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पंकज त्रिपाठी की बेटी आशी त्रिपाठी ने म्यूज़िक वीडियो ‘रंग डालो’ से किया अपना पहला एक्टिंग डेब्यू

अमरनाथ, मुंबई

मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी और मृदुला त्रिपाठी की बेटी आशी त्रिपाठी ने म्यूज़िक वीडियो ‘रंग डालो’ से अपना पहला अभिनय डेब्यू किया है। यह गीत, जिसे मैनाक भट्टाचार्य और संजना रामनारायण ने गाया है और अभिनव आर कौशिक ने संगीतबद्ध किया है, एक खूबसूरत रोमांटिक धुन है जो प्यार और कला की भावनाओं को संजोता है।

आशी इस समय मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं और अपने पिता की तरह अभिनय में करियर बनाने की ख्वाहिश रखती हैं। जब संगीतकार अभिनव आर कौशिक ने मृदुला त्रिपाठी को आशी को इस म्यूज़िक वीडियो में लेने का सुझाव दिया, तो उन्होंने पंकज त्रिपाठी से सलाह ली, जिन्होंने इस फैसले का पूरा समर्थन किया। जार पिक्चर्स द्वारा रिलीज़ किए गए इस वीडियो में आशी एक पेंटर की म्यूज़ (प्रेरणा) की भूमिका में नज़र आ रही हैं, जहां उन्हें रंगों से खूबसूरती से सजाया गया है, जिससे गीत का कलात्मक संदेश और गहरा हो जाता है।

अपनी बेटी के इस पहले ऑन-स्क्रीन अनुभव पर पंकज त्रिपाठी ने कहा, “आशी को स्क्रीन पर देखना मेरे और मृदुला के लिए गर्व और भावुक करने वाला पल था। वह हमेशा से परफॉर्मिंग आर्ट्स को लेकर जुनूनी रही है, और पहले ही प्रोजेक्ट में उसकी सहज अभिव्यक्ति देखना हमारे लिए बेहद खास था। अगर यह उसकी पहली शुरुआत है, तो मुझे उसके आगे के सफर का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा।”

इस पर मृदुला त्रिपाठी ने भी अपनी खुशी जताते हुए कहा, “जब यह अवसर आया, तो मैं चाहती थी कि आशी कुछ ऐसा करे जो उसकी कलात्मक सोच से मेल खाए। ‘रंग डालो’ एक खूबसूरत और भावनात्मक प्रोजेक्ट है, और उसे स्क्रीन पर इन भावनाओं को जीवंत करते देखना दिल को छू लेने वाला था। हम उत्साहित हैं कि वह इस इंडस्ट्री में अपनी राह खुद बनाए।”

म्यूज़िक वीडियो ‘रंग डालो’ अब सोशल मीडिया और सभी ऑडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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