पीएमसीएच में जीएनम छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री का पुतला दहन
आइसा-ऐपवा व इनौस ने निकाला मार्च, कहा तानाशाह हो गई है सरकार
- पटना । पीएमसीएच में
आइसा-ऐपवा व इनौस ने निकाला मार्च, कहा तानाशाह हो गई है सरकार
पटना । पीएमसीएच में आंदोलनरत जीएनम की छात्राओं सहित आइसा-इनौस व ऐपवा कार्यकर्ताओं पर विगत 6 मई को किए गए बर्बर पुलिस लाठीचार्ज तथा पीएमसीएच व स्वास्थ्य विभाग के अड़ियल रवैये के खिलाफ आज स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का पुतला दहन किया गया.
आइसा-इनौस व ऐपवा ने संयुक्त रूप से आज राज्यव्यापी प्रतिवाद का आह्वान किया था. पटना में पीएमसीएच परिसर में पहले मार्च निकाला गया और फिर पीएमसीएच के गेट पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का पुतला दहन किया गया.
इस कार्यक्रम में इनौस के महासचिव व अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, राज्य सह सचिव अनिता सिन्हा, आइसा के कुमार दिव्यम, आदित्य रंजन, निशांत, आशीष, साकेत, इंसाफ मंच की आसमा खां, पुनीत पाठक, अनुराधा देवी आदि शामिल थे.
स्वास्थ्य मंत्री का पुतला दहन करने के उपरांत वक्ताओं ने कहा कि 6 मई को स्वास्थ्य विभाग व पीएमसीएच प्रशासन के इशारे पर जिस बर्बरता से जीएनम छात्राओं व उनके आंदोलन के समर्थन में उतरे आइसा-इनौस व ऐपवा के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया गया, वह अतिनिंदनीय है. पूरे पीएमसीएच परिसर को युद्ध क्षेत्र बना दिया गया.
इस मौके पर आइसा महासचिव व विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि ये छात्रायें अपना हाॅस्टल वैशाली के राजापाकड़ में शिफ्ट किए जाने का विरोध कर रही थीं. उनकी मांग थी कि पटना में ही उनके रहने की व्यवस्था की जाए, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी. 6 मई को पुलिस लाठीचार्ज के बाद बिहार के मुख्य सचिव से भी बातचीत की गई, लेकिन किसी ने एक न सुनी. छात्राओं को बेदर्दी से पीटा गया, उनका सामान हाॅस्टल से बाहर फेंक दिया गया. घसीटकर उन्हें पीरबहोर थाना लाया गया. रात भर सारी लड़कियां वहीं बरामदे में भूखे-प्यासे पड़ी रहीं. घायल लड़कियांे का इलाज तक पीएमसीएच प्रशासन ने नहीं कराया. उन्हें हर तरह से डराने-धमकाने का प्रयास किया गया. छात्र-छात्राओं के साथ इस तरह की बर्बरता करने वाली सरकार महिला सशक्तीकरण का ढोंग नहीं तो और क्या करती है? छात्राओं की बात सुनने तक को प्रशासन तैयार नहीं हुआ. अब भी कई लड़कियां घायल हैं, लेकिन उनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है. पीरबहोर थाने में वे स्वयं लगातार आला अधिकारियों को फोन करते रहे, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की.
इनौस नेता मनोज मंजिल ने कहा कि पुलिस के हमले में हमारे कई साथी गंभीर रूप से घायल हुए हैं. यदि सरकार यह सोचती है कि लाठी-गोली के बल पर आंदोलन की आवाज को दबा देगी, तो गलतफहमी में है. हम लड़कर अपना अधिकार लेना जानते हैं. सरकार व पीएमसीएच प्रशासन का रवैया एक तानाशाही रवैया है, जिसका विरोध जारी रहेगा.
अन्य नेताओं ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मंत्री नहीं बल्कि माफिया हैं. नए भवन निर्माण की आड़ में जीएनएम छात्राओं को कैंपस से बाहर कर देना कहां का न्याय है? 200 लड़कियों के लिए सरकार पटना में क्या कोई व्यवस्था नहीं कर सकती थी? जाहिर सी बात है कि सरकार को ऐसा करना ही नहीं था, उसकी मंशा जीएनएम छात्राओं को पीएमसीएच के कैंपस से बाहर कर देने की थी.
पटना के साथ-साथ राज्य के अन्य दूसरे केंद्रों पर भी आज प्रतिवाद मार्च हुए. विदित हो कि पुलिस लाठीचार्ज में आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, इंसाफ मंच की आसमा खां, मुश्ताक राहत आदि भी बुरी तरह घायल हुए थे.जीएनम की छात्राओं सहित आइसा-इनौस व ऐपवा कार्यकर्ताओं पर विगत 6 मई को किए गए बर्बर पुलिस लाठीचार्ज तथा पीएमसीएच व स्वास्थ्य विभाग के अड़ियल रवैये के खिलाफ आज स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का पुतला दहन किया गया.आइसा-इनौस व ऐपवा ने संयुक्त रूप से आज राज्यव्यापी प्रतिवाद का आह्वान किया था. पटना में पीएमसीएच परिसर में पहले मार्च निकाला गया और फिर पीएमसीएच के गेट पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का पुतला दहन किया गया. इस कार्यक्रम में इनौस के महासचिव व अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, राज्य सह सचिव अनिता सिन्हा, आइसा के कुमार दिव्यम, आदित्य रंजन, निशांत, आशीष, साकेत, इंसाफ मंच की आसमा खां, पुनीत पाठक, अनुराधा देवी आदि शामिल थे. स्वास्थ्य मंत्री का पुतला दहन करने के उपरांत वक्ताओं ने कहा कि 6 मई को स्वास्थ्य विभाग व पीएमसीएच प्रशासन के इशारे पर जिस बर्बरता से जीएनम छात्राओं व उनके आंदोलन के समर्थन में उतरे आइसा-इनौस व ऐपवा के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया गया, वह अतिनिंदनीय है. पूरे पीएमसीएच परिसर को युद्ध क्षेत्र बना दिया गया.
इस मौके पर आइसा महासचिव व विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि ये छात्रायें अपना हाॅस्टल वैशाली के राजापाकड़ में शिफ्ट किए जाने का विरोध कर रही थीं. उनकी मांग थी कि पटना में ही उनके रहने की व्यवस्था की जाए, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी. 6 मई को पुलिस लाठीचार्ज के बाद बिहार के मुख्य सचिव से भी बातचीत की गई, लेकिन किसी ने एक न सुनी. छात्राओं को बेदर्दी से पीटा गया, उनका सामान हाॅस्टल से बाहर फेंक दिया गया. घसीटकर उन्हें पीरबहोर थाना लाया गया. रात भर सारी लड़कियां वहीं बरामदे में भूखे-प्यासे पड़ी रहीं. घायल लड़कियांे का इलाज तक पीएमसीएच प्रशासन ने नहीं कराया. उन्हें हर तरह से डराने-धमकाने का प्रयास किया गया. छात्र-छात्राओं के साथ इस तरह की बर्बरता करने वाली सरकार महिला सशक्तीकरण का ढोंग नहीं तो और क्या करती है? छात्राओं की बात सुनने तक को प्रशासन तैयार नहीं हुआ. अब भी कई लड़कियां घायल हैं, लेकिन उनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है. पीरबहोर थाने में वे स्वयं लगातार आला अधिकारियों को फोन करते रहे, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की.
इनौस नेता मनोज मंजिल ने कहा कि पुलिस के हमले में हमारे कई साथी गंभीर रूप से घायल हुए हैं. यदि सरकार यह सोचती है कि लाठी-गोली के बल पर आंदोलन की आवाज को दबा देगी, तो गलतफहमी में है. हम लड़कर अपना अधिकार लेना जानते हैं. सरकार व पीएमसीएच प्रशासन का रवैया एक तानाशाही रवैया है, जिसका विरोध जारी रहेगा.
अन्य नेताओं ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मंत्री नहीं बल्कि माफिया हैं. नए भवन निर्माण की आड़ में जीएनएम छात्राओं को कैंपस से बाहर कर देना कहां का न्याय है? 200 लड़कियों के लिए सरकार पटना में क्या कोई व्यवस्था नहीं कर सकती थी? जाहिर सी बात है कि सरकार को ऐसा करना ही नहीं था, उसकी मंशा जीएनएम छात्राओं को पीएमसीएच के कैंपस से बाहर कर देने की थी.
पटना के साथ-साथ राज्य के अन्य दूसरे केंद्रों पर भी आज प्रतिवाद मार्च हुए. विदित हो कि पुलिस लाठीचार्ज में आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, इंसाफ मंच की आसमा खां, मुश्ताक राहत आदि भी बुरी तरह घायल हुए थे.