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बिहार की वोटर लिस्ट पर चुनाव आयोग की सर्जरी, NCP बोली– लोकतंत्र हुआ और मज़बूत

पटना। भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (S.I.R.) की प्रक्रिया शुरू की है, जिसे एनसीपी के राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर प्रो. नवीन कुमार ने “ऐतिहासिक, साहसिक और दूरदर्शी पहल” करार दिया है। उनका कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को और पारदर्शी व विश्वसनीय बनाएगा।

*65 लाख से ज़्यादा नाम हटे, प्रक्रिया जारी*
आयोग गैर-नागरिकों, अवैध प्रवासियों, प्रवासजनित विस्थापन, मृतकों और डुप्लीकेट प्रविष्टियों को सूची से बाहर कर रहा है। पहले चरण में करीब 65 लाख 64 हजार नाम हटाए जा चुके हैं, जबकि दूसरे चरण में दावे और आपत्तियों की सुनवाई चल रही है।
*विपक्ष ने साधा निशाना, आयोग का पलटवार*

कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों ने इस प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए हैं। कुछ नेताओं ने इसे “वोटबंदी” बताया, तो कुछ ने मतदाता सूची में छेड़छाड़ और राजनीतिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाया।
आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अब तक किसी भी दल ने वैध आपत्ति दर्ज नहीं की है। आयोग का कहना है कि वह पूरी तरह निष्पक्ष है। साथ ही, जिन मतदाताओं ने पता बदलने के बाद पुराने पते से नाम नहीं हटवाया या एक ही EPIC पर दो से अधिक वोटर कार्ड बनाए, उन्हें सुधार का अवसर दिया जा रहा है।

*राजनीतिक शोर, लोकतंत्र पर असर नहीं” – NCP*

आयोग ने स्पष्ट किया कि फर्जी कहानियों से भ्रम फैलाना अनुचित है और ऐसे आरोप निराधार साबित होने पर सात साल की सजा तक हो सकती है।
प्रो. नवीन कुमार ने कहा कि विपक्ष के आरोप केवल राजनीतिक शोर हैं, जबकि आयोग का यह कदम लोकतंत्र को मज़बूत करने और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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