गृहिणियों के लिये जी का जंजाल बनता फेसबुक
सुबह- सुबह फेसबुक … , सारे दिन फेसबुक… , दफ्तर से घर आये नहीं कि फेसबुक… , थोड़ी देर बच्चों को ही पढ़ा लेते – जो खोल रखा है फेसबुक … , खाना मेज पर लगा है अब तो बंद करो अपना फेसबुक
… ये कुछ जुमले हैं जिनसे आज कल प्रत्येक शादी-शुदा फेसबुक यूजर को दो चार होने पड़ रहे हैं । आये दिन हम फेसबुक के रिश्तों पर असर को पढ़ते और सुनते आये हैं । कभी तलाक का कारण बनता फेसबुक तो कभी रिश्ते बनाता फेसबुक ।
हकीकत यह है कि आज फेसबुक सर्वाधिक नागवार गुजर रहा है गृहिणियों को । पति बिस्तर से बाद में उठते हैं फेसबुक पहले खुलता है । दफ्तर से वापसी के बाद भी चाय नाश्ते की मांग बाद में होती है , फेसबुक पहले । और हद तो छुट्टी के दिन जब सारा दिन निकलता है फेसबुक पर । सीधे शब्दों में घरेलु महिलाओं के लिये कही भी जगह नहीं बची इस फेसबुक के दौर में । उन्हीं के शब्दों में कि हमलोगों के लिये सौतन बन गयी है यह फेसबुक । उन्हें अपने दिल की बात करनी हो , घरेलु जिम्मेदारियों के बाबत कुछ कहना हो ,बच्चों की पढ़ाई के बारे में कुछ बोलना हो या फिर बच्चों की शैतानियों का लेखा- जोखा देना हो , पति महोदय फेसबुक से चिपके मिलेंगे । पहले मोबाइल कानों से चिपका होता था , अब आँखें फेसबुक से चिपकी होती हैं ।
यह अतिश्योक्ति होगी कि महिलायें फेसबुक का इस्तेमाल नहीं करती हैं पर उनका तरीका अलग होता है । उनकी प्राथमिकता परिवार होती है । घर के सभी काम निबटाकर ही वे फेसबुक का इस्तेमाल करती हैं । बच्चों की जरुरतों का ध्यान रखकर, घर परिवार और दूसरी जिम्मेदारियों को निभाते हुये वे फेसबुक का व्यवहार करती हैं । उनके लिये खाली समय के प्रयोग की तरह है फेसबुक न कि एक नशा, जैसा आज कल के आकड़े बता रहे हैं । साथ ही यह आकड़ा फेसबुक का सर्वे रिपोर्ट भी प्रस्तुत करता है कि फेसबुक के इस्तेमाल में पुरुष महिलाओं से काफी आगे हैं । पुरुषों के फेसबुक अकाउंट के साथ- साथ उनके इस्तेमाल का समय भी महिलाओं से अधिक है । कुछ पुरुष फेसबुक यूजर ने अपनी नाराजगी इस तरह जतायी कि तब तो फेसबुक पर एक चेतावनी जारी होनी चाहिये । शब्द यह हो , फेसबुक सिर्फ उनके लिये जो शादी शुदा न हो अन्यथा मुसीबत में पड़ सकते हैं । बात भले ही मजाक में कही गयी हो पर मामला गृहिणियों को लेकर गंभीर नहीं तो विचारणीय अवश्य है ।
पति पत्नी के बीच आते इस फेसबुक की बुराइयों पर काफी कुछ कहा और सुना गया है । तमाम चर्चायें हुयी है , पर वही महिलायें यह अनुभव कर सकती हैं जिन्हें सुबह के नाश्ते के लिये पति के पसंद के खाने बनाने की सहमति का इंतजार होता है , शाम के चाय पर थोड़ी बातें और आखिर में परिवार के साथ बातचीत करते हुये रात का खाना । पर यह सब बलि चढ़ गया है फेसबुक के ।
क्या विषय चुना है आपने…बढिया…हास्य भी और एक खास वर्ग की सच्चाई भी…
You have painted the true picture of facebook. Facebook has become an addiction for men in particular but it is very useful as well. FB has made the world a real global village. We discuss and talk while sitting in various corners of the world and it appears as if we are in one home. Anita ji, you yourself are FB user, therefore you may not be fed up with the use of fb by your husband. I hope so….
A true analysis of the the present situation, its an impediment for work and personal life. I liked the write up.
mahtab
It might be the problem of the editor of this website…
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Ha Ha Ha
Dear anita jee…..
There is advantages and disadvantages for each and every thing…..there positive and negative……..you must think advantages and positive…….
Anand
Anita ji, are you facing the same problem…………..?
Anitaji i hope you are out of facebook fever. I hope you will tell the true
vahiyat logon ki vahiyat shauk hai facebook.
facebook par sarsari nigah achchhi hai.aur usse bhi achchha hai isse honiwali ghar me samasya par keep it up
Facebook ki tulna Mobile se. Kya comparision hai ? Facebook istamal karne wale apni pariwarik problems se kaphi uper ho chuke hote hai. Mobile ke bare mai sochiay, jispar meaning less baat karne kai liye naya varga paisa loota raha hai.
समसामयिक बेहतर आलेख,
बधाई.
Urs article is very useful & relevant to each & every person of Human Society…
good subject
बात तो आपकी सही है लेकिन फ़ेसबुक से एक फ़ायदा तो हुआ है । अब पति -पत्नी में लडाई भी प्रत्यक्ष न होकर फ़ेसबुक के माध्यम से होती है । अच्छा लेख है पसंद आया ।
Thank u so much Anita about your viewed decently expressed.
life is very short but at the same time it is definitely & exceedingly boring. The intensity of boring can be lessened to a great extent with the use of Mobiles, Fb, Net etc. But every thing depends upon the way, the user takes it. Everything wholly depends from person to person.It is not only a question of FB but it applies to every one & everything .The use of every thing in excess is always resulted bad.
I do not know about others , but the friends , like you connected to me through fb , no doubt are well educated, wise & mature enough to take care of their reputations.
Being friends, one should be free to share their feeling advise healthy & cherished opportunities unconditionally .
“यह अतिश्योक्ति होगी कि महिलायें फेसबुक का इस्तेमाल नहीं करती हैं पर उनका तरीका अलग होता है । उनकी प्राथमिकता परिवार होती है । घर के सभी काम निबटाकर ही वे फेसबुक का इस्तेमाल करती हैं । बच्चों की जरुरतों का ध्यान रखकर, घर परिवार और दूसरी जिम्मेदारियों को निभाते हुये वे फेसबुक का व्यवहार करती हैं । उनके लिये खाली समय के प्रयोग की तरह है फेसबुक न कि एक नशा, जैसा आज कल के आकड़े बता रहे हैं । ”
vaah vaah क्या खुबसुरती के साथ अपना बचाव कर लिया । यह सही है कि पुरुष ज्यादा ईस्तेमाल करते हैं , क्या करे बेचारा पत्नी का मारा , बाहर का झंझट और घर मे वही शिकवा शिकायत , क्या खाना बनेगा ? फ़िस जमा करना है ? देखिये वो नल खराब हो गया है , आपको कहे थे अच्छा पेंटर बुलाने के लिये आप कोई काम ठिक से नही कर सकते ॥॥। चाय मे चीन्नी ठिक है न ? सब्ज़ी कैसी बनी है ? अब क्या करे पति ? लडाई मोल ले ? चाय है कि शरबत। यह भी कोई सब्जी है ? तुम कहा कोई काम ठिक से करती हो , दुध उबल कर गिरते रहता है , और बैठ कर सिरियल देखती रहती हो । क्या बहस से बचने का इससे उत्तम रास्ता हो सकता है। चलिये फ़ेसबुक पे मिलेंगें । हाहाहाहाहा
जब देवी जी धारावाहिकों से चिपकी होती हैं, तब मैं फेसबुक चलता हूँ, तो क्या गलत करता हूँ?