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पीपली लाइव की धनिया से रू-ब-रू हुए सिमेज के छात्र

शालिनी वत्स और नीरज अग्रवाल

तेवरआनलाईन, पटना

पीपली लाइव में धनिया की भूमिका निभाने वाली शालिनी वत्स बुधवार को सिमेज मीडिया कॉलेज के छात्रों से रूबरू हुई। अशोक राजपथ स्थित कुल्हरिया काम्प्लेक्स के सिमेज कैम्पस मे नवनिर्मित प्रेक्षा-गृह में छात्रों से बात करते हुए उन्होंने कहा की यदि प्रभावशाली स्क्रिप्ट और जोरदार अभिनय का मौका मिले तो वह भोजपूरी फिल्मों मे भी काम कर सकती है। उन्होंने कहा की रंगमंच में काम करने से संतुष्टि तो मिलती है लेकिन पैसे के कमी कलाकार को फिल्मों की ओर जाने को मजबूर करती है।

कैटलिस्ट मीडिया कॉलेज के छात्रों के पूछे गए सवालों का का जबाब देते हुए उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े कई सवाल उठाए गए है। राजनीति, गरीबी, मीडिया, किसानों की दयनीय स्थिति और पति-पत्नी के नाज़ुक रिश्तों पर भी फिल्म कई सवाल खड़ी करती है। उन्होंने छात्रों को कहा की इन सारे सवालों के जवाब समाज को सामूहिक रूप से देने की ज़रूरत है।

शालिनी ने मीडिया के लोगों के लिए संयत भाषा का प्रयोग किया और कहा की फिल्म मे भले ही मीडिया पर व्यंग्य किया गया हो, लेकिन पत्रकारों को काम के दौरान जिन दवाबों से गुजारना पड़ता है, उसके बारे मे काफी कुछ कहा गया है। उन्होंने मीडिया को काफी सशक्त बताया और उसकी काफी सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा की लोग मीडिया से काफी उम्मीद रखते है, और जब वी उम्मीद पूरी नहीं होती, तो मीडिया पर सवाल उठाना लाजिमी है। 

कैटलिस्ट मीडिया कॉलेज के एक छात्र अतुल रंजन ने उनसे पूछा की आमिर खान फिल्म का सारे श्रेय खुद ले जाते है और उसमें काम करने वाले अन्य कलाकारों को उतनी पब्लिसिटी क्यों नहीं मिल पाती ? शालिनी ने इसका सीधा ज़बाब देने से बचने की कोशिश की और कहा की यह पूरी तरह सत्य नहीं है। आमिर ने कई अभिनेताओ एवं अभिनेत्रियों को काफी प्रसिद्धि दिलाई है। उन्होंने आमिर को एक अच्छा इंसान बताया।

शालिनी ने बिहारी छात्रों की काफी तारीफ की और कहा की बिहारी छात्रों में काफी प्रतिभा है। उन्होंने बताया की वे खुद बिहार की हैं और उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई करते हुए पाया की बिहारी छात्रों ने वहां काफी अच्छा प्रदर्शन किया। और अब बिहार शिक्षा के क्षेत्र मे काफी तरक्की कर रहा है। सिमेज कॉलेज जीता जागता उदाहरण है, जहाँ छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा के साथ, काफी अच्छा एक्सपोजर भी मिलता है। उन्होंने इस बात पर खुशी ज़ाहिर की सिमेज मे शत प्रतिशत छात्रों को इंटर्नशिप मिली है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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One Comment

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