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बड़ा पाव और समोसा बेचने वाले निमेष आशा भोसले के साथ सुर मिलाएंगे

आशा भोसले के साथ निमेष
तेवरआनलाईन, मुंबई

बेहतरीन प्रतिभाओं को कोई नहीं रोक सकता, वो अपना रास्ता खुद निकाल लेती है, भले ही इसके लिए उन्हें कठिन परश्रम से होकर गुजरना पड़े। बड़ा पाव और समोसा की दुकान चलाने वाले निमेष मेहता इसके जीते जागते उदाहरण है। बड़ा पाव और समोसा बेचने के साथ निमेष को गायकी का भी शौक था, और अब उनकी गायकी सारी दुनिया सुनेगी। अपने पहले एलबम भाईसाब भाईसाब में वह आशा भोंसले के साथ सुर में सुर मिलाने जा रहे हैं। जैन समोसा के नाम से उनकी दुकान पहले से ही खाने-पीने के शौकिन लोगों के बीच जगह बना चुकी थी, अब लोग उनकी गायकी के जलवों से भी रू-ब-रू होंगे। आशा भोंसले के जन्मदिन 8 सितंबर को उनका एलबम रिलीज होने जा रहा है।    

अपने इस नये एडवेंचर को लेकर निमेष काफी उत्साहित दिख रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “ मैं अपने एलबम को किसी और दिन भी रिलीज कर सकता था, लेकिन मुझे लगा कि आशा जी के जन्म दिन से ही एक नई शुरुआत करनी चाहिये। भाईसाब भाई साब में प्यार और सम्मान की भावना की अभिव्यक्ति की गई है। इस शब्द का इस्तेमाल हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन में सामान्यतौर पर किया जाता है। जब हम किसी को नहीं जानते हैं और उनसे रू-ब-रू होना होता है तो उन्हें सम्मान के साथ हम भाई साब कहते हैं। ऐसा कह कर हम उस व्यक्ति के प्रति सम्मान दिखाते हैं, और इस एलबम में यही दिखाया गया है।”

इस एलबम में संगीत दिया है योगेंद्र और जोगेंद्र ने। निमेष अपने एलबम और इसमें आशा भोसले की उपस्थिति को लेकर आत्मविश्वास से भरे हुये हैं। उन्होंने कहा कि आशा जी एक बेहतरीन व्यक्तित्व वाली महिला हैं, और मेरे संगीत उन्हें यकीन है। उनके आर्शिवाद से मैं वह काम शुरु करने जा रहा हूं जो मेरा सपना था।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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