यंग तेवर

जिंदगी की नई समझ बिखेरता दिल्ली विश्वविद्यालय का नॉर्थ कैंपस

अविनाश नंदन शर्मा

देश की राजधानी दिल्ली और दिल्ली का दिल विश्वविद्यालय का उत्तरी परिसर(नॉर्थ कैंपस)। हिंदू ,संत स्टीफेंस,रामजस,किरोड़ीमल,खालसा कॉलेजों एवं श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स जैसे पढ़ाई के भव्य केंद्रों की परिधि से अपना विस्तार लेने वाला नॉर्थ कैंपस वास्तव में आज जवानी,सपनें,फैशन,महत्वाकांक्षा,मेहनत और प्यार मुहब्बत का कैंपस बन गया है। घर- परिवार,पारंपरिक समाज और संस्कार से अलग, नॉर्थ कैंपस जिंदगी की एक नई समझ छात्रों के दिल-दिमाग पर बिखेर रहा है।कैंपस में जहां एक ओर अंडरग्रेजुएट कॉलेज हैं, वहीं उंची और विशेष शिक्षा के लिए आर्ट्स फैकल्टी,स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, स्कूल ऑफ मैनेज़मेंट जैसे प्रसिद्ध और भव्य केंद्र हैं जहाँ से निकल कर लोगों ने देश और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में नाम और शौहरत कमाई है।

नॉर्थ कैंपस के बीच आर्ट्स फैकल्टी में स्वामी विवेकानंद की आदम कद मूर्ति खड़ी है जो दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र-राजनीति और छात्र-संघ चुनाव के उठापटक और उतार-चढ़ाव का गवाह है। यह राजनीतिक सभा,भाषणबाजी,और उदघोष का स्थान बन चुका है। यहां से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् हर साल छात्र-संघ चुनाव के प्रचार की शुरुआत स्वामी विवेकानंद से आशीर्वाद ले कर करती है। एनएसयूआई की चुनावी प्रचार रैली का जमावड़ा भी यहीं लगता है। यहां पैसे और ताकत की छात्र राजनीति लम्बे समय तक चलती रही जिसे देश की मीडिया भी प्रचारित –प्रसारित करती रही। लिंगदोह कमिटी की सिफारिस और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर छात्र-संघ चुनाव की प्रक्रिया और स्वरुप को पूरी तरह से बदल दिया गया।

दिसम्बर और जनवरी का महीना सारे कॉलेजों में एनुएल फेस्टिवल की धूम मचा देता है। भव्य प्रोग्राम, गीत-संगीत पर थिरकते छात्रों के पैर तथा अलग-अलग अंदाज में बड़े-बड़े म्यूजिकल ग्रूप के प्रदर्शन लड़के-लड़कियों में एक अलग ही मस्ती भर रहे होते हैं। यह समय बिंदास झूमने का है क्यों कि सारे कॉलेज के एग्जाम और सेमेस्टर की पढ़ई खत्म हो चुकी होती है। मस्ती का यह दौर अपने-अपने प्यार के इजहार का अवसर भी होता है। एक तो जवानी,दूसरा छात्र जीवन और तीसरी नॉर्थ कैंपस की हवा – ये सभी मिलकर शराब के प्याले से भी ज्यादा नशा करते हैं।

विश्वविद्यालय का यह नॉर्थ कैंपस दिल्ली ही नहीं बल्कि देश-विदेश के छात्रों का शिक्षा-केंद्र बना हुआ है।विदेशी छात्रों के लिए छात्रा मार्ग पर इंटरनेशनल हॉस्टल खड़ा है।मुखर्जी नगर में विमेंस इंटरनेशनल हॉस्टल का एक विशाल स्वरुप स्थापित है। देश के विभिन्न प्रांतों से आए छात्रों के लिए कॉलेज होस्टल के अलावा ,जुबली हॉल, ग्वायर हॉल,मानसरोवर हॉस्टल,पीजी मेंस और विमेंस हॉस्टल बने हुए हैं। पढ़ाई का एक शांत और अच्छा माहौल हर छात्र को यहां रह कर पढ़ने के लिए आकर्षित करता है। छात्रों को सबसे राहत दे रहे हैं हॉस्टल के मेस जहां सुबह का नास्ता,दोपहर और रात का भोजन तरीके से तैयार मिलता है।

आज नॉर्थ कैंपस के पास विश्वविद्यालय नाम से मेट्रो स्टेशन है जो इस कैंपस को दिल्ली के अन्य क्षेत्रों से आसानी से जोड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि यह कैंपस कभी सोता नही। यहां चाय की कुछ दुकानें पूरी रात चलती रहती हैं। वीसी ऑफिस के पास जवाहर पार्क की दुनिया दिन-रात चहकती रहती है जहां लड़के-लड़कियों के बात करने का सिलसिला खत्म ही नहीं होता। दिल्ली के बाहर से आए छात्र-छात्राओं के लिए परिवार और समाज का बंदिश नहीं है। वे एक उन्मुक्त हवा में सांस ले रहे होते हैं। साथ ही फैशन की पूरी आजादी का माहौल नॉर्थ कैंपस को खूबसूरती बिखेरने का एक बड़ा केंद्र बनाता है। यहां अलग-अलग स्टाईल में लड़के और लड़कियों के कटे बाल, उनके कपड़े ,जूतें-चप्पलों को देखा जा सकता हैं। इस अंदाज में उनके कॉनफिडेंस भी हाई होते हैं।

 नॉर्थ कैंपस नए विचार,राजनीति और फैशन् का केंद्र है जहां से छात्र-जीवन समझ का एक पूरा रुप ले कर बाहर निकलता है। इस कैंपस में जिंदगी के नए अनुभव के साथ कठिन और संर्घषशील दौर भी जुड़े होते हैं। महत्वाकांक्षा और चाहत के दर्द भी जुड़े होते हैं। प्यार की उलझनें भी जुड़ी होती हैं। पारिवारिक और सामाजिक मान्यताओं से विद्रोह के बीज भी यहीं जुड़ते  हैं। इन सब के बाद भी छात्र-जीवन की रचनात्मकता बढ़ती चली जाती है। जिंदगी को विश्लेशित करने की समझ मजबूत होती  है और छात्र-जीवन एक संतुलित व्यक्तित्व बन कर देश-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में दिखते हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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