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इश्वाक सिंह और अपारशक्ति खुराना अपनी आने वाली फिल्म बर्लिन के लिए एक दिलचस्प लुक में दिखेंगे

अमरनाथ, मुंबई।

ईश्वर सिंह और अपारशक्ति खुराना स्टारर बर्लिन उनके प्रशंसकों के लिए एक खास ट्रीट होने वाली है। दोनों कलाकार जो ज्यादातर बॉय-नेक्स्ट-डोर लुक से जुड़े रहे हैं, जल्द ही बर्लिन में पहले कभी न देखे गए अवतार में नज़र आने वाले हैं। इश्वाक एक ऐसे लुक और किरदार को निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसे उसने पहले कभी नहीं निभाया है, उजाड़ और डेरिंग टोन के साथ। फिल्म का पहला लुक की पैकेजिंग से दर्शकों को फिल्म में इश्वाक के किरदार की भावना देता है, जो तीव्र और स्तरित है।

इश्वाक कहते हैं, “जब एक पुलिस अफसर वास्तविक जीवन में अपनी वर्दी पहनता है तो वह सशक्त महसूस करता है या एक बिजनेस मैन मीटिंग से पहले अपना सूट पहनता है, यह ऐसा है जो उन्हें अपना काम करने के लिए एक निश्चित मनःस्थिति में ले जाता है। मेरे लिए किसी भी किरदार का लुक उस लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण होता है। मैं किरदार की शारीरिकता और मानस पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करता हूं लेकिन जो एक्स फैक्टर भी जोड़ता है वह सही लुक है और बर्लिन में हमारे लुक्स यह बिलकुल सटीक है। यह उन चीजों में से एक है जिसे लेकर मैं फिल्म में सुपर एक्साइटेड हूं।”

फिल्म में अपारशक्ति खुराना भी हैं। आम तौर पर कॉमिक भूमिकाएं निभाते हुए या खुस मिजाज़ भूमिकाओं में नज़र आने वाले अपारशक्ति भी एक अलग रूप में नज़र आएंगे। मोटी मूंछों वाला और एक आम आदमी की पूरी छवि के साथ, यह लुक एक असाधारण कहानी का वादा करता है।

ज़ी स्टूडियोज़ द्वारा निर्मित बर्लिन के निर्देशक अतुल सभरवाल फिल्म के आकार से काफी खुश हैं। निर्देशक इस बात से भी खुश हैं कि दोनों कलाकार भूमिका में पूरी तरह से फिट हैं। बर्लिन एक सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ की कहानी सुनाता है, जो खुफिया एजेंसियों, छल और भ्रष्टाचार के बीच प्रतिद्वंद्विता में पड़ जाता है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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