किसान-मजदूर अक्तूबर में करेंगे गाँधी मैदान में विशाल रैली
पटना: अप्रैल 4, 2013 – आज बिहार के ३८ जिलों के किसान-मजदूर प्रतिनिधिओं ने किसान-मजदूर गठबन्धन के अंतर्गत आयोजित प्रेस वार्ता में हिस्सा लिया. लगभग ११२ किसान-मजदूर प्रतिनिधियों की उपस्थिति हुई.
गठबंधन के अध्यक्ष श्री कृष्णा सिंह ने आज यहाँ एक प्रेस वार्ता में कहा कि, “हमें विकास चाहिए, विनाश नहीं. हमारे बुनियादी संसाधन जैसे जल, जंगल, जमीन और बीज आज खतरे में हैं. इन पर अनिश्चितता के बादल बैठे हैं. अतः बिहार के किसान एवं खेतिहर मजदूरों के संघर्ष की आवाज़ बुलंद करने के लिए एक संयुक्त गठबन्धन की जरूरत समझी गई है. अब हम एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए खड़े हो गए हैं.”
उन्होंने कहा कि अब किसान-मजदूर अन्याय नहीं सहेंगे और उनके साथ हो रही लगातार गैरबराबरी अवं उपेक्षा का अंत होना ही चाहिए. उनसे जुड़े हर मुद्दे को उठाने के लिए व उनके लिए लड़ने के लिए ‘किसान मजदूर स्वराज गठबंधन’ 20 अक्तूबर को गाँधी मैदान में एक विशाल रैली आयोजित करेगा.
महासचिव पंकज भूषण ने बताया कि बिहार सरकार राज्य की बात करने दिल्ली जा कर रामलीला मैदान में रैली करती है. लेकिन हम यहीं राजधानी के गाँधी मैदान में अपनी बातें रखेंगे. अक्तूबर में एक विशाल रैली प्रस्तावित की गई है जिसमें बिहार के सभी 38 जिलों के किसान-मजदूर सम्मलित होंगे. उन्होंने बताया कि कैसे आज बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की वजह से हमारी सम्पदा एवं सभ्यता त्रस्त हो रही है. “बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ तरह-तरह के लुभावने माध्यमों से अपने पैर फैला रही है. इनके विरोध में हम सबों को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए. लालची मुनाफाखोरी में हमारे किसानों का प्रयोग किया जा रहा है. हम किसानों एवं खेतों की बर्बादी नहीं होने देंगे.”
उपाध्यक्ष जीतेन्द्र कुमार आर्या ने सवाल उठाया कि, “हमारे गाँव गरीब क्यूँ हैं? क्या यह सिर्फ इसलिए है कि हमारी अधिकांश आबादी कृषि और खाद्य उत्पादन से जुडी है? हमारे द्वारा उत्पन्न किये गए भोजन को ग्रहण कर समाज का एक तबका शहर बनता चला गया और सारे विकास वहीँ होते चले गए. बिजली भी वहीँ है, सारे सुख-सुविधा के साधन भी वहीँ हैं और हमारे ग्रामीणों को दुसरे दर्जे का उपेक्षित नागरिक बना दिया गया है. हम परिस्थितियों को बदलेंगे.”
विजय कुमार सिंह, किसान सह अधिवक्ता ने बताया कि गठबंधन अपनी मिटटी से प्रेम करने वाले किसानों के साथ किसी भी तरीके का भेदभाव नहीं होने देगा, बिहार के कृषि एवं स्वास्थ्य से जुड़े लोगों के संवैधानिक अधिकारों को मजबूत करेगा. उन्होंने रैली को सफल बनाने के लिए लोगों को आहवान किया.
अनिल कुमार सिंह ने बताया कि बिहार आज दूसरी हरित क्रांति का केंद्रविंदु बन चुका है, लेकिन कृषि प्रधान देश के कृषि प्रधान राज्य में किसानों की व्यथा नहीं सुनी जा रही है. “हम किसान और मजदूर को लगातार उपेक्षित होता नहीं देख सकते.”
गठबंधन जिन मांगों को सरकार के समक्ष रखने पर विचार कर रहा है उनमें प्रमुख हैं –
प्रत्येक किसान मजदूर परिवार को कम से कम 10,000 रु. का निर्धारण हो,
१. किसानों की आय सुरक्षा हो, राज्य में किसान आय आयोग का गठन हो,
२. न्यूनतम लागत मूल्य नहीं बल्कि उत्पादन का लाभकारी मूल्य मिले और यह मूल्य भी किसान तय करे,
३. बीजों पर किसानों का अधिकार हो,
४. जल-जंगल-जमीन हो किसानों के अधीन,
५. जनसँख्या के आधार पर कृषि बजट बने,
६. बहुराष्ट्रीय कंपनियों से किये गए सारे समझौतों को रद्द किया जाए,
७. ताल-दियारा-चौर की समस्यायों का निदान हो,
८. शिक्षा की दोहरी नीति समाप्त हो,
९. कृषि कैबिनेट में किसानों की हिस्सेदारी हो,
१०. गंभीर बिमारियों से पीड़ित किसान-मजदूर के इलाज की व्यवस्था हो और
११. किसानों को बिजली मिले.
१२. बिहार के २८ जिले बाढ़ से प्रभावित रहते हैं, वहां कटाव रोकने की व्यवस्था हो.
वार्ता में कई प्रमुख किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया.
मीडिया प्रभारी
बबलू प्रकाश