अंग्रेजी में बात कर रहे हैं बेउर जेल के कैदी
जेल को लेकर अजीब-अजीब सी तस्वीरें दिमाग में उठने लगती है। लेकिन अब बिहार में जेलों की तस्वीर बदलने लगी है। पटना का बेउर जेल इसका बेहतर उदाहरण है। अब इस जेल के अंदर how r u, what r u doing, Thank u and please जैसे शब्द कैदियों की जुबान पर चढ़ रहे हैं, जी हां बेउर जेल में कैदियों को अंग्रेजी पढ़ाया जा रहा है, और वो भी एक कैदी सहयोगी द्वारा।
पटना के बेउर जेल में इन दिनों अंग्रेजी सीखने-सीखाने का दौर चल रहा है। कभी इस जेल में गाली गलौज और मारपीट आम बात थी, लेकिन अब यहां के कैदी जेंटलमैन बनने की राह पर अग्रसर हैं। बड़ी संख्या में कैदी पूरे मनोयोग से अंग्रेजी सीख रहे हैं। बेउर जेल में अंग्रेजी के क्लास में कैदियों की अच्छी खासी जुटान हो रही है। अंग्रेजी सीखने की ललक में कैदी पूरी तल्लीनता के साथ क्लास में अपने साथी शिक्षक की बात सुन रहे हैं। जेल प्रशासन की ओर से भी कुर्सी और बेंच को व्यवस्थित तरीके से रखा गया है ताकि क्लास रूम की तरह सीखने सीखाने का वातावरण अच्छी तरह से बनाया जा सके। जेल के संपूर्ण माहौल पर इसका सकारात्मक असर अभी से पड़ने लगा है। जेलर ए के सिन्हा को भी लग रहा है कि इससे इससे जेल का माहौल बदल रहा है।
खुद कैदी होने के बावजूद कैदियों को अंग्रेजी सीखाने में सुरेंद्र कुमार खासे दिलचस्पी ले रहे हैं। वे पूरी तरह से शिक्षक की भूमिका में आ गये हैं। पिछले कई दिनों से जेल के कैदी कंप्यूटर कोर्स कर रहे थे। इस दौरान उन्हें अंग्रेजी की समझ न होने की वजह से परेशानी आ रही थी। सुरेंद्र कुमार को लगा कि वे इन कैदियों की मदद कर सकते हैं। कुछ कैदियों ने भी उनसे अंग्रेजी पढ़ाने का अनुरोध किया और इस तरह जेल की दीवारों के अंदर अंग्रेजी पढ़ने पढ़ाने का सिलसिला शुरु हुआ।
अंग्रेजी के व्याकरण की बारीकियों को समझाने के लिए क्लासरूम में बोर्ड का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। Words और sentence construction के साथ-साथ present, past और future tense के भेद भी कैदियों को समझाये जा रहे हैं।
क्लास में पाठ को ठीक तरह से समझने के लिए कैदी कॉपी का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। बोर्ड पर लिखे गये पाठ को अपनी कॉपी पर तरीके से उतार रहे हैं ताकि क्लास के बाद में भी इन पन्नों को उलट पलट कर सीखने सीखाने की प्रक्रिया जारी रहे।
धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलने की चाहत तो कैदियों में जाग चुकी है, और इसके लिए वे जी तोड़ प्रयास भी कर रहे हैं। जेल प्रशासन की ओर से भी उनकी पूरी मदद की जा रही है। ऐस में एक निश्चित चाल से वे अपनी मंजिल की ओर बढ़ भी रहे हैं। धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलने के लिए यह जरूरी है कि अंग्रेजी बोलने की शुरुआत कर दी जाये। शिक्षक सुरेंद्र कुमार इसी फार्मूले के तहत कैदियों को क्लास में निरंतर अंग्रेजी बोलने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। यहां तक कि क्लास में कैदी अपना परिचय भी अंग्रेजी में ही दे रहे हैं।
अंग्रेजी के क्लाम में आने के बाद कैदियों को इस बात का अहसास हो रहा है कि उन्हें वाकई में यहां बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। जेल से बाहर जाने के बाद भी सीखने की इस प्रक्रिया को वे जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं। कैदी इस बात को भी समझ रहे हैं कि धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलने से व्यक्तित्व में निखार आता है। अपने व्यक्तित्व को चमकाने के लिए अंग्रेजी बोलना जरूरी है। सीखने और सीखाने की इस प्रक्रिया में कैदी गलती भी कर रहे हैं, फिर उस गलती को सुधार कर आगे भी बढ़ रहे हैं।
अंग्रेजी को लेकर कैदियों का उत्साह देखते ही बन रहा है। शिक्षक सुरेंद्र कुमार भी अलग-अलग तरीके से कैदियों को अंग्रेजी सीखाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। चूंकि अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। भारत में इस भाषा को सही तरीके से पकड़ने के लिए अलग-अलग प्रांतों में अनुवाद पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। बेउर जेल में भी अनुवाद पद्धति का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। शिक्षक सुरेंद्र कुमार कैदियों को छोटे-छोटे वाक्यों का अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कैदियों का मनोबल बनाये रखने के लिए उन्हें इस बात का अहसास भी कराया जा रहा है कि यदि चाहे तो एक अनपढ़ व्यक्ति भी थोड़ा बहुत परिश्रम करके अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है।
कुछ पढ़े लिखे कैदी भी अंग्रेजी के इस क्लास में आ रहे हैं। सामान्यतौर पर मैट्रिक और इंटर करने के दौरान छात्र अंग्रेजी की उपेक्षा करते हैं। जेल के इस क्लास रूम में ऐसे कैदी भी हैं जो मैट्रिक और इंटर पास हैं।
जेल अधिकारी भी कैदियों से बोल चाल के लिए अंग्रेजी का ही प्रयोग कर रहे हैं, और कैदी भी सलीके से उनकी बातों का जवाब का अंग्रेजी में ही दे रहे हैं। इस तरह से अंग्रेजी का ज्ञान जेल अधिकारियों और कैदियों के बीच बेहतर संबंध बनाने की दिशा में एक मजबूत माध्यम साबित हो रहा है। जेल के अंदर बंद कैदी अंग्रेजी के क्लास में आने के बाद बाहर की दुनिया में जाकर भी अंग्रेजी के माध्यम से मान और सम्मान पाने की इच्छा से ओतप्रोत हैं। बाहर की दुनिया में नौकरी पाने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान जारुरी है। कम से बेउर जेल में अंग्रेजी के क्लास में आने वाले कैदियों का तो यही मानना है। इतना ही नहीं जेल से बाहर निकलने के बाद उनका इरादा अंग्रेजी की बदौलत अन्य राज्यों में भी नौकरी पाने का है। कुछ कैदी तो अपने घर और परिवार के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें अपने किये पर पछतावा भी है। जेल से निकलने के बाद वे अंग्रेजी तो सीखते ही रहेंगे, साथ ही मान सम्मान पाकर अपने परिवार की सेवा भी करने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
नियमित दिनचर्या से निकल कर कैदी जिस तरह से बेउर जेल में अंग्रेजी के क्लास में शिरकत कर रहे हैं वह निसंदेह आने वाले दिनों में कैदियों की स्थिति में होने वाले सुधार को दर्शाता है।
बेउर जेल में सफलतापूर्वक अंग्रेजी क्लास शुरु होने के बाद से जेल अधिकारियों का हौसला बुलंद है। अब वे ये कहने से भी नहीं हिचक रहे हैं कि जेल में भी सीखने को बहुत कुछ मिल सकता है। जेल में आकर लोग सुधरते भी हैं। कैदियों को भी इस बात का अहसास है कि जेल में आने के बाद वे अपने समय का सही इस्तेमाल कर पा रहे हैं। निरंतर सीखने सीखाने की प्रक्रिया उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाने में सहायक हो रही है।
कैदियों को अंग्रेजी सीखाने वाले शिक्षक सुरेंद्र कुमार वैसे तो 420 के मामले में बंद है, लेकिन उन्होंने रांची से अंग्रेजी में आनर्स कर रखा है। अब अंग्रेजी भाषा को कैदियों की जुबान पर चढ़ाने के लिए जी जान से प्रयत्न कर रहे हैं।
जेल अधिकारी को भी विश्वास है कि यहां से अंग्रेजी सीखकर बाहर निकलने के बाद कैदियों को सम्मान जरूर मिलेगा। यहां पढ़े लिखे और अनपढ़ दोनों दोनों तरह के कैदियों को अंग्रेजी सीखाया जा रहा है। पढ़े लिखे कैदी अंग्रेजी के इस क्लास को लेकर काफी गंभीर है। बेउर जेल में कैसे कैदियों को जेंटलमेन बनाया जा रहा है। जरूरत है बेउर जेल में जारी इस मुहिम को बिहार के अन्य जेलों में पहुंचाने की।
वैसे भी सबसे बड़े अपराधी अँगरेजी ज्यादा पसन्द करते हैं अपने यहाँ। तो ये भी सीख लेंगे। पूँजीवादी का सहारा अँगरेजी।