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एक छत के नीचे कैंसर जैसी घातक बीमारी की जांच व इलाज का सपना साकार : डॉ. वी पी सिंह

एक वक्ते था, जब बिहार में कैंसर जैसे जटिल बीमारियों का जांच और इलाज संभव नहीं था। अगर था भी तो वो बहुत आसान नहीं था। ऐसे में बिहार में एक छत के नीचे कैंसर जैसी बीमारी के लक्षण को पहचान करने, इसके समुचित जांच और चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए एक बड़े केंद्र की स्थापना की जरूरत महसूस हुई। इसलिए बीते साल आज के दिन बिहार में अत्याधुनिक अस्पताल सवेरा कैंसर एंड मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल की शुरुआत हुई, जिसको भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति एम वैकैया नायडू ने लोगों को समर्पित किया। उक्ती बातें आज सवेरा कैंसर एंड मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल के एक साल पूरे पूर्वी भारत के प्रसिद्ध ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. वी पी सिंह ने कही।

उन्होंने बताया कि बिहार में कैंसर के इलाज का नया सवेरा व पीड़ित मानवता को समर्पित एक साल सफलतापूर्वक पूरा हुआ। मानव जीवन में एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही जिंदगी हारी नजर आने लगे, ऐसे में उसके समुचित उपचार और विशिष्ट सेवाओं के द्वारा इस रोग को कमतर करने की एक मुहिम का नाम है बिहार का सवेरा कैंसर एवं मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल। सफर तो 20 वर्ष पूर्व ही शुरू हो चुका था। पूर्वी भारत में इस रोग का नाम तो सब जानते थे। अंतर्राष्ट्रीय मानकों और आधुनिकतम तकनीक आधारित डायग्नोसिस एवं उचित जांच द्वारा सत्यापित उपचार की आवश्यकता हमेशा से थी।

उन्होंने कहा कि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई से बिहार के प्रसिद्ध प्ळप्डै के रिजनल कैंसर संस्थान और महावीर कैंसर संस्थान में भी सर्जरी ऑनकोलीजी विभाग की स्थापना में अपने योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने बिहार की सेवा करने और अपनी उपलब्धता सुनिश्चित करने का मन पहले से बना लिया था। यहां मरीजों से मिलने पर पता चला कि कैंसर सिर्फ एक व्यक्ति की बीमारी नहीं है, वरन इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव तो मरीज के परिवार, या कई बार तो कई पीढ़ी तक पड़ जाता है।

उन्होंने बताया कि बीमारी के इलाज के साथ-साथ समाज को इसके कारणों और निवारण के प्रति जागरूक करने के उद्देश एवं एक छत के नीचे कैंसर जैसी बीमारी के लक्षण को पहचान कर इसके समुचित जांच और चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए एक बड़े केंद्र की स्थापना की जरूरत थी। इसी सोच के परिणामस्वरूप वर्ष 2016 के जनवरी माह में सवेरा कैंसर संस्थान के निर्माण की नींव रखी गई। तत्कालीन बिहार के राज्यपाल और वर्तमान में भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी के कर कमलों द्वारा शिलान्यास के माध्यम से संस्थान की पहली ईंट जनवरी 2016 को जोड़ी गई। प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन  पद्मश्री डॉ. आर एन सिंह मार्गदर्शन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महामहिम राज्यपाल के अलावे शहर के सैंकड़ों गणमान्य विभूतियां इस शुरूआत के साक्षी रहे।

डॉ. सिंह ने कहा कि विगत एक वर्षों के दौरान सवेरा कैंसर एवं मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल नें अपने कर्तव्य पथ पर लगभग पांच हजार से भी ज्यादा कैंसर मरीजों को चिकित्सीय परामर्श एवं उपलब्ध सुविधाएं प्रदान की हैं। यहां करोड़ों रुपये की लागत से “पेट स्कैन” सुविधा उपलब्ध है। ऐसी सुविधा के साथ यह बिहार का तीसरा संस्थान है। कीमो, सिटी स्कैन, एम आर आई, एक्स रे, एवं बेहतरीन अल्ट्रा साउन्ड सुविधा के साथ साथ आईसीयू , एमरजेंसी, सुविधाएं इस हॉस्पिटल में मौजूद हैं।200 बिस्तर क्षमता वाले इस हॉस्पिटल में सामान्य बेड से लेकर सुपर डीलक्स सुइट जैसी सुविधा भी उपलब्ध है।

आगे कहते हैं कि आर्थिक बाध्यताएं इस हॉस्पिटल में इलाज के लिए बाधक न बनें, इसके लिए रोटरी द्वारा संचालित सेवाओं के साथ साथ केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों द्वारा प्रदत्त दिशा निर्देशों के अनुसार रियायत एवं लाभकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अलग टीम काम करती है। एक साल के सफर के दौरान ही संस्थान में कई बार विभिन्न  मौकों पर निशुल्क स्वास्थ शिविर, कैंसर स्क्रीनिंग शिवर आदि का आयोजन किया गया है, जिसमें हजारों की संख्या में मरीजों को फायदा हुआ है। मानव शृंखला, रोड शो, डाक्टर टॉक, जैसी इवेंट्स के माध्यम से लोगों को जागरूक और सजग रखने का काम अनवरत जारी है। सवेरा कैंसर एवं मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल कोरोना काल में भी डॉक्टरर्स और स्टाफ समय, छुट्टी को दरकिनार कर, अपने ऊपर संभावित संक्रमण के खतरे के बावजूद मरीजों के प्रति अपने उत्तरदायित्व का सम्पूर्ण निर्वहन कर रही है। इस दौरान हॉस्पिटल में न सिर्फ गंभीर मरीजों को समय पर इलाज और उचित परामर्श प्रदान किया, वरन उनके परिवार और संबंधियों को भी सोशल डिस्टनसिंग, थर्मल स्कैनिंग, और अन्य तरीकों से हाईजीन एवं स्वक्षता के नियमों के पालन को भी प्रेरित किया।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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