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निचली अदालत का एक आदर्श रूप है साकेत कोर्ट


दिल्ली की निचली अदालतें अश्चर्यजनक रूप से विकसित और अत्याधुनिक बनने के रास्ते पर आगे बढ़ रही हैं जिसे देश के अन्य भागों की न्याय – प्रकिृया में भी अपनाने की जरूरत है। साकेत में साकेत कोर्ट के नाम से एक विशाल अदालत परिसर का निर्माण किया गया है और उसकी पूरी इमारत केंद्रीकृत एसी से जुङी हुई है। परिसर में ही वकीलों के लिए चैम्बर बलॉक के नाम से एक बङी इमारत खङी है जिसके कमरे वकीलों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर अलॉट किये जा रहे हैं।


    इस अदालत की इमारत और कोर्ट रूम की तकनीकी सजावट देखकर लोगों की आंखे स्वत: ही चकमका उठती हैं। इंडिया गेट के सामने पटियाला हाऊस कोर्ट हाई प्रोफाइल मामलों के लिए हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहा है। पूरी दक्षिणी दिल्ली के आपराधिक मामलों की सुनवाई यहां काफी लंबे समय से होती रही है। कहा जाता है कि पटियाला हाऊस और तीस हजारी कोर्ट दिल्ली की न्याय-प्रकिया के दो मजबूत धारा थे। इन दोनों अदालतों को वकीलों का स्वर्ग भी कहा जाता था। पटियाला हाऊस में पैसे की गंगा बहती थी। आपराधिक मामलों में फंसे लोग पैसे उझलनें को तैयार रहते थे। इस अदालत परिसर में कुछ वकीलों ने बङी शोहरत भी कमाई और कुछ वकील ऐशोसियसनों के मजबूत नेता बनकर भी उभरे। ऐसे ही कुछ नामों में रमेश गुप्ता, केके मनन, संतोष मिश्रा और मदन लाल का नाम शामिल है। पटियाला हाऊस कोर्ट की अपनी एक अलग ही पहचान रही है। आज उसी पटियाला हाऊस को साकेत कोर्ट परिसर में ट्रांसफर किया गया है। वैसे, कुछ थानों को नियंत्रित कर रही अदालते वहां काम कर रही हैं।


    साकेत परिसर की खूबसूरती और व्यवस्था नीचली अदालत का एक आदर्श रूप प्रस्तुत कर रहा है। परिसर में स्टेट बैंक औफ इंडिया की एक शाखा खोली गई है जिसमें खाता खोलने के लिए वकीलों को किसी गारंटर की जरूरत नहीं है। सिर्फ अपना परिचय पत्र और पैन-कार्ड की कॉपी चाहिए। चैम्बर्स बलॉक के ग्राउंड फलोर पर एक कॉमन रूम है जहां वकीलों के लिए बैठने और आरम से कैरम बोर्ड और शतरंज खेलने की व्यवस्था है। अदालत की इमारत में घुसते ही कोर्ट परिसर और अदालती मामलें से जुङे किसी भी सवाल के साथ उसका उत्तर इंफॉरमेशन सेंटर से प्राप्त किया जा सकता है। वहां कौन से कमरे में कौन मैजिस्ट्रेट और जज बैढ़े हुए हैं तथा किस थाने का केस किस जज के क्षेत्राधिकार में पङता है इसकी सारी जानकारी दी जा रही है। नवंबर 2010 से वहां अदालती कार्य शुरू हुए हैं और शुरूआती दौर में वहां परेशानियों का सामना भी करना पङा है। परिसर के निर्माणाधिन गड्डों में जल जमाव और झाङी जंगल के कारण बहुत से वकील और जज शुरूआती समय में डेंगू की चपेट में आते चले गए। बाद में इस दिशा में सुधार किया गया।


    आज साकेत कोर्ट अपनी एक अलग ही चमक बिखेर रहा है। जजों की पारंपरिक सरकारी कुर्सी  बदल चुकी है जिसमें राउंड गति करने की क्षमता है। गवाही तथा अंतिम ऑर्डर को फटाफट कंम्पूटर पर टाईप कराया जा रहा है जिसका एक स्क्रीन जज के सामने लगा है जो अपने ऑर्डर की एक्यूरेसी तथा टाएपींग दोनों को चेक कर रहे हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि जेल से लाए गए कैदियों को एसी कमरो की लॉकप में रखा जाता है। कोर्ट के सारे ऑडर और निर्णय वेबसाईट पर उपलब्ध करा दिये जा रहे हैं। वकील आसानी से अपने केस का स्टेटस पता कर सकते हैं जो अब तक सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के केस तक ही संभव था।


    न्याय प्रकिृया के इस विकास और अत्याधुनिकरण ने वकालत के बिगङते स्वरूप को फिर से बनाया और चमकाया है। आज दिल्ली में रोहनी और द्वारिका कोर्ट परिसर का भी नव निर्माण  हुआ है जो सभी मिलकर निचली अदालत के एक नए रूप को स्थापित कर रहे हैं।

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