लिटरेचर लव
सिर्फ तुमसे (कविता)
मैं तुम्हारे प्रेम में निमग्न हूँ
सच कहूं तो बहुत ही संलग्न हूँ.
तुम दबे बैठे हो अंगारों के पीछे
हाथ जल न जाएं कहीं, ध्यान से,
नाउम्मीदी की सलाखें तोड़ कर
बेरहम माहौल से तुम बाहर आओ.
देखो, बारिश हो रही है प्यार की
सायं-सायं में छुपा संगीत है
गुलमोहर के फूल चटख रंगों में
झूम-झूम कर बुला रहे हैं तुम्हे.
नृत्यरत है सारी प्रकृति जैसे
बाँध कर रख पाएंगे खुशबू को कैसे
ये हवाएं मदभरी हैं आजकल
ये घटाएं सिरफिरी बेसब्र हैं.
तुम कहीं न भूल जाना रास्ता
दीप राहों पर रखे हैं चाँद ने
भटकनें दिल की पुकारें, आओ तुम
जैसे कभी न मिले, ऐसे मिलें.
अब न जाना दूर इस तपती धरा से
अब न जाना भूल तुम कि कोई है जो
प्यार करता है बिना संकोच के
सिर्फ तुमसे, सिर्फ तुमसे, सिर्फ तुमसे.
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