय ने कहा है कि समालोचना

तथ्यपरक और व्यावहारिक हो तो साहित्य और साहित्यकारों के लिए बहुत भला होगा। किसी भी साहित्यिक विधा के लिए सृजन के साथ-साथ आलोचना का सबल पक्ष भी बहुत जरूरी पक्ष है I

वह सोमवार को जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान सभागार में समीक्षक- लेखक डॉ ध्रुव कुमार की नई पुस्तक लघुकथा : सृजन एवं समीक्षा ” के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिहार समालोचना की धरती रही है और बिहार से ही प्रेमचंद की कहानियों की आलोचनात्मक पुस्तक 1933 में छपी थी।

बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नन्दकिशोर यादव ने कहा है कि लघुकथा साहित्य की सबसे सशक्त विधाओं में एक है और पटना इसका एक महत्वपूर्ण केंद्र है I डॉ ध्रुव कुमार की इस पुस्तक के प्रकाशन से यह पुनः सिद्ध हुआ है कि यहां लघुकथा को लेकर गंभीर कार्य हो रहे हैं I

मुख्य अतिथि डॉ शिवनारायण ने कहा कि डा ध्रुव कुमार की आलोचना की विशेषता है कि ये लघुकथा का मूल्यांकन आलोचना की पूर्व निर्मित धारणाओं के आधार पर नहीं करके लघुकथा के अंदर से ही आलोचना के औजार विकसित कर लेते हैं। अपनी इस व्यावहारिक आलोचना के कारण इन्होंने समकालीन लघुकथाओं की परख वृहत्तर आयाम और विस्तार दिया है।

कासिम खुर्शीद ने कहा कि यह पुस्तक लेखक डॉ ध्रुव के विस्तृत अध्ययन, गहन चिंतन, सूक्ष्म दृष्टि व कठिन परिश्रम का सुफल है, जो लघुकथा समालोचना के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी I

प्रो अनीता राकेश ने कहा कि यह बिहार के लिए सुखकर है कि उसे ‘लघुकथा : सृजन एवं समीक्षा’ के लेखक डा ध्रुव कुमार के रूप में लघुकथा का एक समर्थ एवं ऊर्जावान आलोचक मिल गया है।

डॉ भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि यह पुस्तक में इस पुस्तक में 350 से अधिक लघुकथाओं की गई सार्थक समीक्षा से लघुकथा आलोचना समृद्ध हुई है।

ममता महरोत्रा ने कहा कि डॉ ध्रुव कुमार की पहचान लघुकथा क्षेत्र में तेजी से बनने – बढ़ने लगी है, जिसमें उनकी लघुकथा- आलोचना की दो पुस्तकों ‘हिंदी लघुकथा का शास्त्रीय अध्ययन’ तथा ‘लघुकथा : सृजन एवं समीक्षा’ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

इस अवसर पर साहित्य चितरंजन भारती, कमल नयन श्रीवास्तव, पंकज प्रियम, कमला कांत पांडेय, अर्चना त्रिपाठी, मोहन कुमार, रवि श्रीवास्तव राजेश राज

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