पहला पन्ना

पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया था श्रीमती इंदिरा गांधी ने

पटना। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 1971 स्मरणोत्सव समिति के तहत आयोजित अद्वितीय इंदिरा कार्यक्रम में तत्कालीन भारत की प्रधानमंत्री और सक्षम नेतृत्व की प्रतिमूर्ति स्व. इंदिरा गांधी और भारतीय सेना के अदम्य साहस और विश्वास को डॉक्यूमेंट्री के रूप में प्रदर्शित किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के वार हीरो रिटायर्ड जनरल डॉ. वी एन. शाही, अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव तारिक अनवर, बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्तचरण दास, बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, विधानमंडल दल के नेता अजीत कुमार शर्मा, पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता निखिल कुमार ने संयुक्त रूप से किया।

कार्यक्रम का संचालन स्मरणोत्सव समिति की चेयरपर्सन जया मिश्र ने किया। उन्होंने विषय प्रवेश कराने से पहले लौह महिला पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और भारतीय सेना के बांग्लादेश निर्माण की भूमिका पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का स्क्रीनिंग किया।

बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल रिटायर्ड जनरल वी. एन. शाही ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी देश की सेना और हमारे शीर्ष राजनीतिक नेतृत्वकर्ता तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने विश्व को भारत की मानवीयता और आम लोगों के प्रति संवेदना की भावना को देखा। उन्होंने बताया कि किस प्रकार के हालात विकसित हुए थे जिसने इंदिरा गांधी को पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटने का कदम उठाना पड़ा। तत्कालीन सेना के सुप्रीम सैम मानेकशॉ के रणनीतिक और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कूटनीतिक विचारों की जीत बताते हुए उन्होंने बारीकी से इतिहास को अपने वक्तव्यों से बताया। पाकिस्तान के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के साथ किए जा रहे अमानवीय कुकृत्यों के फलस्वरूप और भारत में लगातार आ रहे शरणार्थियों को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के देश और आम लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का बखूबी पालन करने वाली कर्तव्यनिष्ठ नेता बताया।

एआईसीसी महासचिव तारिक अनवर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कुशल नेतृत्व से वैश्विक मानचित्र को बदल के रख डाला। यह विश्व की सबसे अविस्मरणीय लड़ाई और मानवता के पक्ष में हुई लड़ाई थी जिसे कांग्रेस की नेता और देश की प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने बखूबी लड़ा था।

बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास ने कहा कि नेतृत्व यदि साहसिक हो तो पड़ोसी मुल्क अपनी हद में रहते हैं और यदि कमजोर रहे तो वें हरवक्त अपने देश की सीमाओं पर अतिक्रमण करते नजर आएंगे। उन्होंने भारतीय सेना के अदम्य साहस को अविस्मरणीय और ऐतिहासिक बताया साथ ही तत्कालीन नेतृत्व की भूरी भूरी प्रशंसा की।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि जीवटता और सादगी की प्रतीक स्व. इंदिरा गांधी ने तत्कालीन सुपर पावर देशों को भारतीय वीरता का परिचय दिया था और उनके ही स्थापित इस अदम्य साहसिक निष्ठा के कारण ही आज भी कई देश हमारे राष्ट्र पर कुदृष्टि नहीं डाल पाते। उन्होंने बांग्लादेश निर्माण को भारत का मानवीयता की जीत बताया।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कार्यक्रम में प्रदर्शित डॉक्यूमेंट्री को ज्ञानवर्धक बताते हुए कहा कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को युवाओं के बीच ले जाना चाहिए जिससे उन्हें कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व और क्षमताओं की हकीकत समझाई जा सकें।

बांग्लादेश मुक्ति संग्राम स्मरणोत्सव समिति के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. प्रवीण डाबर ने विस्तार से तत्कालीन परिस्थितियों और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के दृढ़ इच्छाशक्ति को बताया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने वैश्विक स्तर पर भारतीयता का डंका बजाने का काम किया है और अपनी दृढ़संकल्पित नेतृत्व के दम पर देश में हमेशा स्थिरता को स्थापित किया है।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन अरविंद कुमार चौधरी ने किया।

इस दौरान कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विधानमंडल दल के नेता अजीत कुमार शर्माए कार्यकारी अध्यक्ष डॉ अशोक राम, डॉ. समीर कुमार सिंह, विधान पार्षद प्रेम चंद मिश्र,  विधायक इजहारूल हुसैन, मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़, जया मिश्राए पूर्व मंत्री, कृपा नाथ पाठक,अवधेश कुमार सिंह सहित कई अन्य प्रमुख नेतागण उपस्थित रहें।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button