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नुपूर शर्मा के विवादास्पद बयान के खिलाफ नालंदा में प्रदर्शन

ऋषिकेश, नालंदा: नूपुर शर्मा के बयान पर पूरे भारत में सियासी घमासान मच गया है। गौरतलब है कि जुम्मे के दिन नूपुर शर्मा के बयान पर देश के कई शहरों में प्रदर्शन हुआ है। नूपुर शर्मा के बयान पर लड़ाई अब सड़कों तक आ चुकी है। शुक्रवार जुम्मे के दिन बिहारशरीफ के सड़कों पर भी एसडीपीआई के हजारों कार्यकर्ता बड़ी दरगाह से विरोध मार्च निकालते हुए अस्पताल चौराहा पहुंचे। इस दौरान हजारों की संख्या में अल्पसंख्यक हाथों में बैनर व पोस्टर लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के विरोध में मुर्दाबाद की नारेबाजी भी की। इस प्रोटेस्ट को  देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे। इस पोस्ट के माध्यम से एसडीपीआई के द्वारा शक्ति प्रदर्शन भी किया गया। इस दौरान नबी के नाम पर सर कटा सकते हैं तो याद रखना सर काट भी सकते हैं जैसे बैनर व पोस्टर हाथों में लेकर विरोध जताया। एसडीपीआई नेता समीम अख्तर ने कहा कि बीजेपी लगातार इस्लाम के नाम पर अत्याचार कर रही है। नूपुर शर्मा के द्वारा विवादित बयान देकर जो गुस्ताखी की गई है उसे पूरे देश का मुसलमान भाई कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। एसडीपीआई नेता ने कहा कि पूरे देश दुनिया में मोदी ने भारत का नाम खराब किया है। इसलिए एसडीपीआई पार्टी का मांग है पीएम नरेंद्र मोदी माफी मांगे पीएम अपने पद से इस्तीफा दें, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को यूएपीए के तहत जेल की सलाखों में डाला जाए और आजीवन कारावास की सजा दी जाए ताकि कोई भी दोबारा इस देश के अंदर दूसरा नूपुर शर्मा पैदा ना हो सके। वही बिहारशरीफ अनुमंडल पदाधिकारी कुमार अनुराग ने कहा कि एसडीपीआई नेताओं के द्वारा हमारे पास आवेदन दिया गया था कि हम लोग नूपुर शर्मा के द्वारा दिए गए बयान को लेकर विरोध करना चाहते हैं प्रशासन के तरफ से 500 की परमिशन दी गई थी लेकिन इसका 10 गुना भीड़ बिहार की सड़कों पर जुम्मे के दिन विरोध के दौरान देखी गई।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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