हार्ड हिट

क्या वाकई में सोनिया गांधी सीआईए की एजेंट है?

क्या वाकई में सोनिया गांधी सीआईए की एजेंट है? क्या सोनिया ने ही इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश रची थी? क्या राजीव गांधी की हत्या के पीछे भी सोनिया का ही हाथ है? यदि आरएसएस के पूर्व संघचालक सुदर्शन की माने तो सोनिया राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ये सोनिया गांधी पर बोल्ड आरोप है कांग्रेसी इसका जवाब तोड़-फोड़, नारों और प्रदर्शनों से दे रहे हैं। वैसे सोनिया गांधी पर लगने वाले ये पुराने आरोप हैं, देश की जनता उन्हें भारत की बहु के रूप में स्वीकर कर चुकी है, और सार्वजनिक रूप से सोनिया गांधी का आचरण इसके अनुरुप है।

एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में विचारों की अभिव्यक्ति का खासा महत्व दिया गया है। केएस सुदर्शन लंबे समय तक संघ का कमान संभाले हुये थे। संघ की परिपाटी से वह भलिभांति परिचित है। आज भले ही संघ की ओर से यह कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी पर व्यक्त किये गये केएस सुदर्शन के विचार उनके निजी विचार है, लेकिन इस तथ्य से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि सुदर्शन एक तपे तपाये संघी है। आज जो कुछ भी वह बोल रहे हैं वह उनका तात्कालिक विचार नहीं है। ये सब कुछ कहने के पहले वह एक लंबी विचार प्रक्रिया के दौर से गुजरे होंगे और उन तमाम घटनाक्रमों पर उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से विचार किया होगा, जो सोनिया गांधी के इर्दगिर्द घूमती रही है।

कांग्रेस का अपना कल्चर है। यह पार्टी पूरी तरह से परिवार पूजा को अपनाये हुये है। एक खास परिवार के इर्द-गिर्द देश के बहुत सारे राजनीतिक घराने गोलबंद है। सामंती बोलबाला वाली यह पार्टी जब कभी मुखिया के तौर पर नेहरू परिवार को छोड़कर चलने की कोशिश की तो लड़खड़ाने लगी। इस पार्टी से जुड़े तमाम पुराने और नये लोगों को यह पता है कि नेहरू परिवार से इतर हटकर इस पार्टी में चलने की क्षमता नहीं है। ऐसे में जब केएस सुदर्शन सीधे परिवार या पार्टी मुखिया पर विदेशी एजेंट होने और परिवार के अन्य मुखियाओं की हत्या की साजिश करने का आरोप लगाते हैं तो कांग्रेसी खेमे खलबलाटह स्वाभाविक है। यदि केएस सुदर्शन की बातें सच है तो यह मानने में कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिये कि देश का नेतृत्व गलत हाथ में है। लेकिन सवाल यह है कि केएस सुदर्शन की बातें कहां तक सच है? और उनकी बातों पर क्यों यकीन किया जाना चाहिए ?

खुफिया दुनिया बहुत ही घातक होती है, यहां पर लंबी योजनाओं पर चरणबद्ध तरीके से काम किया जाता है। कड़ी दर कड़ी यदि सोनिया गांधी के उत्थान का पर नजर मारा जाये तो यह एक स्वाभाविक सी कहानी लगती है, लेकिन इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि आज सोनिया गांधी भारत की सर्वोत्तम शक्तिशाली राजनीतिक महिला है। प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और राष्ट्रपति तक का कद सोनिया गांधी से छोटा हो चुका है। देश के जनमानस पर भी सोनिया गांधी की जोरदार पकड़ है। ऐसी स्थिति में केएस सुदर्शन सोनिया गांधी पर सीआईए का एजेंट होने का आरोप लगाकर अति दुस्साहस का ही परिचय दे रहे हैं। लेकिन इतना ही काफी नहीं है। देश यह जानना चाहेगा कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है। क्या केएस सुदर्शन इन आरोपों को सिद्ध करेंगे, या फिर कांग्रेसी हो –हल्ला के बाद बैकफुट पर चले जाएंगे?

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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2 Comments

  1. Good read … headline catchy … good points, some of which I have learned along the way as well (humility, grace, layoff the controversial stuff). Will share with my colleagues at work as we begin blogging from a corporate perspective. Thanks!

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