धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार कानून बनाए: अनिल धीर
पटना : विकास के नाम पर ओडिशा के अनेक प्राचीन मठ वहां के शासन ने नष्ट किए। इस कारण अनेक मंदिर और प्राचीन ग्रंथसंपदा नष्ट हो गई। अनेक प्राचीन मूर्तियों की चोरी हुई। स्थानीय हिन्दुओं ने इसके विरोध में न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की; परंतु न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से मना किया। मठ-मंदिर तोड़ने के कारण हिन्दुओं की सांस्कृतिक धरोहर नष्ट हो रही है। उनकी रक्षा करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की आवश्यकता है। ये बातें ओडिशा स्थित ‘भारत रक्षा मंच’ के राष्ट्रीय सचिव अनिल धीर कही है । हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था द्वारा आयोजित ऑनलाइन नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में वे बोल रहे थे। इस अधिवेशन का ‘यू-ट्यूब’ चैनल और और ‘फेसबुक’ पर सीधा प्रसारण किया गया है। 54 हजार से अधिक लोगों ने इसका सीधा प्रसारण देखा, जबकि 2 लाख से अधिक लोगों तक यह विषय पहुंचा।
तेलंगाना स्थित शिवसेना राज्यप्रमुख टी.एन. मुरारी ने कहा, मंदिर हिन्दुओं की सांस्कृतिक धरोहर हैं । वे बचे, तो धर्म बचेगा । इस कारण मंदिरों की रक्षा हेतु मोदी शासन एक धार्मिक परिषद निर्मित करें। ‘इटर्नल हिन्दू फाउंडेशन’ के संजय शर्मा ने कहा, मंदिर सामाजिक जागृति के केंद्र बनने चाहिए। मंदिरों से ‘सी.ए.ए’, ‘एन.आर.सी.’ आदि कानून और धर्म संबंधी जागृति की जाए, तो स्वदेशी के नारे को बल प्राप्त होगा । इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नारे की दिशा में बढा जा सकता है। राजस्थान स्थित वानरसेना के अध्यक्ष गजेंद्र भार्गव ने इस समय कहा, मंदिरों के आंतरिक प्रबंधन के साथ ही बाहरी व्यवस्था भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है। अधिकांश मंदिरों की भूमि और वहां की दुकानें आक्रमणकारियों के अड्डे बन गए हैं। इसका हिन्दुओं को चिंतन करना होगा। हिन्दू युवकों को अपनी संस्कृति का महत्त्व बताने पर मंदिरों की रक्षा हेतु वे संगठित होंगे।
मंदिरों पर हुए विविध आघातों के संदर्भ में ‘मंदिर रक्षा’ परिसंवाद में मान्यवर सम्मिलित !
तमिलनाडु स्थित ‘टेंपल वर्शिपर्स सोसायटी’ की उपाध्यक्षा उमा आनंदन् ने इस परिसंवाद में भाग लेते हुए कहा कि चर्च और मस्जिदों के लिए विश्व में सर्वत्र नियम समान ही हैं; परंतु मंदिरों के लिए भिन्न नियम हैं। जिस प्रकार चर्च के फादर और मस्जिदों के मौलवी अपने प्रार्थनास्थलों का व्यवस्थापन देखते हैं, उसी प्रकार मंदिरों का व्यवस्थापन भक्तों को सौंपना चाहिए। इस समय आंध्र प्रदेश के इतिहासकार बी.के.एस.आर. अय्यंगार ने कहा, 100 वर्ष पूर्व के मठ, मंदिर सहित अन्य धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को शासन ‘सांस्कृतिक धरोहर’ घोषित करे। साथ ही प्राचीन मंदिरों का पुनर्निर्माण करते समय धार्मिक क्षेत्र के मान्यवरों का मार्गदर्शन ले। हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ राज्य संगठक सुनील घनवट ने इस समय कहा, मंदिर समितियों में होनेवाला भ्रष्टाचार, मंदिर सरकारीकरण का दुष्परिणाम है। इसे रोकने हेतु मंदिर न्यासियों तथा हिन्दुत्वनिष्ठों को आगे बढकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाना होगा। घनवट ने ‘राममंदिर की भांति काशी, मथुरा सहित देशभर के 40 हजार से अधिक मंदिर मुक्त करने हेतु हिन्दू ‘राष्ट्रीय मंदिर-संस्कृति रक्षा अभियान’ में सम्मिलित हों’, ऐसा आवाहन भी किया । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने कहा, धर्मनिरपेक्ष कहलानेवाला शासन हिन्दुओं के मंदिर नियंत्रण में लेता है; परंतु मस्जिद अथवा चर्च को हाथ भी नहीं लगाता । मंदिरों का धन अन्य धर्मियों के लिए खर्च किया जाता है । शासन के इस सौतेले व्यवहार के विरोध में हिन्दुओं को दबावगुट निर्माण करना चाहिए ।