चालीस पर कहाँ खड़े हैं राहुल गाँधी
उत्तर प्रदेश का चुनाव और उससे पहले कांग्रेस की अपनी पार्टी को दुरुस्त करने की पहल । मामला आजीब लगता है , कांग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चुप , कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी चुप , दूसरे दिग्गज नेता भी चुप । यूपी में दहाड़ सुनायी दे रही है तो सिर्फ कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की । पार्टी को जब चुनाव के लिये सार्थक पहल करने की आवश्यकता है, अपने पिछले कार्यों का लेखा-जोखा देने का समय है तब राहुल गांधी पार्टी के ढीले पेंच को कसने में लगे हुये हैं। राहुल की ही सुने तो आनेवाले चुनाव में टिकटों के बटवारें में होने वाली गड़बड़ियों से इंकार नहीं किया जा सकता । साथ ही इन सबका ठीकरा उन्होंने किसी व्यक्ति पर न फोड़कर पूरे सिस्टम पर फोड़ दिया । इसके साथ ही अपनी वापसी की संभावना भी इस बात से जता दी कि अगले चुनाव तक गड़बड़ी रोकने और पकड़ने वाला सिस्टम विकसित कर लिया जायेगा ।
यूपी में 403 टिकट और पंडाल के 1400 लोग , उनकी चालीस पार की उम्र औऱ तीस साल का बचा समय , यूपी के भविष्य के लिये दम लगाकर चुनाव लड़ने का आह्वान परिस्थितियों को अत्यंत हास्यास्पद बना देता है । लोगों के लिये राहुल गांधी यूपी चुनाव का भविष्य बता रहे हैं अथवा अपना, समझना थोड़ा मुश्किल है । जाने अंजाने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एक धमकी भी दे डाली कि चुनाव में दम नहीं लगाया तो समुह में लोग बदल दिये जायेंगे ।
उत्तर प्रदेश में आने वाले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का चुनाव पर कितना प्रभाव होगा यह सबकुछ तय होगा केंद्र की राजनीति से । भले ही चुनाव विधान सभा का हो पर मुद्दे पूरी तरह केंद्रीय ही होंगे । टीम अन्ना का मजबूत लोकपाल बिल की मांग से आम जन का व्यापक जुड़ाव, एफ डी आई में रिटेल पर कांग्रेस का यू टर्न , अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व में पिछले समय से आकड़ों में निरंतर गिरावट । बहुत संभव हो कि यह सब मिलकर तय करे यूपी चुनाव का भविष्य ।
बहरहाल राम मंदिर के मुद्दे पर यूपी से साफ हुयी कांग्रेस अपनी वापसी का रास्ता भले तलाश रही है , पर इन ज्वलंत मुद्दों को दरकिनार कर नेहरु-गाँधी परिवार के ही राहुल गांधी को आगे कर । हालांकि चालीस पार के राहुल भविष्य वक्ता की तरह अगले तीस साल अपने हाथ में होने की बात कर सभी को सकते में डाल देते हैं । कांग्रेस में नेतृत्व संकट कभी नहीं रहा क्योंकि वहां प्राथमिकता हमेशा नेहरु-गांधी परिवार को ही दी जाती है । प्रियंका गांधी में लोगों ने इंदिरा की छवि देखनी चाही थी परंतु उन्होंने इस समय अपने आपको राजनीति से दूर कर लिया है ।
भाजपा में हमेशा नेतृत्व संकट रहा है । अटल बिहारी बाजपेयी के समय लालकृष्ण आडवाणी और अब आडवाणी के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी । भाजपा के पास आज न राम मंदिर का मुद्दा है और न मुसलमानों से नाराजगी का , क्योंकि मुसलमान निरंतर अपनी शालीनता का परिचय दे रहे हैं । सूत्रों की माने तो राहुल गांधी ने भी कांग्रेस के पुराने फॉर्मूले पर काम करना शुरु कर दिया है , मुसलमानों को आरक्षण से रिझाने का प्रयास । मुस्लिम एजेंडा हमेशा से कांग्रेस के लिये फायदे मंद रहा है । मुसलमान भी कांग्रेस की तमाम बुराइयों के बावजूद कांग्रेस का दामन छोडने को तैयार नहीं हैं । हांलाकि उन्हें भी कांग्रेस की गलत नीतियों की बजह से समस्या होती है । भ्रष्टाचार और नित नये घोटालों से वे भी आहत होते हैं पर उनके सामने सबसे बड़ी समस्या उनके अस्तित्व की रक्षा का होता है । गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार की कारगुजारियों को पूरे देश के मुसलमान नहीं भूल पाते । करे कोई भरे कोई, का अंदाज स्पष्ट दिखता है हिंदूवादी नेताओं और उनकी पार्टियों के कार्यकलापों में । कांग्रेस यदि राहुल गांधी को तुरुप का पत्ता समझ कर खेलना चाहती है तो यह कांग्रेस का सहेजा हुआ पत्ता है यह सभी जान चुके हैं। यदि इस ब्रह्मास्त्र के जरिये कांग्रेस चुनाव जीतने का सपना देख रही है तो वह पूरी तरह भ्रम में है ।
बहरहाल मामला जो भी हो पर यदि कांग्रेस की कोई वापसी करवा सकता है तो वह है विपक्ष की गलत नीतियां, भाजपा नेतृत्व का घमासान , वर्तमान में सत्ता पर काबिज उत्तर प्रदेश की माया सरकार के दोहराने का भय न कि चालीस पार राहुल के अनुभव की राजनीति और महज नेहरु-गांधी परिवार के युवराज का ताज ।
congress ko apne khewanhar pe bharosa karna chahiye? mujhe lagta hai han.. kyunki UP loksabha election me acche results aye the..
UP mein haath – cycle – haathi ke saath kamal ka phool bhi election ke baatati hain. gaur talab yeh hai bihar mein apni success maapne ke baad bhi Rahul Gandhi wahi cheez UP mein dohrah rahe hain.
Congress party unka bapauti hai aur congressi ghulam to yeh sab najare hona hi hai. Yeh sirf satta mein ane ke hathkande hai inko logon ko aam admi se kya lena dena hai. Rahi baat MMS ji ka sirf Gandhi parivar ka rubber stamp hai jaha bola wahi lag gaye.
Rahi baat musalmano ka jo inka manasikta 1947 mein tha wahi aaj hai congress inhe apna maal samajh sar inka bharpoor fayada utha raha hai aur yeh log bus congress inse chodha nahi jaata warna islam khatra mein aa jayega
Soniya Gandhi ka ek hi sapna bhale Rahul baba khalli dibba kahe na ho lekin desh ka pradhan mantri jaroor bane. Even hamare Gyani mms jee ne kayee bar kaha ki congress ke yuvraj ek acche pradhan mantri ban sakte hain isse aap ko bhi pata chal gaya hoga ki MMS ki sirf ek pleasure toy hai.
लेख ऊपर से अच्छा लगता है और सही भी लगता है .पर यह दूर से देखा हुआ सच लगता है .आज का संकट दूसरा है .नौजवानों की भूमिका को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता .हमारी सोच में बदलाव आया है नवजवानों के बीच आज़ादी का मायेने भी अलग है.उत्तर प्रदेश में जो दिख रहा है सच कुछ अलग है और राहुल उस पर काम कर रहे है सफलता या असफलता तो बहुत चीजों पर निर्भर करेगा पर अभी कोंग्रेस को वोह फिर से अपना बीज बोना है.कोंग्रेस का बरगद वोह से २० साल पहले उखड गया है वो वोह फिर से शुरुआत कर अन्ना की आंधी में गन्ना की खेती कर रहे है फसल कैसी होगी महज़ यह एक चुनाव निर्णय नहीं करेगा पर यह सच है की देश की दिशा अगले ३० सालो तक कैसी होगी इसका एक रूप यह आनेवाला चुनाव अवस्य दिखायेगा
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भाजपा के पास आज न राम मंदिर का मुद्दा है और न मुसलमानों से नाराजगी का , क्योंकि मुसलमान निरंतर अपनी शालीनता का परिचय दे रहे हैं । The purpose of RSS is to divide India on another communal line. But the Hindus of India are very mature and they never digest the logic of RSS. That is why BJP never got majority at the centre.
thanks.