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बीवी बेचने का बयान देने वाले डीएम ने क्या शर्म बेच दी : सीमा

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष सीमा सक्सेना ने बिहार के औरंगाबाद के ज़िलाधिकारी के बयान पर गहरी नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा कि ज़िले के सबसे प्रतिष्ठित पद पर बैठे प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने हैरानी जताई कि एक ज़िलाधिकारी होकर कोई व्यक्ति इस तरह की टिप्पणी कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी एनडीए सरकार देश में जनकल्याणकारी योजनाओं को तेज़ी से बढ़ाने में जुटी है, लेकिन अगर क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों की सोच ऐसी होगी तो फिर अच्छे नतीजे कैसे आएंगे ?

रालोसपा महिला अध्यक्ष ने कहा कि औरंगाबाद के ज़िलाधिकारी जमहोर प्रखंड में शौचालय निर्माण को प्रोत्साहित करने गए थे या हतोत्साहित करने ? बिहार के ग्रामीण इलाके में जाकर अगर ज़िलाधिकारी ये कहते हैं कि पैसे नहीं हैं तो पत्नी को बेच दें और शौचालय बनवाएं तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए ? सीमा सक्सेना ने कहा कि जिनके पास पैसे नहीं हैं, उन्हें शौचालय निर्माण के लिए पैसे सरकार की ओर से दिए जाने हैं, ये बात हर कोई जानता है। बिहार में महागठबंधन सरकार ने इस राशि को जारी करने में बेवजह की बाधाएं और शर्तें लागू कर रखी हैं, जिसके कारण ये राज्य शौचालय निर्माण में देश के बाकी राज्यों से पिछड़ रहा है। शासन और प्रशासन का दायित्व है कि वो गरीब परिवारों की मदद करे, उन्हें शौचालय निर्माण के लिए आवंटित राशि मुहैया कराए ताकि खुले में शौच की शर्मिंदगी से उन्हें मुक्त कराया जा सके। सीमा सक्सेना ने ज़िलाधिकारी से बिना शर्त अपनी टिप्पणी वापस लेने और माफी मांगने को कहा है। उन्होंने बिहार सरकार से भी मांग की है कि उक्त अधिकारी से उनके विवादास्पद और शर्मनाक बयान पर स्पष्टीकरण मांगा जाए क्योंकि लोकतंत्र में किसी को भी जनता का अपमान करने की छूट नहीं है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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