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पहलवानों को मिनटों में धूल चटा देने  वाले  शिव कुंड के लाल सन्नी को मिला सम्मान

डिप्टी सीएम व खेल मंत्री ने सन्नी को किया सम्मानित

गौरवान्वित हुआ मुंगेर

 

‘लालमोहन महाराज,मुंगेर
सफलता उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है’ इन पंक्तियों को मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के शिवकुंड निवासी सन्नी राय ने चरितार्थ कर दिखाया है । ‌ राज्य स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिता में छह बार गोल्ड मेडल जीतने वाले और विगत वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले सन्नी ने अपने गांव शिवकुंड को  ही नहीं बल्कि  मुंगेर जिले को गौरवान्वित किया है। संघर्ष की राह पर अकेले चल रहे सन्नी को जिले और इनके गांव के कुछ समाजसेवियों का साथ मिला तो इनके हौसलों को जैसे पंख लग गए। राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर पटना के उर्जा ऑडिटोरियम में जब बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव और खेल मंत्री जितेंद्र राय ने इन्हें सम्मानित किया तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। जब मंच पर यह खिलाड़ी सम्मानित हो रहे थे तो पूरा हाल ‘खेलेगा बिहार’ खिलेगा बिहार’ के नारों से गूंज रहा था। इधर शिवकुंड गांव में  सन्नी के प्रशंसक व शुभचिंतक खुशी से झूम रहे थे ।सम्मानित होने के उपरांत खिलाड़ी सन्नी राय ने अपनी सफलता का श्रेय  हरियाणा के प्रशिक्षक राजपाल गुरु और सामाजिक व आर्थिक स्तर पर परिस्थितियों से संघर्ष कर आगे बढ़ने का हौसला देने वाले समाजसेवी ऋतुराज बसंत को  दिया । उन्होंने कहा कि वह जहां भी प्रतियोगिता में गए इन दोनों का हमेशा उचित मार्गदर्शन उन्हें प्राप्त होता रहा है। वही गांव वालों के आशीर्वाद से उनको सम्मान मिलने पर सुखद अनुभूति हो रही है। सन्नी  को पटना में  इंदिरा आईवीएफ के नेशनल चेयरमैन डॉ अजय मुरडीया और बिहार-झारखंड के सेंटर हेड डा. दयानिधि ने भी गुलदस्ता और शॉल देकर  सम्मानित किया। दोनों चिकित्सकों ने कहा कि आज जिस परिस्थिति में यह खिलाड़ी सफलता पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, ऐसे में उन लोगों का कर्तव्य बनता है कि उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करें। इस मौके पर शिक्षाविद इंजीनियर पंकज कुमार, चिकित्सक डॉ. उदय शंकर, शंकर राय, फिल्म निर्देशक नीतीश कुमार गुंजन, रणवीर राय सहित अन्य ग्रामीणों ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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