भू-माफियाओं का गुंडा बनी पटना पुलिस, करोड़ों की जमीन पर दिलाया कब्जा
हाई कोर्ट के आदेशों की भी उड़ाई धज्जिया
तेवरआनलाईन, पटना
पटना में भू- माफियाओं का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है, यहां तक कि पटना हाई कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ाते हुये जमीन कब्जा कर रहे हैं। पैसों के लालच में पुलिस भी इनका खुलकर साथ दे रही है। इतना ही नहीं पुलिस खुद मौके पर खड़ी होकर जमीन कब्जा करने में गुंडों की तरह भू-माफियाओं की मदद कर रही है। ऐसा करते हुये पुलिस को हाईकोर्ट के आदेश का भी कोई परवाह नहीं कर रही है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह के बोरिंग रोड (ढकनपुरा) स्थित मकान के ठीक सामने आठ कट्ठे का प्लाट है जिसे लेकर उमा शंकर राय और ब्रिटेस्की बिल्डकाम प्राइवेट लिमिटेड और प्रशांत लुथड़ा के बीच विवाद चल रहा है। इस संबंध में उमा शंकर राय ने लैंड रिफोर्म्स के डिप्टी कमिश्नर, सदर पटना, के यहां 22.07.2011 को अपील भी की थी। इसके साथ ही 17.9.2011 को लैंड डिसप्यूट रिजोलुशन अपील संख्या 105 के तहत पटना डिविजन के कमिश्नर से भी गुहार लगाई थी। डिप्टी कमिश्नर लैंड रिफोर्म्स, सदर, पटना 2011-12 के केस संख्या 24 की सुनवाई करते हुये विवादित जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी।
30.09.2011 को पटना हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने इस पर संज्ञान लेते हुये अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखने के लिए कहा था। अगली सुनवाई 12.10 .2011 को होने वाली है। लेकिन इसके पहले ही 01.10.2011 को ब्रिटेस्की बिल्डकाम प्राइवेट लिमिटेड और प्रशांत लुथड़ा ने हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुये अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा करना शुरु कर दिया। विवादस्पद जमीन के चारों ओर टीन की छावनी बना दी और जबरन अपना अधिकार जमा लिया। इस काम को अंजाम देने के लिए इन लोगों ने कोतवाली थाने की पुलिस का इस्तेमाल गुंडों की तरह किया। बड़ी संख्या में पुलिस और अपराधी तत्वों की मौजूदगी में उन्होंने जमीन की घेराबंदी शुरु कर दी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस को उन्होंने अच्छी खासी रकम दी है जिसकी वजह से तमाम छोटे से बड़े अधिकारी उनके इशारे पर दुम हिला रहे हैं।
गौरतबल है कि बोरिंग के इस इलाके में जमीन की कीमत आसमान छू रही है। ऐसे में तमाम भू माफियाओं की नजर उन प्लाटों पर है जो मुख्य सड़क से सटे हुये हैं। प्लाटों को चिन्हित करने के बाद भू-माफिया अपनी पूरी शक्ति किसी भी तरह से उसे हथियाने पर लगा देते हैं। पैसों के लालच में सरकारी बाबू लोग भी जमीन से संबंधित कागज की हेर फेर करने से गुरेज नहीं करते हैं। ऐसे करने के एवज मे उनकी जेब में अच्छी खासी रकम ठूंस दी जाती है।
मजे की बात यह है कि एक ओर नीतीश सरकार सूबे में सुशासन लाने का दावा कर रही है दूसरी ओर यहां की पुलिस भू-माफियों का गुंडा बनी हुई है। कानून और व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी निभाने वाली पुलिस यदि खुद भू- माफियाओं के लठैत बन जाये तो सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है।
पारंपरिक मीडिया भी इस मामले में पूरी तरह से मौन साधे हुये है। चूंकि तमाम मीडिया कर्मियों को भी भू-माफियाओं की ओर से इस खबर को दबाने के लिए अच्छी खासी रकम दी जा रही है। इसलिए मीडियावाले अपना मुंह बंद रखने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। कहा जा सकता है कि मीडिया और पुलिस की मिली भगत से भू-माफिया पटना में पूरी तरह से बेलगाम हो गये हैं। खबर तो यहां तक है कि पटना से निकलने वाले एक प्रमुख अखबार के संपादक ने इस खबर को छापने के एवज में 80 हजार रुपये की मांग की थी।
http://jaisudhir.blogspot.com/2011/09/700.html देखा जाय सरकार के कारनामे के लिए। इससे पारम्परिक मीडिया के बारे में अच्छी जानकारी मिलती है…