पहला पन्ना

चुनाव जीतने से ग़रीबी दूर नहीं होती: प्रो.नवीन कुमार

आशुतोष शुक्ल

NCP का बीजेपी पर महंगाई व बेरोजगारी को लेकर हल्लाबोल

मौजूदा आर्थिक हालात पर सरकार विपक्षी दलों से करे मशविरा

दिल्ली। एक तरफ केंद्र सरकार ने मुफ्त राशन योजना को जारी रखने की अवधि बढ़ा दी है वही इस पर विपक्षी दलों से अलग-अलग प्रतिक्रिया आने लगी है सोमवार को NCP ने इस पर अपना रूख साफ किया । पार्टी के मीडिया कोआर्डिनेटर प्रो.नवीन कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि ”भारत सरकार ने 81 करोड़ से अधिक देशवासियों के लिए मुफ्त राशन देने की तारीख को और आगे बढ़ाया है। निःसंदेह यह एक लोक कल्याणकारी सरकार की संवेदनशीलता है, परन्तु दूसरी तरफ इस बात की भी पुष्टि होती है कि देश में ग़रीबों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है इससे देश के खाद्य भण्डार और पोषण पर अत्यधिक दवाब बढ़ा है। मौजूदा समय में ज़रूरत है – हर हाथ को रोज़गार की, न कि मुफ़्तखोरी की” ।

‘दूसरी तरफ, सरकार पर कर्ज़ का भार बढ़ा है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि निर्यात कम हो रहा है औऱ आयात बढ़ा है हमारे उद्योग की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में और गिरावट आई है। फलस्वरूप बेरोज़गारी बढ़ी है। इसको सम्भालने के लिए सरकार को अत्यधिक ब्याज और ऋण देने पड़ रहे हैं। जबकि हमारी विदेशी मुद्रा लगातार घटती जा रही है’। प्रो.कुमार ने बताया कि आज़ आम आदमी आमदनी से अधिक ख़र्च इन्फ्रास्ट्रक्चर और सब्सिडी पर करने के लिए मज़बूर है, पर यह आर्थिक सुधार के लिए नई सोच बिल्कुल नहीं है। नेशनलिस्ट काँग्रेस पार्टी (NCP) ने भारत सरकार को देश की बदहाली के लिए दोषी करार देते हुए नई नीति और आर्थिक सुधार के लिए विपक्षी नेताओं के उचित सुझाव और बहस पर ध्यान देने की ज़रूरत बताई है। सिर्फ़ चुनावी जीत को ध्यान में रखना और सरकार से मनमानी निर्णय को त्यागने की बात की है।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button