लिटरेचर लव

नींद मीठी-सी थी, ख़्वाब बुनते रहे

सामयिक परिवेश कवि गोष्ठी

कवियों ने जमाया रंग

लाख जतन करने पड़ते हैं, इश्क की मंज़िल पाने कोदिल हारा है तब जीता है मैंने एक दीवाने को

सोनपुर पर्यटन विभाग के मुख्य मंच पर सामयिक परिवेश के तत्वावधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश के अनेक नामचीन कवियों ने काव्य पाठ किया और श्रोताओं को हंसाया। कवि दिलीप कुमार ने सुनाया-प्रेम गणित

प्रेम के हिसाब में
जोड़ और घटाव में
गुणा और भाग में
परिणाम बस एक है-
लड्डू
गोल-गोल

कहीं से शुरू करें
कहीं भी खत्म करें
कितना भी जतन करें
परिणाम बस एक है-
लड्डू
गोल-गोल

दिन हो या रात हो
कड़वी या मीठी बात हो
कैसे भी जज्बात हो
परिणाम बस एक है-
लड्डू
गोल-गोल

चले चलो या रुके रहो

चुप रहो या सब कहो
जवाब दो या निःशब्द सुनो
परिणाम बस एक है
लड्डू
गोल-गोल।

कवयित्री ममता मेहरोत्रा ने बोनसाई का वृक्ष कविता और दो ग़ज़ल सुनाए-
लाख जतन करने पड़ते हैं, इश्क की मंज़िल पाने को
दिल हारा है तब जीता है, मैंने एक दीवाने को ।
उन्होंने कहा कि सामयिक परिवेश संस्था साहित्य और संस्कृति जगत की प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए सदैव तत्पर रहेगी। स्थान ऐसा करो भरते हुए रचनाकारों को मंच प्रदान किया है।
अंतरराष्ट्रीय शायर क़ासिम खुरशीद के इस शेर पर खूब दाद मिली-
यूं अंधेरे में न रहिए रौशनी में आइए
ज़िंदगी को जीने वाले ज़िंदगी में आइए
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि कभी प्यार के भूखे रहते हैं। दर्शकों का प्यार कवियों को मिलते रहना चाहिए। उन्होंने गाकर सुनाया-
तुमसे मेरी नजरें मिले
ऐसा हमने कब चाहा था
चुपके चुपके प्यार चले
ऐसा हमने कब चाहा था।
कार्यक्रम में श्वेता ग़ज़ल ने कहा यह हंसी साथ है जीने का सहारा मेरा आपके बिन नहीं मुमकिन है गुजारा मेरा क्या जरूरी है कि हर बात जवान से बोलूं आप तो खूब समझते हैं इशारा मेरा । कवि सम्मेलन में अक्स समस्तीपुरी, विकास राज, विभा सिंह,दिलशाद नजमी, दिव्या, पंकज सिंह, सविता राज आदि ने भी अपनी कविताएं सुनाई।
कार्यक्रम की समाप्ति के उपरांत एडीएम गगन जी ने ममता मेहरोत्रा और अशोक कुमार सिन्हा सहित टीम के सभी सदस्यों को सम्मानित किया।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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