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स्कूल प्रशासन बच्चों की तरफ से बेपरवाह क्यों !

पूस की कड़कड़ाती और हाड़ कपाती ठंढ का आना राजधानी पटना के लिये कोई नयी बात नहीं है । दिसंबर के महीने में पूरा उत्तर भारत ठंढ की चपेट में आ जाता है और उसी में एक राज्य होता है बिहार । गरीब और पिछड़े राज्य बिहार में आम जन-जीवन को ठंढ से निजात दिलाने के बड़े बड़े दावे सरकार करती है पर सारे दावे टाय टाय फिस्स ही साबित होते हैं । गिने चुने जगहों पर ही अलाव या कंबल बांटने जैसी व्यवस्था नजर आती है । आम जन से ज्यादा चिंतनीय होता है इस कड़कड़ाती सर्दी में बच्चों की देखभाल और उनका बचाव। पर प्रत्येक वर्ष शिक्षा विभाग और प्रशासन की दखल के बाद ही राजधानी के स्कूलों को बंद करवाया जाता है । स्थानीय और राष्ट्रीय अखबारों में नौनिहालों के दर्द की बड़ी-बड़ी खबरें तथा कुहासों में लिपटे भारी बस्ते उठाये बच्चों के चित्र प्रकाशित होते हैं ,तब भी स्कूल प्रशासन के कानों में जूँ तक नहीं रेंगता । उन्हें तो जैसे इंतजार होता है प्रशासन के दखल और शिक्षा विभाग के आदेशों का ।

नन्हें स्कूली बच्चे जहाँ स्कूल की अमानत हैं, उनकी हिफाजत के लिये प्रत्येक वर्ष इतनी मिन्नतें और दखल भरे आदेशों की आवश्यकता क्यों? क्यों नहीं विद्यालय प्रशासन अपने यहाँ ऐसी व्यवस्था करता है ताकि एक खास समय से अमूमन दिसंबर के प्रथम सप्ताह से आधी जनवरी तक छोटे बच्चों के स्कूलों को प्रत्येक वर्ष बंद रखने का आदेश पारित कर दे और गर्मी की छुट्टियों की तरह जाड़े की भी छुट्टियों की घोषणा समय रहते कर दे । शिक्षा विभाग और प्रशासनिक आदेशों के इंतजार में बच्चों के परिजन कम से कम एक दिन तो अवश्य विद्यालय पहुँचकर इस कड़कड़ाती ठंढ में घर वापस होते हैं , क्योंकि अखबार , न्यूज चैनल और दूसरे खबरों के साधन की कमी यह गरीब राज्य अवश्य झेल रहा है । विद्यालय प्रशासन को बखूबी इस बात को समझना चाहिये तथा बच्चों की सर्वाधिक चिंता उन्हें ही होनी चाहिये क्योंकि यही बच्चे भविष्य की धरोहर हैं । साथ ही माता-पिता ने बड़े ही अरमानों से उन्हें विद्यालय की राह दिखाया है जहाँ से वे देश के लिये अच्छे नागरिक बन सके ।

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12 Comments

  1. I am disagree with u…….administration must not declare…the holidays….actually summer holiday must also to be reduced….adminstration should the woolen cloth…
    declaring the is not remedy of cold or summer or winter…yes children must be provided proper aminities…india have plenty of holiday….children must work hard and competite
    national and international standard….

  2. Government should pass a law for compulsory holiday for the months during which temperature drops. In south whenever there is excess rainfall school declare holidays and government is proactive here.

  3. नन्हें स्कूली बच्चे जहाँ स्कूल की अमानत हैं:- Aaj ke daur mai bilkul bakwas ki baate hai. जाड़े के वजह से छुट्टी :- Yani छुट्टी ke bahane banane walo ki chandi.
    Apartment and house tak simat kar badhtey huai बच्चे को और kamjore banane ki sifarish mat kijiyai.

  4. It is a matter of grave concern that the government is so insensitive towards the condition of school children. The school must be closed in all adverse condition. Nothing has changed in Bihar. I appreciate Anita Gautam’s effort to draw the attention of all to an issue which is being sacrificed for the sake of politics.

  5. The government is more interested publicity campaign that can to care of poor and downtrodden and their schools.

  6. हा हा। यहाँ तो एक-से-एक बुद्धिमान लोग अंग्रेजी में प्रवचन दे रहे हैं। और इतने बुद्धिमानों के बीच बहस करने का अपना मन फिलहाल नहीं वरना बोलते ही जम के।

  7. Good suggestion. school should change their calender . if they declare winter vacation with home assignment atleast for one month, i think this step would be more result orienting than that to continue classes in chilling winter. Now send this suggestion to CBSE, ICSC and Bihar Board apart from the education department of bihar gove.

  8. आजकल सभी जगह स्कूलों को एक दुकान की तरह चलाया जा रहा है अतः स्कूल प्रशासन सिर्फ व्यापारी है उसमे मानवीय समवेदनाएं कहाँ?जो बच्चों का ख्याल रख सकें।

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