
टेक्निकल प्रोफेशनल एजुकेशन इन इंडिया फाउंडेशन के डायरेक्टर श्री बलवंत कुमार चावरे को मिला ‘समर्पित संतान सम्मान’
राजू बोहरा / वरिष्ठ संवाददाता नई दिल्ली
लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम एवं लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर दिल्ली स्थित मुक्तधारा ऑडिटोरियम में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देशभर से अनेक प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह आयोजन ‘खबरों का सफर’ एवं ‘नेशन केयर’ के संपादक और वरिष्ठ लेखक रामानुज सिंह सुंदरम के सौजन्य से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में आयरन लेडी किरण सेठी, डॉ. राम धवन, डॉ. जय भगवान दहिया कपल, इंजिनियर देवेन्द्र कुमार, आजाद सिंह सैनी, वरिष्ठ रचनाकार डॉ. पूनम अग्रवाल तथा महिला अधिकार अभियान की संपादक कुलीना कुमारी सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इस अवसर पर टेक्निकल प्रोफेशनल एजुकेशन इन इंडिया फाउंडेशन के डायरेक्टर बलवंत कुमार चावरे को उनके अतुलनीय समर्पण और सेवा भाव के लिए ‘समर्पित संतान सम्मान’ से अलंकृत किया गया।
यह सम्मान उन्हें एयर कोमोडोर (रि.) बालकृष्ण गांधी, लेखिका कुसुम गांधी, समाज सेविका कविता गुप्ता, वरिष्ठ साहित्यकार सविता चड्ढा तथा श्री के.के. सैनी (वाइस प्रेसिडेंट, जज, आयकर विभाग) की उपस्थिति में प्रदान किया गया। पिता के प्रति समर्पण का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है बलवंत कुमार चावरे ने। साल 2024 में महान वैज्ञानिक डॉ. प्रभाकर राव चावरे के निधन से कुछ वर्ष पूर्व उनका स्वास्थ्य अत्यंत दुर्बल रहने लगा था। ऐसे समय में उनके पुत्र बलवंत चावरे ने अद्भुत धैर्य, निष्ठा और समर्पण के साथ अपने पिता की सेवा का दायित्व निभाया। उनकी इसी सेवा-भावना के प्रतीक स्वरूप यह सम्मान उन्हें समर्पित किया गया।
वैज्ञानिक चिंतन और सामाजिक सेवा का संगम थे बलवंत कुमार चावरे के पिता महान वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ. प्रभाकर राव चावरे।
वे टेक्निकल प्रोफेशनल एजुकेशन इन इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक और एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित समाजसेवी भी थे। चालीस वर्षों के गहन अध्ययन के उपरांत उन्होंने वर्ष 2012 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Science for Genetic Engineering” प्रकाशित की, जिसे उनके पुत्र बलवंत चावरे ने बलवंत पब्लिकेशन से प्रकाशित कराया।
“21वीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है Auto Genetic Theory of Evolution of Genome। इसके अंतर्गत प्रत्येक जीव अपने अनुकूल वातावरण और खाद्य-चक्र के अनुसार किसी भी स्थान पर उत्पन्न हो सकता है।”
अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उन्होंने समाज को अंधविश्वास से मुक्त होकर तर्क, विवेक और प्रयोगशीलता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
संस्था की निरंतर प्रगति और सामाजिक योगदान
अपने जीवनकाल में डॉ. प्रभाकर चावरे ने टेक्निकल प्रोफेशनल एजुकेशन इन इंडिया फाउंडेशन (NGO) के माध्यम से चालीस वर्षों तक समाज के पिछड़े, गरीब और असहाय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सतत प्रयास किया। वर्तमान में यह संस्था उनके पुत्र श्री बलवंत चावरे के मार्गदर्शन में सामाजिक उत्थान के कार्यों को निरंतर आगे बढ़ा रही है।
एक प्रेरणास्पद उदाहरण
आज जब अधिकांश लोग केवल अपने जीवन तक सीमित रहते हैं, ऐसे समय में श्री बलवंत चावरे अपने पिता के आदर्शों और मूल्यों पर चलते हुए समाज के सामने एक जीवंत प्रेरणा और अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरे हैं। उनका यह समर्पण भाव और सामाजिक दृष्टिकोण निस्संदेह सम्मान और अनुकरण दोनों के योग्य है।




